मरना तो सबको है, तो क्यूं नहीं शमशान घाटों को और वहां जाने वाले रास्तों को बनाया जाए अच्छा..

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मरना तो सबको है, तो क्यूं नहीं शमशान घाटों को और वहां जाने वाले रास्तों को बनाया जाए अच्छा..

रमेश भारद्वाज उर्फ रमेश चन्द
सार्वजनिक कार्यकर्ता, लेखक एवं विचारक/प्रेक्षक।

कोई बच्चा कब इस दुनियां में आयेगा, इस का अंदाज़ा तो फिर भी हो ही जाता है। लेकिन कौन सा दिन किसी का अंतिम दिन हो, इसका अंदाज़ा लगाना असंभव है। हम सभी ने कई बार, ये देखा है और सामना भी किया है, कि कई जगहों पर शमशान घाटों को जाने वाले रास्तों की हालत ठीक नहीं है, और जब भी किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो ऐसे व्यक्ति को शमशान घाट तक पहुंचाने तक, काफी कठिनाई महसूस करनी पड़ती है। ठीक इसी तरह की परेशानी को अभी हालही में, निचले खरोह में हुई एक विधवा की मृत्यु के वक्त, स्थानीय और अन्य लोगो ने झेला है, जब वो मृत विधवा का पार्थिव शरीर, शव यात्रा के लिए ले जा रहे थे। यही नहीं, इससे पहले भी, लोगो को इस शमशान घाट का सामना करना पड़ा है।

स्थानीय लोगो ने जिसमे, कुलदीप, दलीप, गुरनाम सिंह, भागी रथ, सुरजीत, जोगिंद्र सिंह, प्रकाश चंद, संतोष, सारिका, मनदीप, संदीप, सरोज, सब्बू, नरेश कुमार, प्रवीण इत्यादि ने, चोलथरा क्षेत्र से संबंध रखने वाले सार्वजनिक कार्यकर्ता, लेखक एवं प्रेक्षक के माध्यम से, सीएम हेल्पलाइन के द्वारा, लिखित रूप में, इस समशान के रास्ते को तथा, लोगो के लिए बैठने की जगह बनाने के लिए, मुखमंत्री को लिखा है, उम्मीद है, सबंधित विभाग एवम् अधिकारी, स्थानीय लोगो को इस समस्या से, पक्का रास्ता तथा लोगो को बैठने की जगह बना कर, उनकी मदद करेंगे।

रमेश भारद्वाज उर्फ रमेश चन्द
सार्वजनिक कार्यकर्ता, लेखक एवं विचारक/प्रेक्षक।

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