Himachal के अध्यापक बने बंधुआ मजदूर, मात्र 7 रुपये में करवाई जा रही मज़दूरी, अध्यापकों में रोष : PRAVEEN SHARMA
एक शिक्षक स्कूल में बच्चों को पढ़ाए या फिर हिमाचल प्रदेश बोर्ड द्वारा दिये गए 10 वीं या 12 वीं के पेपर चैक करे । हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ राज्य प्रवक्ता प्रवीण शर्मा ने कहा कि पिछले लगभग तीन सालों से बोर्ड परीक्षाओं के पेपर शिक्षकों को घरों में चैक करने के लिए दिए जा रहे हैं । कोरोना समय मे तो शिक्षकों ने पेपर घरों में चैक कर दिए थे । परन्तु अब जबकि रेगुलर बच्चों की पढ़ाई स्कूलों में जारी है तो फिर अभी भी पेपर शिक्षकों को घरों में चैक करने के लिए दिए जा रहे है जो कि बोर्ड की गलत नीति है । क्योंकि इसके लिए स्पॉट इवेल्यूएशन सेंटर बने हुए हैं जहां 10 से 5 बजे तक रोज एक शिक्षक को 30 पेपर चैक करने होते हैं ।विदित रहे कि कोरोना काल में जहां बहुत से लोगों को एक जगह एकत्रित होने की अनुमति नही थी परन्तु अब जबकि कोरोना से सम्बंधित हर पावंदी हटा दी गई है परन्तु अभी भी बोर्ड पेपर घरों में चैक करने के लिए दिए जा रहे हैं जबकि बोर्ड पेपर चैकिंग का कार्य मूल्यांकन केंद्रों में ही होना चाहिए क्योंकि अगर किसी शिक्षक के घर से या किसी हादसे में पेपर गुम हो जाएं तो इसकी जिम्मेदारी उसी शिक्षक पर डाली जाती है । मूल्यांकन केंद्रों में हर रोज एक शिक्षक को 10 बजे 30 पेपर चैक करने के लिए दिए जाते है जो कि उसे 5 बजे तक चैक करने के बाद अवार्ड लिस्ट सहित वापिस करने होते है जिसमें पेपर गुम होने की कोई गुंजाइश नही रहती ।पेपर चैंकिग कार्य में लगे शिक्षकों का कहना है कि तीन बजे तक स्कूल जाने के बाद घर पर एक पैकेट चैक करने के लिए रात के 10 बज रहे हैं और सुबह स्कूल भी जाना पड़ रहा है अब इस कार्य मे लगे शिक्षक स्कूल जाएं या फिर पेपर चैक करें जबकि यह भी पता नही चल रहा कि इस समय वे बोर्ड के कर्मचारी हैं या फिर स्कूल के कर्मचारी हैं ।पेपर चैकिंग कार्य मे लगे शिक्षकों ने बोर्ड की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए कहा कि एक पेपर चैक करने का 10 रुपये से भी कम पारिश्रमिक दिया जा रहा है और साथ ही रोज मिलने वाली डेली भी बन्द कर दी है जबकि बच्चों से पूरी फीस वसूली जा रही है । अगर इसी प्रकार घरों में पेपर चैक करने के दिए जाते रहे तो आगे के लिए पेपर चैकिंग का कार्य शिक्षक नही करेंगे क्योंकि स्कूल से घर आने के बाद पेपर चैक करना बच्चो के भविष्य के साथ खिलबाड़ है । ऐसे में शिक्षा बोर्ड जल्द इस बाबत संज्ञान ले ।