“पेड़ लगाओ, जीवन बचाओ” प्रख्यात कवयित्री श्रीमती सुरेश लता अवस्थी की अनमोल रचना

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SURESH LATA AWASTHI

Chowki Khalet, Palampur.

Mob : 82787 39443

पेड़ लगाओ,

जीवन बचाओ

कल रात सपने में मेरे,

बतिया रहे थे अंधेरे,

नींद न जाने कब आ गई,

शायद जब तनहाइयों में घिर गई,

एक सुन्दर ख्वाब था वो,

हीरा एक नायाब था वो,

आंधी काली रात थी वो,

उस रात की अनोखी बात थी वो,

लगा प्रकाश फैल गया है सब ओर,

छूट गई काली रात आ गई भोर,

अनोखी छटा थी उस प्रकाश में,

दिल की घड़कन बढ़ी,

मस्ती सी छा गई हर सांस में,

अज्ञात सी आवाजों का,

कहीं पास से ही स्वर पड़ा कान में,

सत्य, प्रेम, मानवता को,

भुला दिया है इन्सान ने,

भूमि से यदि हटा देगा हरे भरे पेड़,

तो जीवन बन जाएगा समस्याओं का ढेर,

आक्सीजन की कमी से दम घुटेगा तेरा,

पक्षियों और जानवरों का ही खत्म होगा बसेरा,

इतने सारे पशु पक्षी रहते हैं इस चमन में,

उड़ते हैं, चहचहाते खुशियां भरत पवन में,

मानव तू क्यों विनाश करता है,

बता इससे तुझे क्या मिलता है,

पेड़ जब कट जाएंगे,

जल स्त्रोत सूख जाएंगे,

नशीली गैसों का मौसम होगा,

वरन् यह धरा रहने योग्य नहीं रह जाएगी,

प्रदूषण इतना बढ़ जाएगा,

मानव अपने हाथों खुद मर जाएगा,

वक्त आ गया है संकल्प लेने का,

मानवता को कुछ देने का,

उठो लता! अब तो आगे कदम बढ़ाओ,

एक संकल्प लो,

प्रदूषित होते पर्यावरण को बचाओ,

आने वाली नस्लें बेमौत मारी जाएंगी,

आओ हम सब मिलकर पेड़ लगाएं,

इस धरती माता का कर्ज चुकाएं,

पर्यावरण को शुद्ध बनाएं,

मानवता को बचाएं,

मानवता को बचाएं

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