हिमाचल भवनात्मक एकता दिवस पहली नवम्बर हेमांशु मिश्रा पालमपुर
हेमांशु मिश्रा एडिशनल एडवोकेट जनरल हिमाचल प्रदेश सरकार
BkSood chief Editor
इस वर्ष जब हिमाचल अपने पूर्ण राज्यत्व की स्वर्ण जयंती मना रहा है । वहीं आज यानी पहली नवम्बर का महत्व और भी बढ़ जाता है ।आज ही के दिन 1966 में पंजाब राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत हिमाचल प्रदेश में लाहौल स्पीति ,कुल्लू ,कांगड़ा , नालागढ़ और शिमला शहर पहाड़ी भाषा बोलने के कारण शामिल हुए थे । हिमाचल का क्षेत्रफल 27263 वर्ग किलोमीटर बढ़ गया था , जो अब 55673 वर्ग किलोमीटर है ।
हिमाचल में पंजाब से नए क्षेत्रों के मिलने के पश्चात पंजाब से पुनर्गठन एक्ट के तहत हिमाचल को पंजाब से 7.19% हिस्सा मिलना तय हुआ था ।
इस वर्ष हम 55 वर्ष बाद पंजाब से अपना हिस्सा , शानन प्रोजेक्ट और अन्य राजस्व में जायज हिस्से की पुनर्व्याख्या एवं हिमाचल के हितों की पैरवी के संकल्प लेने की शपथ ले सकते हैं ।
हिमाचल की लगभग सभी सरकारों ने इस मांग को आगे बढ़ाया , लेकिन दृढ़ता और प्रखरता से मामला शान्ता कुमार जी और प्रेम कुमार धूमल जी ने ही उठाया , सरकार बनते ही चंडीगढ़ में जय राम ठाकुर जी ने इस मामले में अपनी प्रतिबद्धता सभी के सामने रखी और आज तीन वर्ष बाद उन्होंने दृढ़ता से जोगिन्दरनगर में उन्होंने शानन को लेकर दावा किया तो आशा की नई किरण दिखाई दी है ।
वास्तव में हिमाचल को इस जायज हक़ के लिए न्यायलय में भी कड़ा संघर्ष करना पड़ा , । 27 सितम्बर 2011 को हिमाचल सरकार बनाम भारतीय संघ व अन्य के वाद में मामले के निपटारा करते हुए उच्चतम न्यायालय के माननीय न्यायधीश न्यायमूर्ति आर व रवीन्द्रन एवं ऐ के पटनायक की खंडपीठ ने पंजाब और हरियाणा सरकारों को हिमाचल के हिस्से के 7.19 % राजस्व , शानन पावर हाउस से हिस्सा , ब्यास प्रोजेक्ट और अन्य हक पुनर्गठन एक्ट की धारा 79 में वृहित व्याख्या की व हिमाचल के हिस्से देने के आदेश पंजाब हरियाणा के खिलाफ पारित कर दिए ।
हिमाचल सरकार ने माननीय उच्चतम न्यायालय में execution पेटिशन दायर की है जिसमे अभी तक पंजाब और हरियाणा सरकारों ने कुछ आपत्तियां की है जिसका निपटारा न्यायालय में लंबित है।
पहली नवम्बर भाषाई आधार पर हिमाचल के इतिहास, विकास और भूगोल को बदलने वाला दिन है , जब इतिहास और भूगोल बदलता है तो कई सामाजिक आर्थिक एवं भवनात्मक परिवर्तन होतें है । उथल पुथल मेलजोल के साथ स्वीकार्यरता भी बड़ा प्रश्न रहता है । इस परिवर्तन के पश्चात हिमाचल में क्षेत्रवाद के नाम पर राजनीति बड़े पैमाने पर हुई । नए पुराने , ऊपर नीचे हिमाचल की लंबी गहरी दीवार खड़ी हो गयी । सच मे टोपी की राजनीति में हिमाचल उलझ गया ।
कांगड़ा , लाहुल ,ऊना शिमला का हिमाचल की आर्थिकी में तरक्की में बहुत बड़ा योगदान है। साथ मे इन क्षेत्रों को भी हिमाचल में मिलने से लाभ हुआ है । अगर यह इलाके पंजाब में रह जाते तो राजनीतिक आर्थिक और सामाजिक तौर पर कहाँ होते यह सोच कर ही सिहरन दौड़ पड़ती है ।
भावनात्मक तौर पर जय राम ठाकुर जी ने मुख्यमंत्री बनते ही हिमाचल को एक सूत्र में पिरोने के लिए क्षेत्रवाद की अवधारणा को ही नकार दिया । पिछले 4 वर्षों में हिमाचल सरकार ने बजुर्गों को 70 वर्ष से ऊपर पेंशन का प्रवधान किया वहीं महिलाओं को 65 वर्ष से ऊपर पेंशन शुरू की Himcare में 5 लाख तक इलाज पूरे परिवार का सम्भव हो रहा है । सहारा योजना से गम्भीर बीमारी वाले मरीजों को 3000 रुपये प्रति माह सहायता मिल रही है । हिमाचल में मुख्यमंत्री शहरी आजीविक योजना, गृहिणी सुविधा योजना , जल जीवन मिशन के तहत पानी की प्रदेश भर में योजनाएं शुरू की गई हैं । 1977 में शांता जी के समय लगी पानी की पाइप को 40 वर्ष बदलना शुरू हुआ । विगत चार वर्षों में
PTA PARA GVU का लंबित मसला 15 वर्ष बाद हल किया गया है।वैक्सीनशन में पूरे देश मे हिमाचल नम्बर 1 पर आया है । पिछले छ महीने में 26 नए ऑक्सीजन प्लांट ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर गांव गांव पहुंचे , सभी हस्पताल में 52 टेस्ट फ्री किये जिसमे xray ct scan भी शामिल हैं ।
शिवा प्रोजेक्ट के माध्यम से अमरूद आम सेब नेक्टरीन नाशपाती के बगीचे लगा कर हॉर्टिकल्चर कवर 27%पहले की तुलना बढ़ाया जा रहा है ।
कृषि विभाग ने पहली बार csir ihbt के साथ मिलकर हींग दालचीनी की खेती शुरू की ।
इसके अतिरिक्त 54 अन्य जनकल्याण की योजनाओं से अंत्योदय की भावना से काम हो रहा है । हर विभाग को लक्ष्य निर्धारित कर काम दिया जा रहा है जिसकी समीक्षा भी हो रही है ।
कारोना में जान है तो जहान है के मंत्र का पालन कर जयराम ठाकुर ने प्रदेश का सफल नेतृत्व किया ।
इन सभी जनकल्याणकारी नीतियों से खर्च और कर्ज बढ़ा है , ऐसे में हिमाचल को दृढ़ता से पंजाब चंडीगड़ हरियाणा से अपना 7.19% हिस्सा लेने का अभियान शुरू करना ही होगा ।हिमाचल के लिए 7.19% हिस्से का बहुत महत्व है , राजस्व प्राप्तियां बढ़ने से कई पेचीदा मसले हल हो सकते है।
निश्चित तौर पर पंजाब में अब चरण जीत सिंह चन्नी के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार है और उन्हें हिमाचल के जायज न्यायसंगत हिस्से को हिमाचल को वापिस करने का साहस दिखाना ही होगा ।
5 वर्ष पहले 2016 में हिमाचल में नए क्षेत्रो के विलय की स्वर्ण जयंती थी लेकिन तत्कालीन कांग्रेस सरकार की उदासीनता को कोई भी समझ नही पाया । जब हिमाचल दिवस 15 अप्रेल को हर वर्ष मनाते है । इस वर्ष 25 जनवरी से पूर्ण राज्यत्व की सवर्ण जयंती के कार्यक्रमों को धूमधाम से मनाए रहे है ,तो पहली नवम्बर को उस समय यूं ही क्यों भुला दिया गया ।
हिमाचल की भावनात्मक एकता के लिए नई संकल्पों के लिए पहली नवम्बर को हिमाचल में भवनात्मक एकता दिवस या अधिकार दिवस के रूप में अवश्य मनाना चाहिये । आइये जय राम जी के संकल्प को आगे बढ़ाए टोपी की राजनीति को खत्म करते हुए हिमाचल के जायज हिस्से को लेने के लिए एक निर्णायक संगठित संघर्ष फिर से शुरू करे और हिमाचल शिखर की ओर प्रतिज्ञा को शास्वत रूप प्रदान करे ।