पूर्ण परमात्मा को पहचानने मात्र से मनुष्य जीवन सर्व कष्टों से मुक्त हो सकता है: संत रामपाल जी महाराज

कबीर, मानुष जन्म पाय कर, नहीं रटैं हरि नाम जैसे कुआँ जल बिना, खुदवाया किस काम ।। कबीर, एक हरि के नाम बिना, ये राजा ऋषभ हो। माटी ढोवै कुम्हार की घास न डाले कोय,

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RAJESH SURYAVANSHI
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पूर्ण परमात्मा को पहचानने मात्र से मनुष्य जीवन सर्व कष्टों से मुक्त हो सकता है: संत रामपाल जी महाराज

दिनांक 11/09/2022 को पालमपुर, मारंडा आंखों के अस्पताल के समीप मुनींद्र धर्मार्थ ट्रस्ट की ओर से सतलोक भवन में सत्संग का आयोजन किया गया। जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने संत रामपाल जी महाराज के अमृत वचनों का श्रवण किया और शास्त्र अनुकूल सद्भक्ति को समझकर सत मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।

आज के सत्संग में सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी ने शास्त्र अनुकूल भक्ति का महत्व समझाया और पवित्र धार्मिक ग्रंथों श्री गीता जौ, वेद, पुराण के आधार पर पूर्ण परमात्मा की पहचान बताई।

आज कबीर अमृतवाणी से भक्तों को आत्मविभोर करते हुए संत रामपाल जी ने बताया,

कबीर, मानुष जन्म पाय कर, नहीं रटैं हरि नाम जैसे कुआँ जल बिना, खुदवाया किस काम ।कबीर, एक हरि के नाम बिना, ये राजा ऋषभ हो। माटी ढोवै कुम्हार की घास न डाले कोय ।।

संत जी ने अपने प्रवचन में भक्ति मार्ग के गूढ़ रहस्य को उजागर करते हुए बताया कि गीता जी के अध्याय 16 श्लोक 23 में शास्त्र विरुद्ध भक्ति को व्यर्थ बताया है और भक्त आत्मा को परमात्मा वाले लाभ लेने के लिए शास्त्र अनुकूल भक्ति करनी चाहिए, जोकि श्री मद्भागवत गीता अध्याय 4 श्लोक 34 के अनुसार तत्व दर्शी संत से प्राप्त होती है, जिसे नाम दीक्षा कहा जाता है। नाम दीक्षा की महिमा का गुणगान करते हुए सत जी ने कबीर वाणी का उल्लेख किया

कबीर, नाम बिना सूना नगर, पड़या सकल में शोर

लूट न लूटी बंदगी, हो गया हंसाभोर ।।

संत रामपाल जी महाराज ने अपने सत्संग में समझाया समाज में फैली हर एक कुरीति और विकृति का मुख्य कारण जनमानस का शास्त्र अनुकूल भक्ति से दूर होना है, आज पूर्ण परमात्मा की पहचान ना होने के कारण ही समाज परमात्मा वाले विधान से अनभिज्ञ हैं जिस कारण से मनुष्य की कथनी और करनी में अंतर होने के कारण चरित्र हीनता हमारे समाज में व्याप्त है।

संत जी ने भक्त समाज से आह्वान किया कि समाजिक बदलाव देखा देखी से भी होता है जैसे सिनेमा के माध्यम से कई तरह की विकृतियां हमारे समाज में आई हैं इनसे उभरने का एकमात्र उपाय आने वाली पीढ़ी को सिनेमा वाले

आडंबर से बचाकर सत्संग से शास्त्र अनुकूल भक्ति से जोड़ना होगा। संत जी ने कबीर अमृतवाणी से सुझाया कबीर, सतगुरु के उपदेश का, लाया एक विचार जै सतगुरु मिलते नहीं, जाते नरक द्वार ।। कबीर, नरक द्वार में दूत सब करते खँचा तान। उनतें कबहु ना छूटता, फिर फिरता चारों खान

कबीर, चार खानी में भ्रमता, कबहु ना लगता पार । सो फेरा सब मिट गया, सतगुरु के उपकार ।। संत रामपाल जी महाराज जी के मुखारविंद से अमृत वचन सुनकर श्रद्धालुओं ने भावविभोर होते हुए संत रामपाल जी महाराज का धन्यवाद करते हुए कहा कि संत जी के प्रवचनों ने हमें अज्ञानता के अंधकार से उबरने के लिए ज्ञान रुपी मशाल हाथ में थमा दी है, संत जी का कोटी कोटी धन्यवाद।

श्रद्धालुओं के अति उत्साह को ध्यान में रखते हुए मुनींद्र धर्मार्थ ट्रस्ट के हिमाचल के राज्य सेवादार ओम प्रकाश जी जिला सेवादार संजय दास जी और आयोजक सेवादार पंकज दास व डॉक्टर संजीव दास एवं अन्य ने बताया की इस प्रकार का आयोजन आंखों के अस्पताल के नजदीक सतलोक भवन में हुआ करेगा जिसमें कबीर साहेब की अमृतवाणी की अमृत वर्षा से श्रद्धालु निहाल होंगे। आयोजकों ने समाज के सभी वर्गों से निवेदन किया कि वे ज्यादा से ज्यादा संख्या में सत्संग समागम में उपस्थित होकर के समाज के प्रति अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें जिससे हम संगठित होकर एक आदर्श भारत का निर्माण कर सकें। संपर्क सूत्र:- 9459429940

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