बी के सूद चीफ एडिटर
(#पांच_राज्यों_के_चुनाव_आ_रहे_हैं — #ऋण_माफ़ी , #बिजली_बिल_माफी_और_कई_लोकलुभावने_वायदे_किये_जा_रहे_है) —
जब से आम आदमी पार्टी ने मुफ्त बिज़ली पानी देने का वायदा कर दिल्ली मे बहुमत प्राप्त किया है तब से सभी राजनैतिक पार्टियों मे चुनाव के समय मे लोकलुभावने वायदे करने की आपस मे प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई है। इस प्रतिस्पर्धा मे सभी पार्टियां कोई कम और कोई अधिक हिस्सा ले रही है। अभी कांग्रेस पार्टी जो के प्रियंका गांधी के नेतृत्व मे उत्तर प्रदेश मे अपनी खोई हुई जमीन फिर से वापिस लेने के लिए प्रयासरत है ने उत्तर प्रदेश मे प्रतिज्ञा यात्रा शुरू की है। प्रियंका गांधी ने कांग्रेस सरकार बनने के बाद पार्टी की जिन प्रतिज्ञाओं की घोषणा की है उनमे
(1) गेहूं की एम एस पी 2500 रूपये प्रति क्विंटल
(2) गन्ने का समर्थन मूल्य 400 रूपये प्रति क्विंटल
(3) बिजली के बिल आधे करने (4) कोरोना काल के बिजली के बिल माफ करने
(5) कोरोना ग्रस्त हर परिवार को 25000 रूपये देने का वायदा।
(6) सरकार बनने पर 20 लाख बेरोजगारों को सरकारी नौकरी देने का वायदा।
इसके अतिरिक्त छात्राओं को मुफ्त समार्ट फोन और स्कूटी देने का वायदा भी कांग्रेस पार्टी की प्रतिज्ञाओं मे शामिल है। यह कांग्रेस का अपना विषय है लेकिन मुझे उम्मीद है कि यदि कांग्रेस अपने दम पर उत्तर प्रदेश मे सरकार बनाने के लिए गंभीर है तो इन प्रतिज्ञाओं को लेने और जनता से वायदे करने से पूर्व उन्होंने आपस मे गंभीर चर्चा जरूर की होगी। उन्होंने यह विचार जरूर किया होगा कि इन वायदों को पूरा करने के लिए बजट की व्यवस्था कैसे होगी। प्रदेश की आय और खर्च का लेखा-जोखा भी समझा होगा।
मेरे हिसाब मे हर पार्टी को अपना घोषणा पत्र शपथ पत्र के साथ घोषित करना कानूनी तौर पर जरूरी होना चाहिए। पार्टी का घोषणा पत्र या प्रतिज्ञाएं मतदाताओं और पार्टियों के बीच एक इकरारनामा माना जाना चाहिए। सरकार बनने के बाद यदि पार्टियाँ वायदे पूरे न करे तो उनके पदाधिकारियों के खिलाफ अदालत मे मुकदमा चलाने के कानूनी प्रावधान होने चाहिए। मै भी एक बड़ी पार्टी की घोषणा पत्र समिति का सदस्य रह चुका हूँ। उस समय वह विरोध पक्ष की पार्टी थी। असल मे उस समय विरोध पक्ष के पास वह जरूरी जानकारियां नहीं होती जो इस प्रकार की घोषणाएं करते हुए होनी चाहिए। जब सरकार मे आते है तो बहुत सी जानकारियां और सीमाओं का पता चलता है। खैर पार्टियों को सिर्फ सत्ता हासिल करने के लिए लोकलुभावने वायदे नहीं करने चाहिए क्योंकि कई बार लोकलुभावने वायदों को पुरा करने के लिए विकास और इन्फरासट्रकचर के बजट मे कटौती करनी पड़ती है।
महेंद्र नाथ सोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश सरकार