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ठाकुर साहब! सबसे पहले तो मैं आपको नेता प्रतिपक्ष चुने जाने पर आपको बधाई देता हूं और आशा भी करता हूं कि आप जनता के हित में अपना जिम्मा बाखूबी निभाएंगे , आपने तो बहुत ही जोर शोर से रिवाज बदलने की कोशिश की लेकिन रिवाज तो नहीं बदला ” ताज” जरूर छिन गया क्योंकि ” ये पब्लिक है ये सब जानती है ” जनता ने सत्ता का सुख सुक्खू जी को सौंप दिया और आपको राज से बाहर का रास्ता दिखा दिया अब तो आपके अनुसार कांग्रेस का जीत प्रतिशत कोई ज्यादा नहीं है लेकिन जीत का नाम प्रतिशत से भी ज्यादा महत्व पूर्ण और आनंददायक है , आपने पेपर तो दिए मगर पास नहीं हुए तो अगली तयारी पूरा मन लगा कर करो, कांग्रेस को जनता ने सौ में से पचास नंबर तो ops के ही दे दिए क्योंकि इससे लाखों एंप्लॉई के साथ साथ लाखों में ही उनके परिवारजन और रिश्ते दार भी जुड़े हैं , जुड़ते भी क्यों नहीं जिसने अपनी जिंदगी के बीस से तीस साल सरकारी सेवा में लगाए हों और अगर बुढ़ापे में उसको रोटी के भी लाले पढ़ जाएं तो जाहिर सी बात थी उन्होंने उसी को चुनना था जो उनके बुढ़ापे को उनके परिवार को सुरक्षित कर सके और सुक्खू जी ने अपने कहे अनुसार इसको लागू करके दिखा भी दिया अब इसके लिए बजट का प्रावधान करना इनकी जिम्मेवारी है आप व्यर्थ में ही इसकी चिंता मत करो , बचे पचास में भी आप बीस नंबर लेने में ही सफल हो सके , रही बात अट्ठारा से साठ वर्ष की आयु बाली पात्र महिलाओं को मासिक पंदरा सौ रुपए देने की इसका सुख भी सुक्खू सरकार अवश्य देगी क्योंकि मैं एक बात जरूर कहना चाहूंगा ” सुक्खू जी ” को कमजोर मुख्य मंत्री समझने की गलती मत करना , जहां तक कई संस्थानों और कार्यालयों को बंद करने की बात है उसका सरकार के पास एक ठोस जवाब है कि आपकी सरकार द्वारा उसको चुनावी लाभ के लिए बचे एक वर्ष या कुछ महीनों में बिना बजट और स्टाफ के खोल दिया गया, हालांकि इनको जनता की मांग पर जनता के लिए ही खोला गया था , इसमें भी सुक्खू सरकार द्वारा एक आश्वासन दिया गया है इसकी समीक्षा की जाएगी और इनको बजट और स्टाफ के प्रावधान अनुसार फिर से खोला जा सकता है, और अगर आपकी सरकार ने इनको बजट और स्टाफ के साथ खोला था तो आप नेता प्रतिपक्ष के तौर पर इसके ऊपर एक श्वेत पत्र जारी करें , रही बात कि गरीब ने भी बोट दिया है तो आपके कहने का तात्पर्य ” हिम केयर कार्ड ” से है , इसके विषय में मेरी भी राय है , अगर सुक्खू सरकार इसको बंद करती है तो ये
माशूम गरीब जनता से एक बहुत बड़ा अन्याय होगा और भविष्य में ये सरकार के पुनर्जीवन में एक बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह बन जाए गा क्योंकि भाजपा की इस योजना ने कइयों को पुनर्जीवन देकर कई गरीब परिवारों को खुश हाल रखा है
रही नाम बदलने की बात ये सरासर ग़लत है ये तो एक रिवाज बन जायेगा एक पार्टी के नेता का नाम हटा कर दूसरी पार्टी के नेता का नाम लिखवा दो, जब कोई नेता बनता है सरकार बनती है तो वो सभी का सम्मानिय होता है तो ऐसा नहीं होना चाहिए नहीं तो बाकी सरकार कोई रिवाज भले ही न बदल पाए मगर अपने रहते हुए नाम जरूर बदलेगी

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