अनिवार्य सेवानिवृत्ति के फैसले के खिलाफ पूर्व सत्र न्यायाधीश की याचिका खारिज

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नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने पूर्व अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राजिंदर गोयल की याचिका को खारिज कर दिया। पूर्व न्यायाधीश राजिंदर गोयल ने याचिका में कहा कि बड़ी मात्रा में धन की जमा और निकासी को दर्शाने वाले कई लेन-देन थे।

इस याचिका पर सुनवाई न्यायाधीश उदय उमेश ललित और न्यायाधीश अजय रस्तोगी की पीठ कर रही थी। बता दें कि पूर्व न्यायाधीश राजिंदर गोयल ने हरियाणा के राज्यपाल के पांच जनवरी 2021 के आदेश को भी चुनौती दी थी। इसमें यह आरोप लगाया गया था कि पूर्ण अदालत ने इस तथ्य के बावजूद दंडात्मक कार्रवाई की कि सतर्कता/अनुशासनात्मक समिति की दो रिपोर्टों ने उन्हें दोषमुक्त कर दिया था।

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि इस मामले में मौजूद तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखने के साथ बड़ी मात्रा में धन की जमा और निकासी को दर्शाने वाले कई लेन-देन के रिकॉर्ड को देखते हुए, यह बात नहीं कही जा सकती है कि पूर्ण न्यायालय का यह विचार करना उचित नहीं था कि उसने ऐसा किया। पीठ ने आगे कहा कि हमें इस मामले में अलग दृष्टिकोण रखने का कोई कारण नहीं दिखाई देता है।

बता दें कि शीर्ष अदालत ने पूर्व जज को अपनी शिकायत के साथ उच्च न्यायालय के पास जाने की सलाह दी थी। लेकिन, बाद में अदालत ने पूर्व न्यायाधीश के अनुरोध को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि अब उसने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। शीर्ष अदालत की पीठ ने पूर्व न्यायाधीश की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि पूर्ण न्यायालय सतर्कता या जांच समितियों के निष्कर्षों से बाध्य है।

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