शिमला: हिमाचल प्रदेश निजी स्कूल विधेयक 2021 विधानसभा के 2 अगस्त से शुरू होने वाले मानसून सत्र में पेश करने की तैयारी है। जनता से मिले सुझावों के आधार पर शिक्षा निदेशालय ने रिपोर्ट तैयार कर सरकार को भेज दी है। कैबिनेट से मंजूरी मिलने पर विधानसभा में इसे कानून बनाने के लिए रखेंगे।
कोरोना संकट में कई निजी स्कूलों पर मनमानी फीस वसूलने के आरोप लग रहे हैं। बीते वर्ष प्रदेशभर में अभिभावकों ने प्रदर्शन किए। सरकार ने उस समय सिर्फ ट्यूशन फीस वसूली का फैसला लिया, लेकिन निजी स्कूलों ने सरकार के आदेशों की अवहेलना की। विरोध तेज होने पर सरकार ने उपायुक्तों की अध्यक्षता में जिला स्तरीय कमेटियां फीस निर्धारण और इससे संबंधित शिकायतें सुनने के लिए गठित की।
अभी तक इसका कोई सकारात्मक परिणाम नहीं दिखा। इसके चलते ही सरकार ने बीते माह कैबिनेट बैठक में विधेयक पर चर्चा की। शिक्षा विभाग को विधेयक में बदलाव लाने को लेकर सुझाव दिए। इसी बीच उच्च शिक्षा निदेशालय ने आम जनता से सुझाव आमंत्रित कर विधेयक में संशोधन करने का प्रस्ताव दोबारा से सरकार को भेजा है।
निजी स्कूलों ने वार्षिक फीस में छह से दस फीसदी की बढ़ोतरी करने की मांग की है। राज्य के बड़े कान्वेंट स्कूलों ने गुणात्मक शिक्षा देने की बात कहते हुए अपनी फीस जायज ठहराई। कान्वेंट स्कूलों की ओर से आए सुझावों में कड़े शब्दों में लिखा है कि सरकारी स्कूलों में गुणात्मक शिक्षा नहीं मिलने के चलते ही अभिभावक निजी स्कूलों को प्राथमिकता देते हैं। निजी स्कूलों में आधुनिक सुविधाएं दी जा रही हैं। ऐसे में स्कूल फीस भी उसी स्तर पर तय होती है।
अभिभावकों ने जनरल हाउस के माध्यम से फीस तय करने की मांग की है। शिक्षा निदेशालय पहुंचे सुझावों में अभिभावक संगठनों ने मनमानी करने वाले निजी स्कूलों पर दस लाख रुपये जुर्माना और 10 साल की कैद का प्रावधान करने की मांग की है। हर वर्ष फीस में छह फीसदी वृद्धि के प्रावधान का विरोध किया है। निजी स्कूलों की ओर से चयनित दुकानों से ही किताबें व वर्दी खरीद की व्यवस्था पर भी रोक लगाने की मांग की है।