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यह स्पष्ट है कि श्री हरिंदर सिंह परवाना की भावनाएँ पार्टी और राज्य की मौजूदा स्थिति को लेकर बहुत प्रबल हैं। उनका कहना है कि अगर कांग्रेस ने अपनी स्थिति नहीं सुधारी, तो 2027 में जनता किसी तीसरे विकल्प को सत्ता में लाने के लिए मजबूर हो जाएगी। उनका मुख्य तर्क यही है कि सरकार अपनी चुनावी गारंटियों को पूरा नहीं कर पाई, जिससे जनता में भारी असंतोष है।
अगर कांग्रेस को हिमाचल प्रदेश में अपनी पकड़ बनाए रखनी है, तो उन्हें अपने जमीनी कार्यकर्ताओं की भावनाओं को समझना होगा और उनकी आवाज़ को अनसुना नहीं करना चाहिए। चुनावी वादों को पूरा करने के लिए ठोस योजनाएं बनानी होंगी और पार्टी के भीतर संवाद को मज़बूत करना होगा।
आपका इस विषय पर क्या विचार है? क्या आपको लगता है कि कांग्रेस को अपनी रणनीति में बदलाव लाना चाहिए?
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हिमाचल कांग्रेस के वरिष्ठ कार्यकर्ता की पीड़ा: 2027 में तीसरे विकल्प की आहट
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के 42 साल पुराने समर्पित और कर्मठ कार्यकर्ता श्री हरिंदर सिंह परवाना ने भारी मन से प्रदेश सरकार की मौजूदा स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस सरकार ने संगठन और कार्यकर्ताओं को मजबूत नहीं किया, तो 2027 के चुनाव में जनता भाजपा और कांग्रेस, दोनों से निराश होकर किसी तीसरे मोर्चे को सत्ता में लाने के लिए मजबूर हो जाएगी।
कांग्रेस की गिरती साख और अधूरे वादे
श्री परवाना, जो 1984 से कांग्रेस पार्टी और एनएसयूआई से गहराई से जुड़े रहे हैं, ने बिना किसी स्वार्थ के पार्टी की निस्वार्थ सेवा की है। उन्होंने भावनात्मक रूप से कहा कि उनका परिवार पांच दशकों से कांग्रेस के प्रति निष्ठावान रहा है, लेकिन वर्तमान सरकार की कार्यशैली और वादों से पीछे हटने की वजह से उन्हें यह कड़वा सच बोलना पड़ रहा है।
हिमाचल प्रदेश सरकार का बजट सत्र चल रहा है, जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हो रही है। परंतु श्री परवाना का मानना है कि कांग्रेस के एक सच्चे सिपाही के रूप में उनकी चिंता बहस से परे है। उनका मानना है कि पिछले ढाई वर्षों में सरकार जिस तरह से काम कर रही है, उससे यह आभास हो रहा है कि कांग्रेस अगले 15-20 वर्षों तक प्रदेश में सत्ता में वापस नहीं आ पाएगी।
कांग्रेस पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में छह प्रमुख गारंटियों के दम पर जीत हासिल की थी, लेकिन इनमें से केवल पुरानी पेंशन योजना (OPS) को ही लागू किया गया है। शेष गारंटियों—महिलाओं को हर महीने ₹1500, बेरोजगारों के लिए सालाना लाखों नौकरियां, और 300 यूनिट मुफ्त बिजली—को अभी तक पूरा नहीं किया गया। ये वे वादे थे, जिनके कारण कांग्रेस को प्रदेश में 36,000 अधिक वोटों से जीत मिली थी। लेकिन जनता की उम्मीदों पर खरी न उतर पाने के कारण अब सरकार पर भरोसा टूट रहा है।
विधायकों और सरकार को सच का सामना करने की जरूरत
श्री परवाना ने सभी विधायकों से अपील की कि वे बिना किसी झिझक के मुख्यमंत्री के सामने वास्तविक स्थिति रखें। उन्होंने चेताया कि यदि कांग्रेस ने अपनी कार्यशैली नहीं बदली, तो 2027 के चुनावों में पार्टी का वही हाल हो सकता है जो दिल्ली में हुआ था—कांग्रेस की सीटें नगण्य रह जाएंगी, या अधिकांश सीटों पर जमानत जब्त हो जाएगी।
कार्यकर्ताओं की अनदेखी और प्रशासन की निष्क्रियता
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार में ही कांग्रेस के कार्यकर्ता हाशिए पर चले गए हैं। उनका कहना है कि पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं की कोई पूछ नहीं हो रही, जबकि प्रशासन अभी भी विपक्षी भाजपा के प्रभाव में काम कर रहा है।
उन्होंने विशेष रूप से पूर्व विधायक बाबर ठाकुर के मामले का जिक्र किया, जिन्होंने 26 फरवरी को सरकार से अपनी सुरक्षा को लेकर आशंका जताई थी। लेकिन पुलिस प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। ऐसे में जब सरकार अपने ही वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं की रक्षा नहीं कर पा रही, तो आम जनता की स्थिति क्या होगी?
श्री परवाना ने कांग्रेस नेतृत्व को चेताया कि अभी भी समय है सुधार करने का। यदि सरकार ने कार्यकर्ताओं और जनता की अपेक्षाओं को पूरा नहीं किया, तो हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस का भविष्य अंधकारमय हो सकता है।
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हिमाचल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता की व्यथा: क्या 2027 में तीसरा मोर्चा सत्ता में आएगा?
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के 42 साल पुराने सच्चे और कर्मठ कार्यकर्ता श्री हरिंदर सिंह परवाना ने भारी मन से प्रदेश सरकार की वर्तमान स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने भावुक होकर कहा कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार की खस्ता हालत को देखते हुए उनके आंसू छलक आए हैं। यदि सरकार संगठन को मजबूत करने, कार्यकर्ताओं को उचित सम्मान देने और वादों को पूरा करने में असफल रही, तो 2027 में प्रदेश की जनता भाजपा और कांग्रेस, दोनों से निराश होकर किसी तीसरे मोर्चे को सत्ता में लाने के लिए मजबूर हो जाएगी।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं की अनदेखी और सरकार की कमजोर स्थिति
श्री हरिंदर सिंह परवाना, जो 1984 से कांग्रेस पार्टी और एनएसयूआई से मजबूती से जुड़े हुए हैं, ने अपनी पूरी जिंदगी पार्टी की सेवा में समर्पित कर दी, बिना किसी स्वार्थ के कोई लाभ उठाए। उन्होंने दुखी होकर कहा कि उनका परिवार पिछले पांच दशकों से कांग्रेस का वफादार रहा है, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों को देखकर उन्हें यह कड़वा सच कहना पड़ रहा है। उनका उद्देश्य केवल यह है कि सरकार अपनी स्थिति को सुधार सके, ताकि भविष्य में दोबारा प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन सके।
वर्तमान में हिमाचल प्रदेश में बजट सत्र चल रहा है, जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हो रही है। लेकिन श्री परवाना का कहना है कि उन्हें इस राजनीतिक नोकझोंक से कोई मतलब नहीं। एक सच्चे कांग्रेसी कार्यकर्ता होने के नाते वह केवल यही चाहते हैं कि पार्टी के विधायक और नेता सच का सामना करें और सरकार की खामियों को दूर करें।
छह चुनावी गारंटियों में केवल एक पूरी, जनता खुद को ठगा महसूस कर रही
हिमाचल प्रदेश में दो-ढाई वर्षों से जो राजनीतिक अस्थिरता चल रही है, वह सभी को नजर आ रही है। वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह महसूस हो रहा है कि यदि कांग्रेस ने जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए, तो अगले 15-20 वर्षों तक कांग्रेस के लिए सत्ता में वापसी करना मुश्किल हो सकता है।
2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने छह गारंटियों को आधार बनाकर जनता से समर्थन मांगा था। लेकिन ढाई साल के बाद भी केवल एक गारंटी, पुरानी पेंशन योजना (OPS), को लागू किया गया है। इसके अलावा, जो अन्य तीन प्रमुख गारंटियां थीं—
- महिलाओं को हर महीने ₹1500 देने का वादा
- बेरोजगार युवाओं को हर साल लाखों नौकरियां देने का आश्वासन
- हर घर को हर महीने 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वचन
इन तीनों गारंटियों को पूरा करने में सरकार पूरी तरह विफल रही है। इन्हीं गारंटियों के दम पर कांग्रेस को प्रदेश में 36,000 से अधिक वोटों का लाभ मिला था, लेकिन अब जनता खुद को ठगा महसूस कर रही है।
कांग्रेस विधायकों को अब सच बोलने की जरूरत
श्री परवाना ने कांग्रेस के सभी विधायकों से अनुरोध किया कि वे मुख्यमंत्री के सामने इस कड़वी सच्चाई को बिना किसी हिचकिचाहट के रखें। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि आज विधायक अपनी जिम्मेदारी को नहीं निभाएंगे, तो 2027 के चुनावों में कांग्रेस को दिल्ली की तरह हिमाचल में भी करारी हार का सामना करना पड़ सकता है। ऐसा ना हो कि 60 सीटों में से केवल दो-चार सीटें ही बचें और अधिकांश सीटों पर कांग्रेस की जमानत जब्त हो जाए।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास अभी भी संभलने का एक अवसर है, लेकिन यह तभी संभव होगा जब विधायक और नेता पार्टी और सरकार के प्रति ईमानदार होंगे और जनता के वादों को पूरा करने के लिए ठोस कदम उठाएंगे।
कार्यकर्ताओं की अनदेखी और भाजपा के बढ़ते प्रभाव पर चिंता
श्री परवाना ने दुखी होकर कहा कि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। पार्टी के वही कार्यकर्ता, जिन्होंने कांग्रेस को सत्ता में लाने के लिए दिन-रात मेहनत की, आज दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। न तो उनकी समस्याओं को सुना जा रहा है और न ही उन्हें संगठन में कोई महत्व दिया जा रहा है।
सबसे गंभीर चिंता की बात यह है कि हिमाचल में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद प्रशासन अभी भी भाजपा के प्रभाव में है। उन्होंने विशेष रूप से बिलासपुर का उल्लेख करते हुए कहा कि वहां अभी भी भारतीय जनता पार्टी का वर्चस्व बना हुआ है। पुलिस और प्रशासन कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर रहा है, जबकि विपक्षी नेता ही फायदे उठा रहे हैं।
बाबर ठाकुर पर हमले की आशंका को नजरअंदाज करना दुर्भाग्यपूर्ण
श्री परवाना ने पूर्व विधायक बाबर ठाकुर के मामले को भी उठाया, जिन्होंने 26 फरवरी को सरकार से आशंका जताई थी कि उन पर जानलेवा हमला हो सकता है। लेकिन पुलिस प्रशासन ने उनकी सुरक्षा को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। जब सरकार अपने ही पूर्व विधायकों की रक्षा नहीं कर पा रही, तो आम कार्यकर्ताओं और जनता की क्या स्थिति होगी?
उन्होंने कहा कि हिमाचल में प्रशासन कांग्रेस की सरकार के बजाय विपक्षी ताकतों के इशारों पर चल रहा है। यह सरकार के लिए शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि कांग्रेस कार्यकर्ता खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं, जबकि विपक्ष के लोग मलाई खा रहे हैं।
कांग्रेस को अभी भी खुद को सुधारने का मौका
श्री हरिंदर सिंह परवाना ने कांग्रेस नेतृत्व को यह कड़ा संदेश दिया कि यदि पार्टी को अपना अस्तित्व बनाए रखना है, तो अब वादों को पूरा करने के लिए ठोस कार्रवाई करनी होगी। अगर सरकार ने अभी भी कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया और जनता की गारंटियों को अधूरा रखा, तो 2027 में जनता कांग्रेस को पूरी तरह नकार सकती है।
उन्होंने चेताया कि यदि कांग्रेस ने जल्द ही अपनी स्थिति नहीं सुधारी, तो हिमाचल प्रदेश की जनता तीसरे मोर्चे की ओर रुख कर सकती है, और कांग्रेस का राजनीतिक भविष्य अंधकारमय हो सकता है।
अब समय आ गया है कि कांग्रेस पार्टी आत्ममंथन करे और कार्यकर्ताओं के सुझावों को गंभीरता से सुने। तभी पार्टी फिर से जनता का विश्वास जीत सकेगी और हिमाचल प्रदेश में अपनी पकड़ मजबूत रख पाएगी।