वर्तमान बजट में भारत के विकास की झलक परन्तु मानववीस विकास भी आवष्यक डॉ0 प्रदीप कुमार, अर्थषास्त्री
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वर्तमान बजट में भारत के विकास की झलक परन्तु मानवीय विकास भी आवश्यक : डॉ0 प्रदीप कुमार, अर्थशास्त्री,
डीन एवं प्रो0 ऑफ इक्नॉमिक्स
एन0आई0आई0एल0एम0 यूनिवर्सिटी कैथल, हरियाणा
सन् 2024-25 के बजट में विकसित अर्थव्यवस्था की आधारषीला की झलक दृष्टिगोचर होती है। इस 48.21 लाख करोड़ रूपये के बजट में विकसित भारत हेतु 9 प्राथमिकताओं को विषेष स्थान दिया गया है।
जहॉं तक कृषि का संबंध है इसके अन्तर्गत एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए सहायता प्रदान की जायेगी। परन्तु प्राकृतिक खेती जैसे कि आर्गेनिक फार्मिंग तभी सफल होगी जब किसानों को ऐसी फसलो के उचित दाम प्राप्त होगें अर्थात उन्हें इस प्रकार की खेती से लाभ होगा तभी वे ऐसी खेती करना चाहेगें।
ग्रामीण विकास के लिए 2.66 लाख करोड़ रूपये का प्रावधान रखा गया है। परन्तु इसके लिए ग्रामीण स्तर पर बड़े पैमाने पर ओधौगिकरण की आवष्यता है ताकि खाली समय में श्रमिकों को रोजगार में लगाया जा सके तथा किसानों की आय दुगुनी हो सके।
एम.एस.एम.ई. को बढ़ावा देने के लिए ऋण के लिए 100 करोड़ रूपये का प्रावधान रखा गया है।
मुद्रा ऋण सीमा 10 लाख रूपये से बढ़ाकर 20 लाख रूपये कर दी गई है। कारोबार की सीमा 50 प्रतिशत कम कर दी गई है। एंजल कर समाप्त कर दिया गया है इससे स्टार्टअप को लाभ प्राप्त होगा। परन्तु लघु उधोग तभी सफल होगें जब ऐसे उधोगों की निरंतर मोनिटरिंग होती रहे तथा बैंक अधिकारी को मुद्रा लोन के उचित प्रयोग की जानकारी प्राप्त होती रहे।
रोजगार प्रदान करने के लिए अगले पॉंच वर्षो में देश की 500 शीर्ष कम्पनियों में एक करोड़ युवाओं को इनटर्नशिप का सुअवसर प्राप्त होगा तथा हर महीने 5000/- रूपये भत्ता प्राप्त होगा।
इसके साथ ही एक मुष्त 6000/- की राषि सहायता के रूप में दी जायेगी। यह योजना को व्यापक रूप से लागू करने पर अधिक युवाओं को लाभ प्राप्त हो सकता है।
इसके साथ ही इन्फ्रास्कचर के लिए 11 लाख करोड़ रूपये व्यय का प्रावधान रखा गया है।
इसमें विषेष रूप से अमृतसर, कोलकाता, इन्कनोमिक कोलिडोर पर बोद्धगया में उधोगिक केन्द्र विकसित होगा। पष्चिम बंगाल, उड़ीसा, बिहार तथा झारखंड के लिए पूर्वोदय योजना होगी। परन्तु ऐसे दीर्घकालीन परियोजनाओं के लिए समय सीमा निर्धारित कर देनी चाहिए अन्यथा व्यय बढ़ने के संकेत मिलते है तथा अर्थव्यवस्था पर अधिक बोझ पड़ता है। विदेषी कम्पनियों पर कॉर्पोरेट टैक्स की दर 40 प्रतिषत से कम करके 35 प्रतिषत कर दी गई है। परिणामस्वरूप प्रत्यक्ष विदेषी निवेष में वृद्धि की सम्भावना रहेगी। इसके साथ ही विभिन्न सुविधाएं प्रदान करके एफ.डी.आई. को ओर अधिक आकर्षित किया जा सकता है।
इस बार सरकार ने मध्यम वर्ग की ओर भी ध्यान दिया है। नई कर व्यवस्था से 17500/- रूपये की बचत होगी अर्थात कर योग्य आय कम हो जायेगी परन्तु प्रयोज्य आय बढ़ जायेगी। इस प्रकार घरेलु बचतों में वृद्धि होगी। वास्तव में सरकार ने आंतरिक पूंजीगत संसाधनों के एकत्रीकरण पर कुछ हद तक जोर दिया है जोकि अर्थव्यवस्था के लिए एक अच्छा संकेत है।
आर्थिक विकास के साथ मानवीय विकास भी आवष्यक है। एच.डी0आई0 2024 की नवीनतम रिपोर्ट अनुसार मानवीय विकास में भारत ने 134वॉं परन्तु चीन ने 75वॉं रैंक प्राप्त किया है। इसका कारण यह है कि चीन द्वारा मानवीय विकास अर्थात षिक्षा तथा स्वास्थय पर भारत की तुलना में जी0डी0पी0 के रूप में अधिक व्यय किया जाता है। इस बार बजट में भी जी0डी0पी0 के रूप में षिक्षा तथा स्वास्थय पर अधिक व्यय करने का प्रावधान होना चाहिए था क्योंकि मानवीय विकास पर अधिक व्यय करने पर कार्यकुषलता तथा उत्पादकता में वृद्धि होती है तथा उच्च आर्थिक विकास के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
इसके साथ ही हैल्थ इन्फ्रास्टकचर को मजबूत करने की आवष्यकता है ताकि सभी के लिए स्वास्थय का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकें। उच्च राष्ट्रीय षिक्षा नीति 2020 को सफल बनाने के लिए आवष्यक है कि स्कूल, कॉलेज तथा विष्वविधालय स्तर पर स्किल डवैलपमैंट सैंटर खोले जाने चाहिये ताकि विधार्थी अपनी इच्छा अनुसार स्किल सीख कर रोजगार प्राप्त कर सके। अतः आर्थिक विकास के साथ मानवीय विकास भी समय की मांग है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि इस बार सरकार ने बजट में सभी क्षेत्रों का ध्यान रखते हुये बड़े धक्के के सिद्धांत के अनुसार एक बड़े निवेष की ओर फोकस किया है। यदि सरकार विभिन्न योजनाओं को प्रभावपूर्ण ढ़ग से लागू कर ले तथा मानवीय विकास को प्राथमिकता दें तो भारत एक ओर उच्च आर्थिक विकास दर को प्राप्त कर लेगा तथा दूसरी ओर पॉंचवी बड़ी अर्थव्यवस्था से तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था को प्राप्त करते हुये 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को भी प्राप्त करने में सफल होगा।