वाईस चांसलर पर लगे सरकारी धन के दुरुपयोग के आरोप, कुलपति की पत्नी के सरकारी वाहन के दुरुपयोग पर विवाद, अनुशासनात्मक कार्यवाही की उठी मांग, खामोशी की चादर ओढ़े मूकदर्शक बनीं विभिन्न जांच एजेंसियों की चुप्पी पर भी उठ रहे सवाल
"अंधेर नगरी, चौपट राजा, टके सेर भाजी, टके सेर खाजा"
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कुलपति पर नियम-कानूनों की धज्जियाँ उड़ाते हुए सरकारी वाहन व सरकारी ख़ज़ाने के दुरुपयोग का आरोप
पालमपुर
हिमाचल प्रदेश: कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति पर सरकारी धन व सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है।
विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कुलपति की धर्मपत्नी पिछले तीन वर्षों से लगातार सरकारी वाहन का दुरुपयोग कर रही हैं। वह विश्वविद्यालय के आउटस्टेशनों, कृषि विज्ञान केंद्रों और कृषि शोध केंद्रों में आयोजित सरकारी कार्यक्रमों में शामिल होती हैं। वे किसान-वैज्ञानिक संगोष्ठियों और वार्तालापों में भी भाग लेती हैं।
कुलपति की धर्मपत्नी विश्वविद्यालय की कर्मचारी या वैज्ञानिक नहीं हैं। इसलिए, उन्हें नियमित रूप से सरकारी वाहन का उपयोग करने का अधिकार कदापि नहीं है। कभी-कबार हो तो चल भी सकता है।
कुलपति की पत्नी सरकारी वाहन का उपयोग करके दूरदराज के क्षेत्रों में भी सैर-सपाटे पर जाती हैं, इससे लगातार पैसे की कमी से जूझने वाले विश्वविद्यालय को अतिरिक्त खर्च वहन करना पड़ता है।
कुलपति की पत्नी के सरकारी वाहन के दुरुपयोग के बारे में संबंधित अधिकारियों को कई बार शिकायत की गई है. लेकिन, उन्होंने आज तक कोई कार्रवाई नहीं की है। और तो और प्रदेश की विभिन्न जांच एजेंसियां भी खामोश होकर सब कुछ देख रही हैं लेकिन कार्रवाई करना कोई उचित नहीं समझ रहा जोकि अत्यंत हैरानी का विषय है।
कुलपति की धर्मपत्नी के सरकारी वाहन का दुरुपयोग एक गंभीर मामला है।
सीधे रूप से कहा जाए तो यह सरकारी संपत्ति और पद का दुरुपयोग है। विश्वविद्यालय के अधिकारियों को इस मामले में तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए और कुलपति के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई अमल मे लाई जानी चाहिए।
मुख्य बिंदु:
कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति की माननीया धर्मपत्नी पिछले तीन वर्षों से लगातार सरकारी वाहन का दुरुपयोग कर रही हैं।
वह विश्वविद्यालय की कर्मचारी या वैज्ञानिक नहीं हैं।
कुलपति की पत्नी सरकारी वाहन का उपयोग करके दूरदराज के क्षेत्रों में भी जाती हैं।
कुलपति की पत्नी के सरकारी वाहन का दुरुपयोग से विश्वविद्यालय को अतिरिक्त खर्च होता है।
विश्वविद्यालय के अधिकारियों को इस मामले पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए और सभी दोषियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी चाहिए।
विश्वविद्यालय को अपनी फिजूलखर्ची को रोकने के लिए कई कदम उठाने चाहिए.विश्वविद्यालय को अपनी संपत्ति का बेहतर प्रबंधन करने के लिए एक योजना बनानी चाहिए।
विश्वविद्यालयों को अपने खर्चों पर नजर रखने के लिए एक बजट बनाना चाहिए. इस बजट में सभी खर्चों को शामिल किया जाना चाहिए, चाहे वे बड़े हों या छोटे। बजट को हर महीने या हर तिमाही की समीक्षा करनी चाहिए।
अपने कर्मचारियों को फिजूलखर्ची रोकने के लिए प्रोत्साहित करना। विश्वविद्यालयों को अपने कर्मचारियों को फिजूलखर्ची रोकने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। इ
कर्मचारियों को फिजूलखर्ची के बारे में जागरूक करना और ज़िम्मेदार ठहराना।
फिजूलखर्ची रोकने के लिए कर्मचारियों को पुरस्कृत करना।
इन कदमों को उठाकर विश्वविद्यालय अपनी फिजूलखर्ची को रोक सकते हैं और अपने संसाधनों को बेहतर ढंग से प्रबंधित कर सकते हैं।
विशेष रूप से देने योग्य बात यह भी है कि इस वक्त वाइस चांसलर के पास इतनी बड़ी गाड़ी है की जिसमें पांच व्यक्ति आराम से बैठकर यात्रा कर सकते हैं यानी कि अगर कुलपति ने किसी सरकारी कार्यक्रम पर जाना है तो कुलपति के साथ विश्वविद्यालय के प्रसार निदेश, शोध निदेशक एवं महाविद्यालय के अधिष्ठाता एक ही वहां में यात्रा कर सकते हैं लेकिन विश्वविद्यालय में ऐसा नहीं हुआ ।
प्रसार निर्देशक, शोध निदेशक या अधिष्ठाता ने किसी भी दूर दराज क्षेत्र में सरकारी कार्यक्रम में कुलपति के साथ शामिल होना होता था तो वह कुलपति के वाहन में ना बैठकर अलग से वाहन में जाते थे जिससे कि विश्वविद्यालय के ऊपर अतिरिक्त खर्चा पड़ता रहा है ।
इसका मुख्य कारण यह रहा की अधिकतर समय में कुलपति के साथ सरकारी वाहन में कुलपति की पत्नी सरकारी कार्यक्रमों में शिरकत करती रही है ऐसी स्थिति में अन्य अधिकारियों को अलग से वाहनों का उपयोग करना पड़ता था क्योंकि जब कुलपति की पत्नी साथ बैठे हो तो वह सरकारी नहीं एक परिवारिक यात्रा बन जाती है।
स्पष्टीकरण
उपरोक्त मामले में माननीय कुलपति की राय जानने हेतु आज सोमवार प्रातः 10 बजे तक का समय दिया गया था लेकिन 4.00 बजे सायं तक भी उन्होंने उन पर लगे आरोपों का कोई जवाब देना उचित नहीं समझा, न ही हिम्मत जुटा पाए क्योंकि तमाम सुबूत कहानी खुद बयान कर रहे हैं। इसलिए सभी आरोपों को मौन स्वीकृति ही माना जाएगा।
– संपादक