Prayagraj Flood: संगम नगरी प्रयागराज में कल से लगातार बारिश हो रही है. पिछले 24 घंटों से लगातार हो रही बारिश ने जहां एक तरफ आम जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है, वहीं इसने बाढ़ प्रभावित इलाकों में रहने वाले लोगों की मुसीबतों को और बढ़ा दिया है. लगातार हो रही बारिश की वजह से राहत और बचाव का काम भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है. बारिश के चलते शहर के कई इलाकों में जलभराव हो गया है. सड़कों और गलियों में घुटनों तक पानी भर गया है और बाढ़ की तबाही के बीच लोगों को दोहरी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
संगम नगरी प्रयागराज में गंगा-यमुना और टोंस जैसी नदियां लगातार उफान पर हैं. यह सभी नदियां आज लगातार चौथे दिन भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. गंगा नदी जहां खतरे के निशान से तकरीबन डेढ़ मीटर ऊपर बह रही है तो वही यमुना एक मीटर ऊपर. टोंस नदी ने तो जबरदस्त तबाही मचा रखी है. बाढ़ का पानी हर घंटे नए इलाकों में घुसता जा रहा है और राहत व बचाव के काम ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहे हैं.
प्रयागराज में आई जबरदस्त बाढ़ ने जहां एक लाख से ज्यादा लोगों को प्रभावित किया है. हजारों लोग बेघर हो गए हैं. तमाम लोगों को राहत कैंपों में शरण लेनी पड़ी है, वहीं इसने लोगों की आस्था पर भी जबरदस्त असर डाला है. संगम जाने वाले सभी रास्ते बाढ़ के पानी में लगातार डूबते और समाते जा रहे हैं. लेटे हुए हनुमान जी के मंदिर और आरती स्थल का अब पता तक नहीं चल रहा है. तमाम दूसरे मठ मंदिर और आश्रम भी बाढ़ के पानी में डूबे हुए हैं. संगम पर दर्शन पूजन व आस्था की डुबकी लगाने के लिए रोजाना हजारों की संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं को मायूस होकर वापस लौटना पड़ रहा है. संगम की तरफ जाने वाले सभी रास्ते काफी पहले ही बैरिकेट्ड कर बंद कर दिए गए हैं.
लोगों की परेशानी लगातार बढ़ती जा रही है
संगम नगरी प्रयागराज में आई जबरदस्त बाढ़ में तबाही और बर्बादी की अलग-अलग तस्वीरें देखने को मिल रही हैं. लोगों के दर्द की नई नई कहानियां सामने आ रही हैं. लोग खासे परेशान हैं. ऐसे में गंगा की रेती पर मचान बनाकर साधना व तपस्या करने वाले बाबा को भी हटा दिया गया है. यह मचान वाले बाबा करीब 50 मीटर ऊंचाई पर बने मचान में ही बैठकर लोगों को दर्शन देते थे, लेकिन बाढ़ की तबाही के बीच प्रशासनिक अफसरों ने इन्हें समझा-बुझाकर अब सुरक्षित जगह भेज दिया है.
प्रयागराज में बाढ़ के हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. सबसे ज्यादा असर गंगा के तटवर्ती इलाकों में देखने को मिल रहा है. शहर से सटे हुए झूसी इलाके में कई बिल्डिंग तो पूरी तरह बाढ़ के पानी में समा गई हैं. उनका सिर्फ ऊपरी हिस्सा ही कुछ फीट तक नजर आ रहा है लोग खासे परेशान हैं लेकिन उन तक सरकारी अमला नहीं पहुंच पा रहा है. किसी को खाने की दिक्कत हो रही है तो किसी को पीने का पानी नहीं मिल पा रहा है. लोगों की परेशानी लगातार बढ़ती जा रही है और कोई भी उनकी मदद करने को सामने नहीं आ रहा है.