डॉ. राजेश सूद बोले… 1993 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने टीबी को वश्विक एमरजेंसी घोषित की थी
चौ.स.कु. कृषि विश्वविद्यालय में प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान पर कार्यशाला
चौ.स.कु. कृषि विश्वविद्यालय में प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान पर कार्यशाला
2.2.2023
जिला क्षय रोग अधिकारी कांगड़ा डॉ आर के सूद ने चौ.स.कु. कृषि विश्वविद्यालय में प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान पर कार्यशाला में कर्चा के दौरान बताया कि 1993 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने टीबी को वश्विक एमरजेंसी घोषित की थी, 2021 में 1.1 करोड़ टी.बी. रोग के नए मामले हुए व् 16 लाख लोगों की टी.बी. रोग से अकाल मृत्यु हुई, – प्रतिदिन 4109 मृत्यु। दुनिया में टी.बी. के सबसे ज्यादा मरीज भारतवर्ष में पाये जाते हैं। विश्व में टी.बी. का हर चौथा मरीज भारत का है।
संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों के अनुसार सभी देशों ने 2030 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य तय किया है जबकि भारत ने वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य रखा है।
एक तिहाई व्यक्तियों में निषक्रिय टीबी का संक्रमण होता है, तो रोग प्रतिरोधक शक्ति कमजोर होने पर सक्रिय हो जाएंगे और हमें बीमार कर देंगे ।
कुपोषण के शिकार, धुम्रपान करने वाले व्यक्तियों, टी.बी. के मरीजों के निरंतर संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों, तथा वह व्यक्ति जिनका गम्भीर बिमारियों के कारण प्रतिरोधक शक्ति कमजोर हो गयी है – जैसे कोविड रोग के बाद, कैंसर, एड्स, शुगर, स्टेरॉयड थेरेपी, गुर्दे की बीमारी में टीबी बीमारी होने का ज्यादा खतरा होता है ।
राष्टीय टीबी सरवे की रीपोर्ट का अनुसार टीबी के लक्षण वाले 64% व्यक्ति अपनी जाँच नहीं कराते है, जो कि बहुत बड़ी चुनोती है। टीबी रोगियो के सामुदायिक समर्थन के लिए राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान आरम्भ किया है जिसके अन्तरगत निक्षय मित्रों द्वारा टीबी रोगियों को मनोसामाजिक सहायता व् पोषण भेंट किया जाता है। कोई भी व्यक्ति, संस्था, संसथान, कॉर्पोरेट, निर्वाचित प्रतिनिधि, गैर-सरकारी संगठन, राजनीतिक दल इत्यादि नि-क्षय मित्र बन कर टीबी मुक्त भारत अभियान में अपना योगदान दे सकते हैं। नि-क्षय मित्र के रूप में दी जाने वाली सहायता सरकार द्वारा रोगी को प्रदान की जाने वाली चिकत्सीय सेवाओं व् सहायता के अतिरिक्त रहेगी।
कोवीड के बारे में सभी जागरूक है, पर टी.वी. को लेकर अभी भी भ्रांतियां है, जो टीबी उनमूलन मे सबसे बड़ी बाधा है। मरीज का कमरा, बर्तन आदि अलग करने की कोई आवश्यकता नहीं होती,क्योंकि दवाई शुरू होने के बाद मरीज संक्रामक नहीं रहता है । हमने मिलकर देश से पोलियो उनमूलन किया है, अब टी.वी. की बारी है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ गुरदर्शन गुप्ता ने यह जानकारी दी कि अकेले सवास्थ्य विभाग डी कोई भी लडाई नहीं जीत सकता- समाज से सहयोग से हर समस्या का निवारण किया जा सकता है । कोविड के नियन्त्र मे भी समाज के सभी वर्गों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। कलंक व् भेदभाव टीबी उनमूलन मे बड़ी बाधा है।
टीबी असाध्य रोग नही है- समय पर इलाज करके व्यक्ति बिलकुल ठीक हो सकता है । टीबी की आधुनिक जाँच, व् इलाज निशुल्क उपलब्ध है । टीबी रोगियों को इलाज की अवधि तक निक्षय पोषण योजना के तहत 500 रु प्रतिमाह सीधे बैंक खाते मे हसतानतरन के माधयम से दिए जाते है।
जिला क्षय रोग अधिकारी कांगड़ा डॉ आर के सूद ने यह जानकारी भी दी कि जिला में 284 निक्षय मित्र पंजीकृत है जिन्होंने 1000 से अधिक मरीजों को पोषण संबंधी सहायता व् मानसिक संबल प्रदान किया है ताकि रोगी कि उपचार प्रक्रिया को प्रभावी तरीके से सम्पूर्ण किया जा सके।
इस योजना से टीबी के खिलाफ लड़ाई में समाज की सक्रिय भागीदारी से टीबी के प्रति जनता में जागरूकता बढ़ेगी व् भ्रम – भ्रांतियां कम होंगी। रोगियों के उपचार में समाज के समर्थन से सामाजिक भागीदारी बढ़ेगी, जिससे रोगियों के साथ भेदभाव को कम करने में मदद मिलेगी। मनोबल बढ़ने से मरीज पूर्ण रूप से अपना दवाई का कोर्स पूरा कर पाएंगे , साथ ही बेहतर पोषण उपलब्ध होने से उनके उपचार के बेहतर परिणाम मिलेंगे।
इस कार्यशाला में श्री संदीप कुमार रजिस्ट्रार, डॉ मंदीप शर्मा डीन COVAS, डॉ एस पी दीक्षित डायरेक्टर रिसर्च,डॉ अंजना तुली सी.एम.ओ. कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर, श्री वी आर राठौर नियंत्रक, डॉ पवन पठानिया लाइब्रेरियन, जिला कार्यक्रम समन्वयक संजीव कुमार एन.टी.ई.पी. व विभिन्न अधिकारी कर्मचारी व् छात्रों ने भाग लिया।