देश की आत्मा होता है लोकतंत्र, लोकतंत्र को जीवित रखने के लिए सशक्त विपक्ष का होना जरूरी 

लोकतंत्र का गला घोंटने से देशहित कदापि नहीं हो सकता

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लोकतंत्र को जीवित रखने के लिए सशक्त विपक्ष का होना जरूरी 

लेख 
पालमपुर से लेखक
प्रवीण शर्मा ।

लोकतंत्र की  नींव जितनी मजबूत होगी देश उतनी ही मजबूती से आगे बढ़ेगा । किसी भी देश की लोकतांत्रिक प्रणाली में विपक्ष अहम भूमिका निभाता है और यही लोकतंत्र को मजबूती प्रदान कर संविधान की रक्षा करता है । जिस देश मे विपक्ष नही वहां लोकतंत्र भी नही । सता धारी राजनीतिक दल की गलत नीतियों को उजागर कर उन्हें सही करवाना विपक्ष का कार्य ही नही बल्कि संवेधानिक कर्तव्य भी है । भारत देश की बात करें तो कुछ सालों में विपक्ष धीरे धीरे हाशिये पर पहुंचा है इसका कारण विपक्ष का परिवार वाद कहना ही सही है । पक्ष और विपक्ष दोनों पर ही देश की अर्थव्यवस्था को एक पटरी पर लाने की जिम्मेदारी रहती है । अधिकतर लोगों के लिए लोकतंत्र का मतलब ही राजनीतिक दल हैं। देश की आम जनता क्या चाहती है कि उनका जीवन स्तर उठे इसके अलावा उन्हें संविधान के बारे में न के बराबर जानकारी होती है ।और गलत नीतियों के लिए वे राजनीतिक दलों को ही जिम्मेदार मानते हैं । भारत में राजनीतिक दलों की संख्या 750 से भी ज्यादा है परन्तु ऐसा कोई भी दल विशेष रूप से उभर कर नही आया जो शक्तिशाली राजनीतिक दल का मुकाबला कर सके बल्कि छोटे छोटे दल कुछ सीटों पर कब्जा  प्राप्त कर मिलीजुली सरकार तो बना लेते हैं परन्तु पूरे पांच सालों तक विवाद में रहते हुए कई बार मध्यवली चुनावों का बोझ जनता पर डाल जाते हैं ।
भारत में सत्ता पक्ष की बात करें तो देश के इतिहास में पहली बार सत्ता पक्ष एक बहुत बड़े दल के रूप में उभर कर आया है । और विपक्ष के धुरंधर जन प्रतिनिधि जो अपने दल की मिसालें देते थे वे एक बहुत बड़े दल सत्ता पक्ष में आ मिले हैं । तो ऐसे में लगता है कि विपक्ष कहीं न कहीं गलती कर बैठा है जिस कारण इस दल के तारणहार दूसरे खेमे में कूच कर रहे हैं ।

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