पेयजल समस्या ने मचाई हाहाकार, सोई पड़ी है हिमाचल सरकार : जोगटा

Despite JAL JIVAN MISSION, acute shortage of drinking water in Himachal Pradesh

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हिमाचल प्रदेश आम आदमी पार्टी ने प्रदेश सरकार और नगर निगम शिमला पर आरोप लगाया है कि जिस तरह से उनका अब ये दस्तूर ही बन गया है कि हर रोज की तरह शिमला शहर और पूरे प्रदेश में जनता को पानी की सही आपूर्ति न होना एक विकराल समस्या बनती जा रही है जिसके चलते आम जनता परेशान है और नगर निगम शिमला तथा प्रदेश का जल शक्ति विभाग कुंभकरणी नींद सो रहे है। जनता को राम भरोसे छोड़ दिया गया है।

प्रदेश की राजधानी शिमला में ही तीसरे चौथे दिन पानी की सप्लाई की जा रही है वो भी थोड़ी देर के लिए।

जब कि निगम शिमला आज तक शहर में पानी की आपूर्ति अंग्रेजों के जमाने से ही करता आ रहा है। वहीं अब प्रदेश सरकार और निगम पीने के पानी की आपूर्ति करने में नाकाम साबित हो रहा है बल्कि उल्टा ठेकेदारी प्रथा के तहत एसजेपीएनल नामक एक निजी कंपनी को नगर निगम शिमला ने पानी की देखरेख करने वास्ते पानी की आपूर्ति हेतु पानी को आउटसोर्स करवा दिया।जिस कारण कंपनी जनता को समय पर पानी की आपूर्ति न करवाने के चलते नाकाम हो रही है।

नगर निगम जिसका काम ही जनता को पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं प्रदान करना ही कर्तव्य था, वहीं नगर निगम शिमला अब अपंगु बनकर कुंभकर्णी नींद सो रहा है।

जिस कारण जनता पानी की उचित आपूर्ति के न होने के चलते काफी परेशान है।

नगर निगम शिमला की नाकामी और सुस्ती की यदि बात करें तो पूर्व में कोलडैम से पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने की एक योजना बनाई गई थी। जो आजतक ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है।

माननीय प्रदेश हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुसार अश्वनी खड़ की सप्लाई की आपूर्ति को जलशक्ति विभाग द्वारा उचित रखरखाव न करने और जनता को गंदा पानी सप्लाई करने के चलते इसे बंद करवा दिया था। तभी कोलडैम से पानी की आपूर्ति करवाने हेतु पूर्व में इस पर योजना की बात की गई थी।लेकिन अभी तक इसमें किसी तरह की पहल डबल इंजन वाली सरकार द्वारा नही की गई।इसे सरकार की नाकामयाबी प्रत्यक्षरुप से सामने दिखती नजर आ रही है।

वर्तमान में सरकार के पास गिरी नदी और सतलुज नदी से उठहाऊ पेय जल योजना के तहत शिमला जिला के गुमा से शहर को पानी की आपूर्ति होती है। इन दोनो जल स्रोतों से कितना एमएलडी/किलोलीटर पानी उपलब्ध होता है और जनता को पानी की कितनी जरूरत है तथा कितना पानी बेकार बह रहा है इस बात का जिक्र सरकार सार्वजनिक रूप से नही कर पा रही है।इतना ही नही कई ऐसे हजारों अवेध पानी के कनेक्शन भी हैं जिसका इनके पास अभी तक कोई ब्योरा ही नही है । ऐसे पानी की खफत के पैसे कैसे एडजस्ट होते हैं,इसका भी कोई जिक्र आज तक नही हुआ। लगता है ऐसे पानी की खफत के बिल भी आम जनता को ही बेहन करने पड़ रहे हैं। इसका भी निगम और सरकार जनता को हिसाब दें।

सरकार और निगम की इन तमाम खामियों के चलते जनता को किस आधार पर पानी के भारी-भरकम बिल बेहन करने पर मजबूर किया जा रहा है।जब की पानी की आपूर्ति नियमित नही है। अर्थात जनता का क्या कसूर है। जनता की उक्त परेशानियों से निजात पाने हेतु सरकार और नगर निगम शिमला और एसजेपीएनएल कंपनी नाकाम रहे हैं। जिसके चलते जनता को फिजूल में ही झुजने पर मजबूर किया जा रहा है।

उधर दूसरी ओर प्रदेश के माननीय उच्च न्यायालय ने सरकार से कहा था कि वो जनता को हररोज पानी की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करें। इसके बावजूद भी नगर निगम और उनकी कंपनी नाकाम होती नजर आ रही है।

प्रदेश आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता एसएस जोगटा ने नगर निगम और सरकार पर आरोप लगाया है कि यदि यही हाल रहा तो निश्चित रूप से ही प्रदेश में और शिमला शहर में जनता के सहयोग से एक बहुत बड़ा जनाक्रोश आंदोलन खड़ा कर दिया जाएगा । जिसकी सारी जिम्मेवारी प्रदेश सरकार और नगर निगम शिमला की होगी।क्योंकि सरकार और नगर निगम शिमला डबल इंजन वाली सरकार के चलते भी इनका आपस में ही समन्वय नहीं है। ऐसे में जनता का क्या कसूर है। इसके लिए कोन जिम्मेवार है ये देखने वाली बात होगी। अत:कब तक इस तरह जनता की आंखो में धूल झोंकने का असफल प्रयास किया जाता रहेगा। ऐसी नाकाम सरकार को तुरंत जनता से माफी मांगनी चाहिए और माफी के साथ-साथ उन्हें अपनी नाकामियों को भी उजागर करना चाहिए। जो सरकार जनता को समय से पानी भी नहीं मुहया करवा सकती ऐसी सरकार से ओर क्या उम्मीद की जा सकती है। ऐसी सरकार का सत्ता में रहना कहां तक उचित होगा यो देखने वाली बात है।

शिमला से जारी एक प्रेस बयान में आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता एसएस जोगटा ने आगे कहा कि सरकार और नगर निगम शिमला तुरंत इस ओर ध्यान दें ताकि जनता को और परेशान ना होना पड़े और नियमित पानी की आपूर्ति हेतु उचित कदम उठाएं जाएं। नहीं तो सरकार को गंभीर परिणाम भुगतने के लिए भी त्यार रहना चाहिए।

(एसएस जोगटा),
प्रवक्ता आम आदमी पार्टी मध्य प्रदेश।

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