सोच का फर्क।

कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति प्रोफेसर हरेंद्र कुमार चौधरी ने प्रेषित की शुभकामनाएं

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Bksood chief editor

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सोच का फर्क।
कृषि विश्वविद्यालय को बने हुए लगभग 43 वर्ष हो गए हैं तथा तब से लेकर आज तक हर वर्ष कृषि विश्वविद्यालय में स्वतंत्रता दिवस बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता रहा है। जितने भी हेड ऑफ़ इंस्टीटूशंस रहे हैं उन्होंने अपने अपने हिसाब से अपनी योग्यता के अनुरूपऔर अपने संसाधनों के अनुसार स्वतंत्रता दिवस को धूमधाम से मनाया। लेकिन जब से प्रोफेसर हरेंद्र कुमार चौधरी ने कृषि विश्वविद्यालय की कमान संभाली है कृषि विश्वविद्यालय को नया जीवन मिला है ।


लगता है जैसे इस विश्वविद्यालय की उमर 43 की ना हो कर 25 की हो गई हो और वह अपने योवन काल में लौट आया हो। विश्वविद्यालय में इन दिनों जो पॉजिटिव वाइब्स चल रही हैं वह शायद पहले कभी भी इतनी अधिक देखने में नहीं मिली ।
हां डॉक्टर तेज प्रताप के समय में भी काफी पॉजिटिव वाइब्स थी तथा लोगों के मनों में उत्साह और संस्थान के प्रति स्नेह और लगाव बढ़ा था और उन्होंने कहा था कि आप इस इंस्टिट्यूशन से यह मत पूछिए कि यह हमें क्या दे रहा है आप स्वयं से यह पूछिए कि आप अपने इंस्टिट्यूशन के लिए क्या कर रहे हैं, इंस्टिट्यूशन को क्या दे रहे हैं ।


अक्सर हमारे दिलो-दिमाग में यह संदेश घर कर जाता है कि देश हमारे लिए क्या कर रहा है। अगर इसके स्थान पर यह विचार आ जाए कि हम देश के लिए क्या कर रहे हैं, तो देश का कल्याण होना निश्चित हो जाये ।
इसी तरह से किसी भी संस्थान से संबंधित लोग यदि यह सोचे कि संस्थान से हमें क्या मिल रहा है ,संस्थान हमें क्या दे रहा है तो संस्थान उतनी उन्नति नहीं कर पाता।

इसके विपरीत जिस दिन हमारे दिलों दिमाग मे यह बात आ जाए कि हम संस्थान के लिए क्या कर रहे हैं तो उस संस्थान का उत्थान भी अवश्यमेव ही होता है।


संस्थान हमें क्या दे रहा है यह हमारी सोच में नहीं होना चाहिए परंतु हम उस संस्थान के लिए क्या कर रहे हैं यह हमारी सोच में होना चाहिए। ऐसी सोच से ही किसी भी संस्थान या देश की उन्नति और तरक्की होती है।
जब देश के नागरिकों में और संस्थान के कर्मचारियों और ऑफिसर्स में ऐसी सोच आ जाती है तो उस देश के या संस्थान के तरक्की में कभी कोई बाधा रोड़ा नहीं बन सकती, और यह बहुत कुछ निर्भर करता है देश के प्रमुख पर और संस्थान के प्रमुख पर, वरना देश हो या संस्थान कभी रुकते नहीं अपने परंपरागत ढर्रे पर चलते रहते हैं जिसमें ना किसी का कोई इंटरेस्ट होता है और ना ही उत्थान या विकास की बात होती है ,केवल मात्र समय पास किया जाता है ,क्योंकि जिस गति से तरक्की होनी होती है वह  उस गति से नहीं हो पाती।
हां यह बात अलग है कि संस्थान या देश रुकते नहीं चलते रहते हैं।परन्तु महत्वपूर्ण यह होता है कि आप किस गति से आगे बढ़ रहे हैं।
प्रोफ़ेसर हरेंद्र कुमार चौधरी ने जब से कृषि विश्वविद्यालय की कमान संभाली है तब से काफी कुछ परिवर्तन देखने में मिल रहा है ।चाहे वह प्रशासनिक स्तर पर हो, शैक्षणिक स्तर पर हो ,रिसर्च और एक्सटेंशन के स्तर पर हो, विद्यार्थियों का मामला हो या संस्थान के सौंदर्यकरण का विषय हो ,सभी विषयों पर काफी ध्यान दिया जा रहा है जिसके रिजल्ट सभी लोगों की नजरों में आ भी रहे हैं ।
लोग कुछ खुलकर और कुछ दबी जुबान से इन परिवर्तनों की प्रशंसा कर ही रहे हैं ।


स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर हरेंद्र कुमार चौधरी ने सभी पूर्व तथा वर्तमान कर्मचारियों अधिकारियों वैज्ञानिकों तथा विद्यार्थियों को हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित की हैं। ।

 

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