भारत के वह वीर सपूत जिन्हें कभी याद नहीं किया गया
सोलन रोशन लाल सूद जी ने द्वितीय विश्वयुद्ध में निभाई थी भूमिका।
भारत के कुछ ये वीर सपूत जिन्हें कभी याद नहीं किया गया
Bk Sood Chief Editor
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भारत के बहुत से वीर योद्धाओं ने अपना योगदान और बलिदान दिया है ।कुछ लोग शहीद हुए कुछ लोग अपने देश को आजाद कराने के लिए वर्षों तक संघर्ष करते रहे । कुछ लोग देश की सीमाओं पर भारत में भारतीय सीमाओं की रक्षा करते रहे तथा कुछ वीर संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति सेना में भर्ती होकर द्वितीय विश्व युद्ध में अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हुए देश के लिए नाम कमाते रहे। हमारे देश में हिमाचल प्रदेश के सोलन शहर से एक वीर योद्धा थे, श्री रोशनलाल सूद जो सेंट लुयुक्स स्कूल ,ग्रेवाल एस्टेट सोलन के रहने वाले थे।
उन्होंने अपने जीवन काल में देश के प्रति अपनी सेवा की भावना और समर्पण को कभी नहीं छोड़ा।
विश्व युद्ध में देश की ओर से शांति सेना में सम्मिलित होकर उन्होंने देश की सेवा की तथा विभिन्न प्रशस्ति पत्र प्राप्त किए इतना ही नहीं उनकी पत्नी श्रीमती माया सूद जी को भी प्रशस्ति पत्र से नवाजा गया कि उन्होंने अपने इस पुनीत कार्य में अपने पति का पूरा सहयोग दिया तथा उन्हें सेना में जाने दिया और घर की पूरी जिम्मेवारी खुद अपने कंधों पर ले ली ।जबकि घर में बड़ा परिवार था तथा संसाधनों की कमी थी फिर भी उन्होंने उन्हें देश सेवा में जाने से नहीं रोका तथा उनकी जिम्मेवारी खुद निभा कर उन्हें राष्ट्र सेवा के लिए प्रेरित किया और सहयोग दिया।
स्वर्गीय रोशन लाल सूद जी के प्रशस्ति पत्र में लिखा है कि:-
विश्व शांति रक्षा और स्वतंत्रता अभियान के अंतर्गत क्रूर हिटलर शाही के खिलाफ लड़ने के लिए मित्र राष्ट्रों के भारतीय सेवा दल में भर्ती होने वाले सशस्त्र क्रांतिवीर सोलन निवासी श्री रोशनलाल सूद ने सन 1939 से 7 मई 1945 तक लड़कर महा युद्ध जीतने वाले महा योद्धा वीर की उपाधि पाई। तथा इस उपलब्धि पर उन्हें प्रशस्ति पत्र दिया गया जिसमें लिखा है कि आपके इस महान ऐतिहासिक और प्रशंसनीय विश्व रक्षा सुरक्षा और स्वातंत्र्य कार्य के सफलता के हेतु आपको महा योद्धा वीर की उपाधि कृतज्ञता के साथ सहर्ष प्रदान की जा रही है”
सम्मान पत्र में लिखी गई भाषा का अनुवाद करने की कोशिश की गई है जो इस प्रकार से है:-
“मह जावीर सन्मानपत्र Roshan Lal Sood
महायोध्दार श्री.
Grewal Estate, Distil Solan, (H.P)
१९३९ से द्वितीय महायुध्द सुलगने के बाद नियोजित संयुक्त संघ के संस्थापक मित्र राष्ट्रोसा सेंट जेम्स पैलेस में ६४१९४१ के घोषणा के अनुसार और मार्च १९४२ के क्रिप्स योजना के अनुसार विश्वशांती, रक्षा और स्वातंत्र्य अभियान के अंतर्गत क्रूर हिटलरशाही के खिलाफ लढने के लिए मित्र वाष्टों के भारतीय सेवा दल में भरती होनेवाले आप शशस्त्र क्रांतीवीर है। सन १९३९ से ७ मई १९४५ तक लढकर द्वितीय
महायुद्ध जितनेवाले भाप महायोद्वावीर हैं। आप के इस महान ऐतिहासिक और प्रशंसनीय विश् रक्षा, सुरक्षा और स्वातंत्र्य कार्य केसफलता के गौरसहेतु आपको
महायोद्भावीर
यह उपाधी कृतज्ञता के साथ सहर्ष प्रदान की जा रही है।
टी. एल. मुलाणी”
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उनकी पत्नी श्रीमती माया सूद को भी महा योद्धा वीर पत्नी सम्मान से सम्मानित किया गया सम्मान पत्र का अनुवाद करने की कोशिश की गई जिसमें इस प्रकार लिखा है कि:-
प्रजापताका २६ जनवरी १९९८ के शुभ अवसरपर
महायोद्धावीर पत्नी
सन्मानपत्र
बी पत्नी सौ./ श्रीमती SY:- Roshan Lal Sood, Grewal Estate, Dist – Solan
आपके पती ‘द्वितीय महायुध्द में विजयश्री हासील करके पूरी दुनियाको तानाशाही के पंजों से मुक्तता कर उसकी रक्षा करने वाले महायो काबीन हैं। स्वातंत्र्यपूर्व काली सेनाकल की जोशीको अंग्रेजों के खिलाफ लष्करी उठाव के तहत हिंदुस्थान सहित संसार के अन्य राष्ट्रोंको आझादी दिलाने वाले आपके पती जागतिक स्वातंत्र्य सैनिक है। संयुक्त राष्ट्र संघ की निर्मिती के लिए स्फूर्ति प्रेरणा देने वाले आपके पती विश्वशांती सेनानी हैं।
आपके पतीके इस महान ऐतिहासिक और प्रशंसनीय विश्वसेवा कार्य के सफलता के लिए आपने आपके पतीकी हरतरह की मदत करके उनकी जिंदगीभर अच्छि सेवा-सुश्रूशा करके उन्हें उनके विश्वसेवा कार्य में प्रेरणा और स्फुर्ती दि है। आपके इस महान कार्यके गौरव हेतु आपको
महायोद्धावीर पत्नी
यह उपाधी कृतज्ञता के साथ सहर्ष प्रदान की जा रही है।
टी. एल. सुलाणी अध्यक्ष/संपादक।
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इसके अतिरिक्त रोशन लाल सूद जी को 1945 में द्वितीय महायुद्ध जीतने के बाद 24 अक्टूबर 1939 में स्थापित हुए संयुक्त राष्ट्र समझावां विश्व शांति और स्वातंत्र्य अभियान मे हिस्सा लेने पर जागतिक स्वातंत्र्य सैनिक सम्मान पत्र से सम्मानित किया गया, सम्मान पत्र का अनुवाद करने की कोशिश की गई है जो इस तरह से है:-
जागतिक
नदिन] १८ फरवरी १९९७ के शुभ अवसरपर
यसैनिक
सन्मानपत्र Roshan Lal Sood Grewal Estate, Dist :- Solam, (H.P)
जागतिक स्वातंत्र्य सैनिक श्री.
आपने ७ मई १९४५ में द्वितीय महायुद्ध जितने के बाद, २४ ऑक्तुबर १९४५ में स्थापन हुये संयुक्त राष्ट्र संघद्धावा विश्वशांती और स्वातंत्र्य अभियान से स्फुर्ति लेकर और आजादी के लिए १८५७ के लष्करी आंदोलन के जैसा श्री लकवी उठाव करने के स्वा. बीके से प्रेरणा लेकर १८ फरवरी १९४६ में ब्रिटीश साम्राज्यशाही के खिलाफ लष्करी स्वातंत्र्य आंदोलन में सक्रीय सहभाग लिया है। इससे १५ अगस्त १९४६ को भारत को हंगामी आजादी पाने में सफलता मिली है। और पूर्ण आजादी के लिए जुल्मी ब्रिटीश साम्राज्यशाहीकी लष्करी शक्ति नष्ट करने के हेतु से सेना दल की नौकरी का त्याग करने से १५ अगस्त १९४७ से भारत के साथ सारे जहाँ के सभी राष्ट्रों को स्वातंत्र्य प्राप्त हुआ है। इसी तरह भारत के सहीत संसार के सभी राष्ट्र को आजादी दिलानेवाले आप जागतिक स्वातंत्र्य सैनिक सम्मानपत्र के हकदार बने हुये हैं। इसलिये इस महान त्याग और बलिदान के
गौरबहेतू आपको
जागतिक स्वातंत्र्य सैनिक यह केवमहर्षप्रा है।
टी. एल. मुलाणी
दुसन्या महायुद्धातील सैनिकांची कल्याणकारी संघ आणि यांच्या संयुक्त
/३१२
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इसके अतिरिक्त उन्हें जागतिक सैनिक के रूप में स्वातंत्र्य सैनिक सम्मान पत्र से भी नवाजा गया जिसका अनुवाद करने की कोशिश की गई है जो इस प्रकार से है;-
जागतिक सैनिक
Roshan Lal Sood
Grewal Estate, Dist :- Solam. (H.P)
जागतिक स्वातंत्र्य सैनिक श्री.
आपने ७ मई १९४५ मे द्वितीय महायुद्ध जितने के बाद, २४ आँखाव १९४५ में स्थापन हुये संयुक्त राष्ट्र संघद्धावा विश्वशांती और स्वातंत्र्य अभियान से स्फुर्ति लेकर और आजादी के लिए १८५७ के लष्करी आंदोलन के जैसा श्रीलकी ठाने के साथ के आवाहन से प्रेरणा लेकर १८ फजी १९४६ में ब्रिटीश साम्राज्यशाही के खिलाफ लष्करी स्वातंत्र्य आंदोलन में सक्रीय सहभाग लिया है। इससे १५ अगस्त १९४६ को भारत को हंगामी आजादी पाने में सफलता मिली है। और पूर्ण आजादी के लिए जुल्मी ब्रिटीश साम्राज्यवाही की लष्करी शक्ति नष्ट करने के हेतु से सेना दल की नौकरी का त्याग करने से १५ अगस्त १९४७ से भारत के साथ सा जहाँ के सभी राष्ट्रों को स्वातंत्र्य प्राप्त हुआ है। इसी तरह भारत के सहीत संसार के सभी राष्ट्रों को आजादी दिलाने आप जागतिक स्वातंत्र्य सैनिक सम्मानपत्र के हकदार वाले बने हुये हैं। इसलिये इस महान त्याग और बलिदान के
गौरव हेतू आपको
जागतिक स्वातंत्र्य सैनिक यह उपाधी ही है।
टी. एल. मुलाणी
दुसन्या महायुद्धातील सैनिकांची कल्याणकारी संघटदा बिहानी आणि जाकियां संयुक्त।
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उल्लेखनीय है कि श्री रोशन लाल सूद जी ने अपनी जवानी जहां देश सेवा में लगाई तथा उनकी पत्नी श्रीमती माया सूद ने उनका भरपूर साथ दिया और उनकी प्रेरणा स्रोत बनी रहीं।
Maya Devi
घर की जिम्मेदारियों को संभाला ताकि वह देश सेवा कर सके यह श्रीमती माया शोध जी का त्याग और परिश्रम ही था कि उन्होंने अपनी चार बेटों और एक बेटी की शिक्षा अच्छे स्कूलों में करवाई जिसकी वजह से उनके बड़े पुत्र विजय सूद एडिशनल सडीओ रिटायर हुए दूसरे विनोद सूद एक सफल बिजनेसमैन थे तीसरे पुत्र सुनील सूद बैंक मैनेजर रिटायर हुए तथा चौथे पुत्र ऑस्ट्रेलिया में पुलिस अधिकारी बने तथा वह वहीं पर सेटल हो गए । उनकी पुत्री भी एक सफल ग्रहणी और साथ ही बिजनेसवुमैन भी रही है।
हालांकि श्री रोशन लाल सूद तथा माया सूद का काफी समय पहले देहांत हो गया है परंतु उनका परिवार आज भी उनके आशीर्वाद से सफल जीवन बिता रहे हैं।
Young Roshan Lal Sood
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