जब-जब डॉक्टर शिव का सपना टूटता होगा तो कितनी रोती होगी उनकी आत्मा और कितनी ठेस पहुंचती होगी उनके आहत परिवारजनों को : डॉ. लेख राज

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प्रख्यात समाजसेवी एवं लेखक

डॉ. लेखराज शर्मा, खलेट पालमपुर

Mob.. 9418593800

अगर डाक्टर शिव कुमार साहब जी का कोई सपना टूटता है तो समझो उनकी आत्मा को तो दुख पहुंचेगा ही, उनके साथ जुड़े लोगों और दानी सज्जनों के दिलों पर क्या गुजरेगी इसका अंदाजा भी लगाइएगा।

बड़ी हैरानी और दुःख की बात है कि डाक्टर साहब जी के जाने के बाद ऐसे गलत फैसले क्यों लिए जा रहे हैं ये समझ से बाहर है।

ऐसे गलत फैसलों से एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कमाया हुआ नाम कहीं धुंधला न हो जाए क्योंकि रोटरी से जुड़ी हर उपलब्धि डाक्टर साहब जी की कड़ी मेहनत का फल है, वो एक सेवा की मूर्त थे रोटरी के लिए उन्होंने एक सपना संजोया और खासकर आई हॉस्पिटल के लिए वो एक बास्केट जैसी लेकर खुद लोगों से दान कह लो या सहयोग कह लो लेने के लिए निकले , अपने क्लिनिक से जहां इलाज के लिए लोगों की कतारें लगी रहती थी उनको भी देखना सेवा के लिए भी निकलना और इतनी व्यवस्ता होने के बाबजूद भी उन्होंने उस समय लोगों की जरूरत को देखते हुए एक अपना प्राइवेट नर्सिंग होम भी खोला क्योंकि उस समय पालमपुर शहर

का हॉस्पिटल नाम मात्र का ही था और खास बात तो ये रही कि वहां पर भी पैसा कमाने जैसी बात कोई नजर नहीं आती थी समझो वो भी डाक्टर साहब जी की तरफ से एक सेवा केंद्र ही था, अब जो भी पालमपुर में बड़े बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल बने हैं इनके संचालक डाक्टरों को डाक्टर साहब जी की सेवाओं को जरूर अपना आदर्श मान कर चलना चाहिए, पैसा ही सब कुछ नहीं है अगर उस वक्त डाक्टर साहब जी के मन में भी पैसा कमाने का ही ख्याल होता तो मैं ये कह सकता हूं कि पालमपुर में जितने भी प्राइवेट हॉस्पिटल आज काम कर रहे हैं इनको मिला कर देखें तो इतना बड़ा हस्पताल उनका आज अपना होता , उन्होंने इस बात को साबित करके दिखा दिया कि वास्तव में डाक्टर भगवान जी का दूसरा रूप है और अब जो प्राइवेट हॉस्पिटल से लोग बाहर आते हैं तो वो कुछ और ही सोचने पर मजबूर हो जाते हैं।

तो मेरी और मेरे ख्याल में डाक्टर साहब जी को जिन्होंने शुरू से आखिर तक देखा है उनकी रोटरी मैनेजमेंट से एक ही गुजारिश रहेगी, करवध प्रार्थना रहेगी , रिक्वेस्ट रहेगी डाक्टर साहब जी के ड्रीम प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाएं , इसको चार चांद लगाने की कोशिश करें और अगर ” कई प्रोजेक्ट को बंद या शिफ्ट करके जहां वो आम आदमी के काम ही न आएं ” आगे बढ़ें भी तो आगे दौड़ और पीछे चोड़ बाली बात न हो जाए तब भी क्या फायदा , फिजियो थ्रेपी सेंटर को तो तुरंत प्रभाव से नजदीक लाना चाहिए अगर वहां से बिजली के बिल के पैसे भी न निकलें तो उसके वहां संचालन का कोई ओचित्य ही नहीं रह जाता।

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