लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही सदन मॉनसून सत्र में बिल्कुल बंधक बन कर क्यों रह गये?

क्या यह आयकर दाताओं के पैसों का दुरुपयोग नहीं

0

Editorial:-

Bksood Chief Editor

Bksood: Chief Editor

लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही सदन मॉनसून सत्र में बिल्कुल बंधक बन के रह गये।
दोनों सदनों में काम के नाम पर कुछ नहीं हो रहा है ,जबकि लोकसभा का 1 घंटे का खर्चा लगभग 1.5 करोड़ रुपए होता है और राज्यसभा का 1 घंटे का खर्चा 1.1 करोड़ होता है ,इस तरह से दोनों सदनों का हर घंटे का खर्चा लगभग 2.60 करोड़ बनता है ,जो हमारे माननीय सदस्यों की पे और पर्क्स जाता है।
हर घंटे 2.6 करोड़ खर्च होते हैं परंतु काम 1 रुपये का भी नहीं होता ।
क्या यह ढाई करोड रुपए जनता का नहीं है ,टैक्सपेयर्स का नहीं है। भारत में मजदूर भी अगर कोई सामान खरीदता है तो वह उस पर किसी न किसी रूप में टैक्स अदा करता है चाहे वह जीएसटी के रूप में सेल टैक्स के रूप में हो ,और जो दूसरे लोग हैं जिनकी इनकम थोड़ी ज्यादा है वह इनकम टैक्स के रूप में तथा अन्य टैक्सों के रूप में सरकार को पैसा देते हैं, और इन्हीं पैसों से सरकार चलती है। जनप्रतिनिधियों को हम देश की तरक्की और देश की खुशहाली और विकास के लिए वोट करते हैं परंतु हमारे माननीय लोकसभा और राज्यसभा में जाकर क्या हंगामा करते हैं इसका ताजा उदाहरण आज उस समय मिला जब देश के माननीय उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के अध्यक्ष वेंकैया नायडू की आंखों से आंसू छलक पड़े कि वह सदन की यह दशा देखकर पूरी रात सो नहीं पाए और सुबह जब उन्होंने सदस्यों से वार्तालाप किया तो वह अपने जज्बात को रोक नहीं पाए और सिसक कर रो पड़े।
हम भारतीयों की एक खासियत है कि हम हमेशा अपने हित को अपनी पार्टी के हित को अपने देश हित से ऊपर रखते हैं ।देश हित को सबसे बाद में तरजीह देते हैं ।जबकि निजी हित और पार्टी हित के लिए खूब चीखेंगे चिल्लायेंगे और उस पर खूब हो हल्ला करके देश का जितना अधिक नुकसान हो सके करने की कोशिश करेंगे ।
हमें देश से कुछ नहीं लेना देना हमें हमारे हक सुरक्षित चाहिए हमारी पार्टी की राजनीतिक भविष्य सुरक्षित इसके लिए चाहे देश हित को ही क्यों ना कुर्बान करना पड़ जाए ।ऐसा नहीं है कि सदन में बिल्कुल भी काम नहीं हुआ हैरानी की बात तो यह है लोकसभा में लगभग 21 घंटे काम हुआ और उसमें 20 बिल पास कर दिए गए राज्यसभा में भी लगभग 23 घंटे का काम होगा और 21 बिल पास कर दिए गए तो अगर माननीय लोग चाहें तो वह हर 1 घंटे में एक बिल पास करवा सकते हैं ,परंतु यह हमारी संसद है यहां पर कई बिल महीनों से नहीं कई वर्षों से लटके पड़े हैं परंतु हम अपने पार्टी के हित के लिए उन्हें पास करवाते नहीं या पास होने नहीं देते। सत्तारूढ़ पार्टी कोई भी हो वह सत्ता में रहने के लिए साम दाम दंड भेद की सभी नीतियां अपनाती हैं ,तथा विपक्ष में कोई भी पार्टी है वह या तो मूकदर्शक बनकर तमाशा देखते रहते हैं या सत्तारूढ़ पार्टी को काम नहीं करने देते ,यही हमारे देश का दुर्भाग्य है ।
देश हित के लिए सत्तारूढ़ और विरोधी पार्टियों को एकमत होकर देश के हित के लिए लोगों के हित के लिए लोकसभा और राज्यसभा में निर्णय लेने चाहिए तुष्टीकरण की नीति को हमें त्यागना पड़ेगा तभी देश का भला होगा।

Leave A Reply

Your email address will not be published.