सनसनी : आउटसोर्सिंग टेंडरिंग मामले में कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर सतर्कता विभाग के घेरे में

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Dr. Sushma Sood (Founder : Sushma Hospital, Dental Radiance Hospital Palampur
Dr. Swati Katoch Sood, & Dr. Anubhav Sood, Gems of Dental Radiance
DENTAL RADIANCE
DENTAL RADIANCE HOSPITAL PALAMPUR TOUCHING SKY
In DENTAL RADIANCE HOSPITAL PALmpur
DENTAL RADIANCE HOSPITAL

*चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर सतर्कता विभाग के घेरे में*

शिमला

INDIA REPORTER TODAY (IRT)

इंडिया रिपोर्टर टुडे ब्यूरो

हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के विश्वस्थ सूत्रों से मिली पुख्ता जानकारी के अनुसार चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में करोड़ों रुपए की अनियमित आउटसोर्सिंग से जुड़ा वित्तीय अनियमितता का एक सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है।

Budhamal Jewellers, Budhamal Empires, Palampur

एक गैर सरकारी संस्था ने इस मामले की शिकायत सतर्कता विभाग से की है।

शिकायत के अनुसार, विश्वविद्यालय ने वर्ष 2016 से लेकर जुलाई 2019 तक आउटसोर्स के ठेकेदार को बिना टेंडर को विज्ञापित किए हुए लगातार तीन वर्षों तक 5.9% सर्विस चार्ज पर गैर कानूनी एवं नियम का उल्लंघन करते हुए आउटसोर्स सर्विस सेवाएं देने के लिए अनियमित प्रसार (एक्सटेंशन) मिलता रहा।

 

ऑडिट विभाग ने वर्ष 2019 में इस अनियमिता का खुलासा किया।

हैरानी जी बात है कि ऑडिट विभाग के हस्तक्षेप के बावजूद अगले 11 महीने तक ठेकेदार को सेवाएं देने के लिए अनियमित प्रसार नियमित रूप से मिलता रहा।

ऑडिट विभाग ने इस अनियमिता के चलते 5.5 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष अनियमित खर्चे पर प्रश्न चिन्ह लगाया जोकि 3 वर्षों में लगभग 16 करोड रुपए की राशि बनती है।

3 वर्षों बाद जब आउटसोर्स सर्विस के लिए टेंडर निकाला गया तो इस व्यक्ति को आउटसोर्स सर्विस का टेंडर मिला जो पिछले तीन वर्षों तक अनियमित तरीके से विश्वविद्यालय द्वारा सेवाएं देने के लिए प्रसार प्राप्त करता रहा।

Shani seva sadan
Shani Seva Sadan PALAMPUR

मजे की बात है कि इस बार सर्विस चार्ज 5.9% न होकर 2.83% की दर से ठेकेदार ने आउटसोर्स सर्विस देने के लिए टेंडर प्राप्त किया। जहां समय के साथ महंगाई बढ़ती गई वही ठेकेदार ने चार साल तक 5.9% सर्विस चार्ज प्राप्त करने के बाद 2.83% सर्विस चार्ज पर टेंडर प्राप्त किया जोकि एक अचम्भा है।

इस मामले में एक और सवाल यह भी उठता है कि क्या टेंडर खोलने की प्रतिक्रिया पर भी प्रश्न चिन्ह लगता है क्योंकि मात्र कुछ पैसे के अंतर से ही टेंडर चहेते ठेकेदार के पक्ष में स्वीकृत हो गया।

देखने योग्य बात है कि सेकंड लोएस्ट टेंडर का रेट कितना है, कितने पैसों का फर्क है, ऐसा तो नहीं कि चहेते ठेकेदार को कुछ ऐसी भनक लग गई हो कि टेंडर में मात्र दो-चार पैसे कम भरने से उसे टेंडर मिल सकता है।

यह भी जांच का विषय है कि सन 2019 में ऑडिट विभाग द्वारा उठाए गए अनियमित आउटसोर्स सर्विस के खर्चे की गड़बड़ी पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने कोई कार्यवाही क्यों नहीं की जबकि यह गूढ़ जांच का विषय था।

प्रदेश सरकार एवं सतर्कता विभाग ने शिकायत का समुचित संज्ञान लेते हुए इस सनसनीखेज मामले की जांच शुरू कर दी है।

वर्तमान परिस्थितियों में यह संभावित प्रतीत होता है कि इस अनियमित वित्तीय खर्चे गड़बड़ी में शामिल अधिकारी एवं कर्मचारी इस निष्पक्ष जांच को प्रभावित कर सकते हैं।

ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि विश्वविद्यालय में अधिकांश संवैधानिक पदों पर कोई भी नियमित अधिकारी नहीं, केवल रजिस्ट्रार एवं वित्त नियंत्रक को छोड़कर, यहां तक कि कुलपति भी नियमित न होकर कार्यवाहक है।

यदि कोई अधिकारी इन अनियमिताओं में संलिप्त हैं तो नियमित पद पर रहते हुए जांच प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं।

संस्था ने सरकार से यह भी प्रार्थना की है कि यदि कोई अधिकारी इस वित्तीय अनियमितता में शामिल है तो उसे पद से मुक्त किया जाए ताकि वह किसी भी तरह से जांच को प्रभावित न कर सके।

इसलिए आउटसोर्स से जुड़े सभी अधिकारी एवं कर्मचारी जो वर्ष 2016 से लेकर जुलाई 2019 तक आउटसोर्स टेंडरिंग एवं आउटसोर्स ठेकेदार को अनियमित सर्विस प्रसार अधिसूचना जारी करने में शामिल रहे हों उन्हें तुरंत प्रभाव से संवैधानिक एवं संवेदनशील पदों से हटाया जाए।

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सूत्रों के अनुसार सतर्कता विभाग ने कृषि विश्वविद्यालय को पत्र लिखकर संबंधित दस्तावेज पेश करने को कहा है ताकि जांच विधि अनुसार अमल में लाई जा सके।

क्या है मामला?
कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में आउटसोर्सिंग के नाम पर करोड़ों रुपये की अनियमितता का मामला सामने आया है। एक गैर सरकारी संस्था ने इस मामले की शिकायत सतर्कता विभाग से की है।

CHIEF MINISTER RELIEF FUND.. FULL PAGE ADVT. R.O. No. 1220/2022-2023 (Display)

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