जय शनिदेव! खुद अस्पताल में एडमिट हैं फिर भी चिन्ता सता रही है लोगों के दुख-दर्द की! इसे कहते हैं सच्ची जनसेवा और निःस्वार्थ स्वयंसेवक, जनसेवा के क्षेत्र में अनूठी मिसाल कायम की है शनि सेवा सदन प्रमुख परविंदर भाटिया ने, भाटिया के भोलेपन के कारण ही शनिदेव की विशेष कृपा है उन पर
कौन हैं परविंदर भाटिया और क्या है उनका शनिदेव से नाता ?
वैसे तो श्री परविन्दर भाटिया की तारीफ़ में कुछ कहना, सूर्य को दीपक दिखाने वाली बात है। लेकिन देश-विदेश के तमाम पाठकों को हम उनके बारे में कुछ संक्षिप्त विवरण देना चाहेंगे।
जैसाकि आप सभी जानते हैं कि शनि सेवा सदन पालमपुर के मुखिया श्री परविंदर भाटिया पिछले 20 वर्ष से एक रजिस्टर्ड सामाजिक संस्था शनि सेवा सदन के बैनर तले तन-मन-धन से दीन-दुखियों के अंधकारमय निराशापूर्ण जीवन में शनि भगवान की कृपा से आशा का एक नया उजाला भरते आ रहे हैं जिससे हर कोई भलीभाँति परिचित है।
आज से लगभग 20 वर्ष पूर्व जब भाटिया जी के जीवन में अचानक उतार-चढ़ाव आने लगे तो उनका जीवन बुरी तरह प्रभावित होने लगा।
जैसेकि जिस काम में हाथ डालना, उसी में नुकसान होने। चलती कार के पहिये अचानक से निकल जाना आदि आदि।
फिर एक दिन अचानक उन्हें स्वप्न आया कि शनिदेव स्वयं प्रकट होकर उन्हें कह रहे हैं कि उनके नाम और काम की वास्तविक जानकारी जन जन तक पहुंचाओ और दीनदुखियों की सेवा में अपना जीवन न्योछावर कर दो। लोगो को बताओ कि शनि देव शत्रु नहीं अपितु मित्र हैं। उनसे भयभीत होना सिर्फ मिथ्या है। वास्तव में वह न्याय के देव बन कर पीड़ितों को न्याय दिलाते हैं। उनकी रक्षा करते हैं।
बस उसी दिन से उन्हें अपने आसपास शनिदेव की उपस्थिति का एहसास होने शुरू हो गया।
अचानक ही सभी अशुभ संकेत आना भी बंद हो गए। जीवन पटरी पर आ गया।
इसीलिए उन्होंने शनि सेवा सदन की स्थापना कर शनिदेव के आदेश से अपना जनसेवा का कार्य शुरू किया।
गरीबों को आर्थिक संरक्षण देना, दीनदुखियों की मदद करना, पेंशन लगाना, गरीब बच्चों को पढ़ाने-लिखाने में आर्थिक मदद करना, बीमार व बेसहारा लोगों का इलाज करवाना, रोटरी आई हॉस्पिटल में जीएम राघव शर्मा व डॉ सुधीर सल्होत्रा की मदद से असहाय लोगों की आंखों के आपरेशन करवा कर उनके जीवन में आशा की नई किरण का संचार करना, लोगों को ऑक्सिजन सिलिंडर देना, अपंगों को कृत्रिम अंग लगवा कर उनके जीवन को एक नई दिशा प्रदान करना तथा और भी न जाने कितने सामाजिक कार्य हैं जिन्होंने श्री परविन्दर भाटिया को समाजसेवा के चरम पर पहुंचा दिया। हालांकि इस बीच उन्हें परिवार को भी बहुत बार अनदेखा करना पड़ता है लेकिन समाजसेवा की ललक उन्हें सेवा से दूर नहीं होने देती।
जगह-जगह सड़कों के किनारे घायल अवस्था में पड़े, गभीर रूप से कष्ट भोग रहे निरीह जानवरों को मौके पर अपनी टीम के सदस्यों के साथ तत्काल पहुंच कर उनका इलाज करना, गहरी खाईयों में गिरे हुए दर्द से तड़पते पशुओं को हज़ारों रुपए खर्च करके बाहर निकाल कर उन्हें पुनर्जीवन देना भी उनके जीवन का अटूट हिस्सा बन चुका है।
सबसे ख़तरनाक समय था जब कोविड काल चरम सीमा पर था। आदमी आदमी से डर रहा था। सरकारें और प्रशासन लाचार हो चुके थे। ऐसे में कोविड से मारने वाले लोगों को खुद उठाकर ले जाना और उनका विधिवत संस्कार करना केवल उन्हीं के बस में था। बिना डरे, बिना घृणा किये इतना महान कार्य करना करोड़ों में से विरले ही लोगों के नसीब में होता है। आज तक न जाने कितनी लावारिस लाशों के दाह संस्कार कर चुके हैं लोगों के परम स्नेही भाटिया जी।
मोक्ष वाहन जनता को समर्पित करके भाटिया जी ने जनसेवा की जो मिसाल कायम की है उसके आगे मेरा मस्तक झुक जाता है। भाटिया जी के लिए दिल की गहराईयों से दुआओं का समुंदर उमड़ पड़ता है। सोचता हूँ भाटिया जी के साथ और भाटिया जी के बिना क्या स्थिति होगी हमारी?
महीने में न जाने कितनी बार लोगों को स्वादिष्ट लंगर खिलाना, सभी धार्मिक उत्सवों को विधिवत रूप से मनाना, धार्मिक अनुष्ठान करना आदि जाने कितने ही कार्य हैं जो मेरे ज्ञान में नहीं हैं, वे सब भाटिया जी सहज भाव से कर लेते हैं।
इतना ही नहीं अब वह पालमपुर के पास राजपुर टांडा में शनि भगवान के विशाल मंदिर का निर्माण करवाने जा रहे हैं जिस पर 10 करोड़ रूपए से अधिक खर्चा अनुमानित हैं। सोचिए शनिदेव का क्या मकसद था जो वह भाटिया जी के द्वारा पूरा करवाने जा रहे हैं।
मूल रूप से पठानकोट निवासी परविन्दर भाटिया जी ने पालनपुर को अपना गृह क्षेत्र बनाया और आज वह पालमपुर की अनमोल धरोहर बन चुके हैं। मेरा उन्हें कोटि कोटि प्रणाम! ईश्वर उन्हें स्वस्थ शरीर दें व दीर्घायु दें।
लोग जब भी उन्हें धन्यवाद देते हैं तो वह कहते हैं कि अगर तारीफ़ करनी ही है, धन्यवाद करना ही है यो उन महान दानी-सज्जनों का करो जिनकी दरियादिली से जनसेवा को पंख लग रहे हैं। ईश्वर की इच्छा उन्हीं के कारण पूरी हो रही है। जब भी वह मिलते हैं तो महान दानी सज्जनों का आभार प्रकट करते हुए नहीं थकते। वह कहते हैं कि दानी सज्जन ही उन्हें कार्य करने की प्रेरणा देते हैं और उनमें ऊर्जा भरते हैं। कितनी ऊंची सोच है इस साधारण से दिखने वाले मामूली से इंसान की।
यह सब कुछ लिखने के लिए में इसलिए प्रेरित हुआ हूँ कि जब मुझे ज्ञात हुआ कि किसी इन्फेक्शन की वजह से भाटिया जी भारद्वाज मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल अरला, पालमपुर में उपचाराधीन हैं, और में सपरिवार उनका कुशलक्षेम जानने पहुंचा। मुझे इतनी हैरानी हुई जब बिस्तर पर पड़े-पड़े भी भाटिया जी को हमने लोगों के दुख-दर्द में डूबे देखा। बहुत दुखी लग रहे थे भाटिया जी ल9गों के बारे में सोच-सोच कर।
हालांकि डॉक्टर ने सेहत नाज़ुक होने के कारण आराम करने की सलाह दी थी लेकिन भाटिया जी फिर भी, पाईप लगे होबे के बावजूद लोगों को सहारा दें3 कि लिए स्कूटर पर दौड़ते रहे और इसी कारण उनकी तबियत ज़्यादा खराब हुई। फिलहाल भाटिया जी का बेहतरीन ईलाज हो रहा है और जल्द ही उनके डिस्चार्ज होने की संभावना है।
डॉ. प्रेम भारद्वाज ने बताया कि परविन्दर जी जिस आत्मभाव से दीं-दुखियों की सेवा करते हैं वह अपनेआप में एक मिसाल है। उन्होंने कहा कि उनका हरसंभव उपचार किया जा रहा है तथा दृढ़ इच्छाशक्ति के चलते वह जल्द स्वस्थ होकर वह जनसेवा में उपस्थित होंगे।
ईश्वर जल्द उन्हें स्वस्थ करें।
जय शनि देव!