*शहादत का दर्द* श्रीमती सुरेश लता अवस्थी के हृदय से निकलीं दर्द भरी पंक्तियां

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शहादत का दर्द
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  • श्रीमती सुरेश लता अवस्थी,
विख्यात समाजसेविका एवं कवयित्री

चौकी खलेट, पालमपुर

मोबाईल : 8278739443

जब तिरंगे में लिपटा कोई शहीद,
अपने घर के आँगन में आता है,
तो कहते हैं माँ बाप का सीना,
गर्व से चौड़ा हों जाता है।
पर उस सीने के पीछे छिपे दर्द को
क्या किसी ने अनुभव किया है
सिर्फ उस ने जो मरकरभी जिया है
इस त्रासदी का सामना किया है।

जब परिवार का होनहार,
चला जाता है छोड़कर,
अपने प्रियजनों के सारे,
सपनों को तोड़ कर,
उस दर्द को उस तड़प को,
उन आंसुओं को कैसे पिया है,
यह वही जानता है जिसने,
इस एहसास को जिया है
इस त्रासदी का सामना किया है।

लाखों करोड़ों के खजाने से,
नही हों सकती उस की भरपाई,
जिसने वतन की खातिर,
अपनी जान और जवानी गंवाई ,
माँ बाप की कांपती टांगें,
विधवाओं की सूनी मांगें,
बच्चों की अधूरी आशा,
ढूंढती है पिता का सहारा,
ये वही जानते हैं,
जो इस त्रासदी को झेलते हैं,
इस मंजर को देखते हैं।

धन्य वे माताएँ जिन्होंने ऐसे वीरों की,
पेट में लातें खाईं हैं,
धन्य वे पिता जिन्होंने बच्चों को,
ऐसी राह दिखाई है,
कुछ आत्माएँ इस कर्मभूमि में,
शायद मुक्ति के लिए ही आतीं हैं,
तभी शहीद हो कर सदा के लिए,
मृत्युलोक से विदा हों जाती हैं,
कब होगा दूर अंधेरा,
कब आएगा नया सवेरा,
जब अमन होगा, चैन होगी,
ये दुनिया फिर से स्वर्ग होगी।
ये दुनिया फिर से स्वर्ग होगी।।

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