हमें फ्री में खैरात नही- बल्कि हमारा लिखित अधिकार पुरानी पेंशन चाहिए -प्रवीण शर्मा ,पेंशन बहाली सयुंक्त मोर्चा हिमाचल प्रदेश

Restore old pension

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पेंशन बहाली सयुंक्त मोर्चा हिमाचल प्रदेश ने एलान किया कि इस बार के चुनावों में लगभग डेढ़ लाख एनपीएस कर्मी ,उनके परिवार व रिश्तेदार पुरानी पेंशन के लिए अपना कीमती वोट दान करेंगे ।

मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि एनपीएस कर्मी अपनी माताओं , पत्नियों व बेटियों का पूरा बस किराया देने का सामर्थ्य रखते हैं । हमारे परिवारों की महिलाओं को खैरात नही हक चाहिए और यह हक पुरानी पेंशन है जिसे कुछ लोगों ने छीन कर अपने लिए रख लिया और अब लोगों को मुफ्तखोरी की आदत डलवा कर देश को खोखला करने की कवायद शुरू कर दी है ।

लोगों को मुफ्तखोरी की आदत डलवा कर अब नए तरीके की दुकानदारी शुरू हो चुकी है जो कि देश की समृद्धि के रास्ते मे एक बहुत बड़ी साजिश है।भारत देश मेहनत कस लोगों का देश है और मेहनत कर प्राप्त की गई समृद्धि से ही लोग जीना पसन्द करते हैं । परन्तु कुछ समय से राजनीतिक दल हर अधिकार को छीन कर फिर फ्री में सुविधाएं देने की कोशिश कर रहे हैं जो कि इस देश के यूथ को खत्म करने की बहुत बड़ी कवायद है बेरोजगारी फैलाने वाले भी यही राजनीतिक दल है जो अपने रिश्तेदारों को एडजस्ट करने के लिए बैक डोर से भर्तियां शुरू कर देते है और रिश्तेदार तो एडजस्ट होते ही है और साथ मे एक गुलामों की फ़ौज भी तैयार हो जाती है जो जिंदगी भर अपने कर्तव्यों से दूर इन राजनीतिक दलों की सेवा में लगे रहते है परन्तु दूसरी तरफ जिनकी राजनीतिक पहुंच नही जिंदगी भर बेरोजगारी के दल दल में अपनी जिंदगी अंधेरों में गुजार देते है ।

अगर राजनीतिक दल देश प्रेमी हैं तो रोजगार देकर व अधिकारों की रक्षा कर देश को विकसित बनाने की कोशिश क्यों नही करते । बिजली फ्री देने से , पानी फ्री देने से या किराए में छूट देने से लोग विकसित नही होंगे बल्कि देश अल्पविकसित से भी नीचे चला जाएगा ।

हिमाचल प्रदेश सरकार अगर पेंशन बहाल करती है तो वोट के साथ साथ करोड़ों रुपए का फायदा मिलेगा परन्तु वे ऐसा क्यों करेंगे क्योंकि देश को राजनीतिक दल तो चलाते नही बल्कि इनके पीछे अडानी ,अम्बानी जैसी ताकते है जो कभी नही चाहते कि इस देश का गरीब व मध्यमवर्ग उठ सके । कर्मचारियों का एनपीएस फंड में लगा पैसा यही बड़ी ताकतें प्रयोग कर मुनाफा बटोर रही हैं और इसी मुनाफे से ही सरकारें बनती व उजड़ती हैं ।

मोर्चा हर उस एनपीएस कर्मी से पूछना चाहता है कि जब आपको एनपीएस स्कीम पसन्द नही है तो फिर इसके खिलाफ उनका साथ क्यों नही देते जो आपके हक के लिए अन्न तक का त्याग कर रहे हैं क्या हमें गुलाम रहने की आदत लग चुकी है जिससे बाहर हम निकलना नही चाहते ।

अगर अपने अधिकार को एनपीएस कर्मी समझ नही सकते तो फिर पेंशन की मांग छोड़ दें क्योंकि कहने से अधिकार नही मिलते बल्कि कुछ करने से अधिकारों की प्राप्ति होती है। मोर्चा की अपील है कि इस बार सभी एनपीएस कर्मी उनके परिवार व रिश्तेदार पुरानी पेंशन के नाम पर अपना कीमती वोट दें ।

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