मंदिरों में चढ़े फूलों से अब न सिर्फ अगरबत्ती बनेगी बल्कि पर्स और जैकेट भी बनेगा। इसके लिए नगर निगम प्रशासन कानपुर फ्लावरसाइकिलिंग प्राइवेट लिमिटेड (केएफपीएल) से करार करेगा। कंपनी को शहर में एक हजार वर्गमीटर जमीन किराए पर दी जाएगी। यही कंपनी तकरीबन 80 लाख रुपये का निवेश कर मशीन लगाएगी, जिससे सैकड़ों महिलाओं को रोजगार भी मिलेगा।
गोरखपुर के मंदिरों में रोजाना दो टन से ज्यादा फूल चढ़ाए जाते हैं। यह फूल बाद में फेंक दिए जाते हैं। फूल से अगरबत्ती और अन्य सुगंधित उत्पादन बनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। इसे देखते हुए कमिश्नर रवि कुमार एनजी की पहल पर केएफपीएल ने शहर में काम करने की इच्छा जताई है।
नगर निगम करेगा कानपुर फ्लावरसाइकिलिंग प्राइवेट लिमिटेड से करार
केएफपीएल के डायरेक्टर अंकित अग्रवाल ने नगर आयुक्त अविनाश सिंह से मुलाकात कर फूलों से निर्मित उत्पादों के बारे में जानकारी दी। बताया कि फूलों से न सिर्फ अगरबत्ती बनेगी बल्कि चमड़े के पर्स, जैकेट की तरह फ्लेदर पर्स व जैकेट का भी निर्माण किया जाएगा। यह सभी इकोफ्रेंडली होंगे। अभी जानवरों के खाल से चमड़े के पर्स, जैकेट का निर्माण हो रहा है।
कान्हा उपवन में दी जा सकती है जगह
नगर निगम प्रशासन कंपनी को मशीनों की स्थापना के लिए कान्हा उपवन में जगह दे सकता है। इसके लिए मंगलवार को कंपनी के डायरेक्टर अंकित अग्रवाल को जगह दिखायी गई। अगले सप्ताह कंपनी जुड़े लोग शहर में आएंगे और मंदिरों का सर्वे कर चढ़ाए जाने वाले फूलों की मात्रा की रिपोर्ट बनाएंगे।
गोबर से निर्मित होगी अगरबत्ती
नगर आयुक्त अविनाश सिंह ने बताया कि कंपनी गोबर से अगरबत्ती समेत अन्य उत्पाद बनाएगी। इस अगरबत्ती में कोई केमिकल नहीं मिलाया जाएगा। साथ ही समय-समय पर अगरबत्ती और गोबर निर्मित अन्य उत्पादों को जलाने से निकलने वाले धुएं में कार्बन डाइ आक्साइड की मात्रा की जांच कर रिपोर्ट देगी।
काशी विश्वनाथ मंदिर में शुरू हुआ काम
केएफपीएल ने काशी विश्वनाथ मंदिर में चढ़ाए जाने वाले फूलों से अगरबत्ती और अन्य उत्पाद बनाने का करार किया है। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट से हुए करार में कंपनी रोजाना डेढ़ टन फूल लेगी।
गोरखनाथ मंदिर कर चुका है यह प्रयोग
इसके पहले गोरखनाथ मंदिर इस दिशा में प्रयास कर चुका है। एक कंपनी ने गोरखनाथ मंदिर प्रबंधन से फूलों से अगरबत्ती बनाने का अनुबंध किया था। इस दिशा में भी काम हो रहा है।