मुख्यमंत्री सूक्खू ने रचा नया इतिहास, 45 साल पुरानी परम्परा को तोड़ कर क़ायम की व्यवस्था परिवर्तन की एक और ज़िन्दा मिसाल, मुख्यमंत्री ने अचानक दृढ़ संकल्प के साथ लिया ऐतिहासिक फ़ैसला, प्राकृतिक आपदा से जूझते-जूझते भी प्रदेश की तरक्की में लिख दी एक नई इबारत
मुख्यमंत्री सुक्खू की चौतरफा हो रही जय जयकार
*विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक ध्वनिमत से पारित*
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्दर सिंह सुक्खू ने 45 साल पुरानी परंपरा को बदलते हुए, दरकिनार करते हुए कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर और वानिकी विश्वविद्यालय नोणी, सोलन में स्वयं स्वतंत्र रूप से वाईस चांसलरों की नियुक्तियों के संदर्भ में संशोधन बिल पास करवा कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है।
♦ज्ञातव्य है कि उन्होंने ने एक ही झटके में, पलक झपकते ही, 45 साल पुरानी व्यवस्था में परिवर्तन कर के एक नया इतिहास रचने में सफलता हासिल की है।
♦मुख्यमंत्री सूक्खू एक के बाद एक ऐसे दूरगामी फैसले लेते जा रहे हैं जिससे उनके कर्तव्यनिष्ठ, ईमानदार, परिपक्व और दृढ़ संकल्पी होने की विभिन्न खूबियां परिलक्षित होती दिख रही हैं।
♠उन्होंने अपनी राजनीतिक सूझबूझ से एक ऐतिहासिक कदम उठा कर हिमाचल प्रदेश की राजनीतिक में अपना गहरा प्रभाव छोड़ दिया है।
♦1978 में स्थापित होने के बाद, पालमपुर के सीएसकेएचपीकेवी (CSKHPKV) में और सोलन के हॉर्टिकल्चर विश्वविद्यालय में वीसी का चयन और नियुक्ति गवर्नर द्वारा की जाती थी, मुख्यमंत्री की सहमति या प्रभाव के बिना। हालांकि, सूक्खू ने अपनी रिसर्च कमेटी के माध्यम से स्वतंत्र वीसी नियुक्तियों के पक्ष में एक विशेष विधेयक पारित करने का अभूतपूर्व निर्णय लेकर सबको हैरान कर दिया है।
यह इस दीर्घकालिक परंपरा से एक अद्भुत पृथकता को दर्शाता है। इससे हिमाचल प्रदेश की राजनीति में 45 साल पुराना रिकॉर्ड ध्वस्त हो गया है।
मुख्यमंत्री सूक्खू द्वारा इन प्रतिष्ठित संस्थानों के लिए अपनाया गया दृष्टिकोण, उनकी संघर्षशीलता, राज्य और उसके शिक्षा प्रणाली के लिए एक चांसलर के रूप में परिवर्तनकारी परिणाम प्राप्त करने की दिशा तय करता है।
गवर्नर को वीसी की नियुक्ति प्रक्रिया से बाहर करने का फैसला सूक्खू की राजनीतिक प्रतिष्ठा, उनके मजबूत नेतृत्व और कठिन समय में सूझबूझ का परिचय देते हुए मुश्किल फैसले लेने की क्षमता को दिखाता है। ऐसा फैसला हिमाचल प्रदेश का कोई भी मुख्यमंत्री पिछले 45 साल में लेने का साहस नहीं कर सका।
♦हमें यह कहने में तनिक भी अतिश्योक्ति नहीं है कि यह मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सूक्खू की संघर्षशीलता और राज्य के संस्थानों को मजबूत करने और बड़े फैसले लेने की उनकी अटल समर्पणता का प्रमाण है। यह उपलब्धि निश्चित रूप से आने वाली पीढ़ियों के लिए एक दीर्घकालिक धरोहर छोड़ जाएगी।
♦मुख्यमंत्री सुखू को उनके दृढ़ नेतृत्व और राज्य के विकास के प्रति उनके दृढ़ समर्पण के लिए लोगों ने, खासकर वैज्ञानिकों, शिक्षकों व तमाम कर्मचारियों ने बधाई व दिली शुभकामनाएं प्रेषित की है।
♦अगर यशस्वी मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्दर सिंह सूक्खू ऐसे ही दूरदर्शिता पूर्ण दूरगामी परिणामों से परिपूर्ण निर्णय लेते रहे तो वह दिन दूर नहीं जब तमाम मुश्किलें को पार करते हुए हिमाचल प्रदेश भ्रष्टाचार की दलदल से बाहिर निकल कर आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ाएगा और यह मुख्यमंत्री सुक्खू का सपना भी है।♥
जय हिंद – जय हिमाचल