
*पूज्य बापूजी की हितकारी संदेश*
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अरबी खाना हितकारी है l*
निशा आर्य
PALAMPUR
*अरबी के बड़े-बड़े पत्तों की भी बहुत अच्छी सब्जी बनती है l अरबी के पत्ते फेंकने नहीं चाहिए, गाय भैंस को नहीं खिलाने चाहिए l* बन की सब्जी में डालने चाहिए क्योंकि यह
बल प्रद होते हैं l
*उच्च रक्तचाप ( Hyper* Tension)
*थोड़ी अरबी भोजन में खाना शुरू करो l* और ओम शांति शांति जपो l इससे उच्च रक्तचाप में कईयों को आराम हुआ है l
*अरबी के अन्य लाभकारी प्रयोग*
*त्वचा का सूखापन और झुरिया भी अरबी दूर करती है l* सूखापन चाहे आंतों में हो या श्वास नली में, अरबी खाने से लाभ होता है l
इसके मुलायम पत्तों का 20 मिली रस जीरे के चूर्ण में मिलाकर देने से *पित्त प्रकोप मिट जाता है l*
इसकी सब्जी खाने से *दुग्ध पान कराने वाली
महिलाओं का दूध बढ़ता है l*
स्वास्थ्य और
बाल बढ़ाने के लिए उपयोगी है अरबी l
आयुर्वेद के अनुसार अरबी स्निग्ध, बलकारक, कफ नाशक और तेल में पकाने से रुचिकारक होती है l
इसमें *कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, रेशे (Fibres), विटामिन ए, बी, सी, ई के एवं सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, जिंक, सेलेनियम, कॉपर आदि* पोषक तत्व पाए जाते हैं l
*यह आलू की अपेक्षा डेढ़ गुना अधिक पौष्टिक होती है l*
*अरबी के औषधीय गुण व उसके पोषक तत्व कैंसर से बचाते हैं l* पाचन तंत्र, हृदय, मांसपेशियों, एवं प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते हैं, आंखों की रोशनी बढ़ाते हैं, वजन नियंत्रित रखते हैं l
*हृदय रोगों में फायदेमंद होती है l*
*यकृत (liver) की वृद्धि में, बवासीर व मानसिक अवसाद की तकलीफ में* एवं Nervous System के लिए अरबी की सब्जी का सेवन लाभदायक होता है l
अरबी के पत्तों में कैलशियम, पोटैशियम, Anti Oxidants और विटामिन ए, बी एवं सी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं l
*अरबी सेवन में रखें ये सावधानियां*
*यह वात कारक सब्जी है इसलिए वात के शमन के लिए अदरक व लहसुन डाला जाता है l*
अरबी को कच्ची ना खाएं l
अरबी का सेवन वात् विकारों से पीड़ित व्यक्ति के लिए हानिकारक होता है l
गुर्दे में पथरी वाले व दमे से पीड़ित व्यक्ति को अरबी के पत्तों की सब्जी नहीं खानी चाहिए l
*पचने में भारी होने के कारण इसका सेवन कम मात्रा में ही करना चाहिए l*
*आलू भूलकर भी ना खाएं l*
*पूज्यश्री ने हितभरी कुंजियों के बारे में बताते हुए कहा है कि “फिर से कहता हूँ आलू रद्दी में रद्दी कंद है l उसे ना खाएं और उसका विकल्प अरबी भी दे दिया है l”*
*सभी साधकों के लिए एक जरूरी सूचना यह है कि पूज्य बापूजी के कथन अनुसार
आलू एक नीच कंद है* l
शास्त्रों में उल्लेख है इसीलिए यह खाने योग्य नहीं हैं l जब व्यक्ति मरने वाला हो और खाने को कुछ ना मिल रहा हो तब आलू को भूनकर, धोकर फिर ही खाना चाहिए l
*विश्व में आधे से ज्यादा हार्टअटैक आलू खानेवालों को हो रहा है l साधकों को आलू खाने से बचना चाहिए l*
पहले आलू खाने से जहर जो शरीर में बना है *रात को सोने से पहले त्रिफला चूर्ण 3 ग्राम पानी के साथ ले लेने से वह जहर बाहर निकल जाएगा l*
*यह संदेश सभी तक पहुंचाने की सेवा करनी चाहिए l*
इसी तरह के
*सत्संग*,
*भजन*,
*घर में सुख शांति व
स्वास्थ्य आदि के उपाय* आदि नित्य प्राप्ति हेतु
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