Indus Valley Civilization: गुजरात (Gujarat) के धोलावीरा को यूनेस्को (UNESCO) की विश्व धरोहर (World Heritage sites) में शामिल किया गया है। हड़प्पा काल के इस शहर को विश्व धरोहर बनाए जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने भी खुशी जाहिर की थी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण में इस शहर की योजना और वास्तुकला की भी काफी तारीफ की गई है।
धोलावीरा को वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट (World Heritage sites) में शामिल करने की जानकारी देते हुए यूनेस्को (UNESCO) ने कहा था कि भारत में हड़प्पा काल के धोलावीरा शहर को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति के 44 वें सत्र के दौरान धोलावीरा और रामप्पा मंदिर को इस सूची में शामिल किया गया। धोलावीरा को शामिल किए जाने के बाद अब गुजरात में चार विश्व धरोहर स्थल हो गए हैं। अहमदाबाद, चंपानेर और पाटन में रानी की वाव को पहले से ही विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त है।
धोलावीरा गुजरात के कच्छ जिले के भचाऊ में स्थित है। यहां सिंधु घाटी सभ्यता के कई खंडहर हैं. कहा जाता है कि करीब 3500 ईसा पूर्व ही यहां लोग बसने लगे थे और करीब 1800 ईसा पूर्व तक यह शहर मौजूद था। धोलावीरा के बारे में कहा जाता है कि यह हड़प्पा काल का प्रमुख महानगर था। हड़प्पा काल के इस शहर में उस ज़माने की लिपि में लिखे गए कुछ अवशेष भी मौजूद हैं। हालांकि अभी तक इन लिपि को कोई पढ़ नहीं पाया है।
सरकार की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार, इस धरोहर के दो हिस्से हैं। एक दिवार से घिरा हुआ शहर और इसके पश्चिमी हिस्से में एक कब्रिस्तान स्थित है। कहा जाता है कि यह शहर करीब 1500 सालों तक फला-फूला। ASI के अनुसार, धोलावीरा में हुई खुदाई में सात सांस्कृतिक चरणों का पता चला है, जो सिंधु घाटी सभ्यता के विकास और पतन की गवाही देते हैं। इसके अलावा धोलावीरा के दो खुले मैदानों और जल संचयन प्रणाली का खासतौर से जिक्र किया गया है।
यूनेस्को की वर्ल्ड हैरिटेज कमेटी ने कहा कि दक्षिण एशिया में तीसरी से दूसरी मध्य सहस्राब्दी ईसा पूर्व के बीच यह सबसे उल्लेखनीय और अच्छी तरह से संरक्षित की गई शहरी बस्ती है। विज्ञप्ति के अनुसार, ‘1968 में खोजी गई यह जगह अपनी खास विशेषताओं के कारण अलग है। जैसे- जल प्रबंधन, कई स्तरों वाली रक्षा व्यवस्था, निर्माण में पत्थरों का अत्याधिक इस्तेमाल और दफन करने की खास संरचनाएं।’
गौरतलब है कि खुदाई के दौरान यहां तांबे, पत्थर, टेराकोटा के आभूषण, सोने की कलाकृतियां मिली थीं। ASI का कहना है कि सभ्यता के शुरुआती चरणों से पता चलता है कि निवासी भवनों को प्लास्टर करने के लिए रंगीन मिट्टी को तवज्जो देते थे, लेकिन बाद में यह अचानक से खत्म हो गया।
इस दौरान प्रधानमंत्री अपने धोलावीरा यात्रा की तस्वीरें भी साझा की थी। तस्वीरों को शेयर करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा कि मैं अपने विद्यार्थी जीवन में पहली बार धोलावीरा गया था और उस जगह को देखकर मंत्रमुग्ध रह गया था। गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर मुझे धोलावीरा में धरोहर स्थल संरक्षण और पुनर्निमाण कार्य से जुड़े पहलुओं पर काम करने का अवसर मिला। हमारी टीम ने वहां पर्यटन के लिहाज से बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए भी काम किया था।