जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव सूर्य प्रकाश ने अपने संबोधन में कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के तहत महिलाओं के लिए विशेष कानूनी प्रावधान हैं। इनके जरिए घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की गई है। जरूरी है कि महिलाएं अपने कानूनी अधिकारों को लेकर जागरूक बनें और इनका प्रयोग करें।
अधिवक्ता कंचन वत्स गौतम ने महिलाओं को दंड प्रक्रिया संहिता में सीआरपीसी की धारा 125 के तहत “पत्नी, संतान और माता-पिता के भरण पोषण के लिए आदेश” के प्रावधानों के बारे में विस्तार से बताया।
अधिवक्ता हेम सिंह ठाकुर ने इस अवसर पर महिलाओ और बच्चों के विभिन्न कानूनी अधिकारों, कामकाजी महिलाओं का यौन उत्पीड़न से संरक्षण, हिंदु विवाह अधिनियम के तहत विभिन्न प्रावधानों, तलाक से जुड़े प्रावधानों, गिरफ्तारी के समय महिलाओं के अधिकारों, निशुल्क विधिक सेवाओं,नालसा ऐप, दहेज उत्पीड़न बचाव कानून इत्यादि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
इस मौके कानूनी अधिकारों एवं निशुल्क विधिक सेवाओं को लेकर जागरूक करने के लिए विशेष रूप से प्रकाशित शिक्षा व प्रचार सामग्री भी वितरित की गई