क्या है महंगाई बढ़ने की असली वजह?
(लेखक रमेश भारद्वाज उर्फ रमेश चन्द की कलम से )
जैसे की हम सब (आम आदमी), चाहते है, की हमारे बच्चे और खास खास रिश्तेदार अच्छी तरह से सैटल हो जाएं, वैसे ही, हमारे कुछ नेता लोग भी चाहते है, कि उनके बच्चे और उनके खास रिश्तेदार भी अच्छे से सैटल हो जाएं।
आम जनता सैटल होती है हजारों में, और कुछ नेताओं की फैमिली या रिश्तेदार सैटल होते है, अरबों और खरबों में।
आम जनता को न ही तो भ्रष्टाचार करने का मौका मिलता है, और न ही तो वो भ्रष्टाचार करती है, और न ही तो उनमें ऐसी हिम्मत आती है, की वो भ्रष्टाचार करे।
ठीक इसी प्रकार, हमारे कुछ एक नेताओं को भ्रष्टाचार करने का मौका भी मिलता है, और वो भ्रष्टाचार करते भी। अगर भ्रष्टाचार नहीं करते हैं, तो फिर जो भी वार्षिक बजट, फरवरी महीने में सारा दिन चलता है, उस में पारदर्शिता क्यूं नही होती?
एक आम आदमी अगर कोई बिजनेस भी करता है, तो इस पर हमारे नेताओं की पैनी नज़र रहती है, लेकिन अगर कोई बड़ा बिजनेस मैन, कुछ ऐसा करता है, तो उस पर किसी नेता की नज़र नही रहती, क्यूंकि वह बिजनेसमैन, किसी न किसी राजनेता का अपना भाई, भतीजा, भांजा या खास रिश्तेदार होता है।
आम आदमी ज्यादा से ज्यादा सपने देखता है गाड़ी लेने के, लेकिन बिजनेस मैन सपने देखता है, हेलीकॉप्टर लेने के। अब इसके लिए वो भ्रष्टाचार भी करता है और आम जनता से 12-12 घंटे काम भी करवाता है। अगर कोई 12 घंटे काम नहीं करता तो उसके लिए वो लेबर लॉ इत्यादि को भी बदलवा देता होगा, क्यूंकि ऐसे नियम बदलना आम जनता के हाथ में नहीं, अपितु कुछ एक राजनेताओं के हाथ में है।
कुछ राज नेताओं के पास कोई ऐसा विज़न नहीं होता, की वो कुछ ऐसा करे, जिससे आम जनता को फ़ायदा पहुंचे। अगर उनके पास कोई विजन है भी तो वो सिर्फ और सिर्फ केवल अपने बच्चों और रिश्तेदारों तक ही सीमित है।
अब हम सब आम लोगों ने, ये तय करना है कि :
(01) हम किस के साथ चलें? उपरोक्त नेताओं के साथ या आम जनता के साथ?
(02) हम किस के साथ चलें? पुरानी राजनैतिक पार्टियों के साथ या नई पार्टियों के साथ?
(03) हम किस को अपना नेता चुने? जो पहले से ही भ्रष्टाचारी है, उसे या किसी नए व्यक्ति को मौका दे कर देखें।
(04) सभी बोलते हैं, परिस्थितियों के हिसाब से अपने आप को बदलो, पर मैं मानता हूं, वर्तमान ख़राब परिस्थितियों को बदलो। अब आप खुद तय करें, की क्या सिर्फ खुद को बदलने से परिस्थितियां बदलेंगी या वर्तमान परिस्थितियों को बदलने से परिस्थितियां बदलेंगी।
उपरोक्त लेखक एक सक्रिय सार्वजनिक कार्यकर्ता, प्रेक्षक और विचारक भी है ।
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