भंडाफोड़! *पूछो कितने में बिके ये गद्दार – राजा और रानी हैं इनके सरदार* के पोस्टर पालमपुर में कर रहे गद्दारों का उपहास…मुख्यमंत्री सुक्खू और 6 गद्दारों के बीच तकरार, बृज बिहारी लाल बुटेल के मातृभाक्ति के जज़्बे को सलाम! उनका मत है कि पार्टी तो माँ के समान होती है, उसके साथ विश्वासघात करने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता..कहां हैं आज ऐसे पार्टी के सुपूत? क्या। पावर और पैसे की चकाचौंध ने सब धूमिल कर दिया!

ग़लतफहमियों के सिलसिले आज इतने दिलचस्प हैं, कि हर ईंट सोचती हैं, दीवार मुझपर टिकी है

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    RAJESH SURYAVANSHI
    Editor-in-Chief, HR MEDIA GROUP, 9418130904, 8988539600
आज पालमपुर व आसपास के क्षेत्रों में,  कोने-कोने में हिमाचल प्रदेश सरकार के 6 कथित गद्दार नेताओं के बारे में फ़ोटो सहित लगे अनगिनत पोस्टरों में उनके बारे में और उनके आश्रयदाताओं के बारे में पढ़ कर मन को बहुत ठेस पहुंची, अत्यधिक पीड़ा भी हुई।। यह वही स्थान हैं जहां इन नेताओँ की राहों में फूलों की वर्षा होती थी। उन पर पुष्प बरसाए जाते थे, उनकी जयजयकार से पूरा पालमपुर गुंजायमान हो उठता था।
आज उनकी गद्दारी की वजह से आहत लोग उनकी बदनामी के चर्चे सरेआम कर रहे है और उनसे दुखी लोग उनके ख़िलाफ़ पोस्टर लगाने पर मजबूर हैं। लोग कह रहे हैं कि उन्होंने अपना कीमती वोट बर्बाद कर दिया। 

लोगों को इस बात पर आज भी विश्वास नहीं हो रहा है कि क्या कोई राजनेता इस हद तक गिर सकता है कि चंद सिक्कों की खातिर अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए अपनी पार्टी रूपी मां की पीठ में छुरा घोंप कर उसे लहूलुहान कर सकता है, उसे पूरे विश्व में बदनाम कर सकता है।

मात्र कुछ करोड़ रुपयों की ख़ातिर इन 6 तथाकथित बागियों ने अपनी पार्टीरूपी मां के साथ गद्दारी कर डाली।

उन्हें इस बात का आभास होना चाहिए था कि आज जो करोड़ों रुपए की संपत्ति उनके पास है वह इसी कांग्रेस रूपी मां की देन है, देश विदेश में जो उनकी अथाह संपत्तियां हैं वह इसी पार्टी रूपी मां की देन है उन्हें कदापि माफ नहीं किया जा सकता…. ऐसा जनता का मानना है। आज ये 6 के 6 गद्दार मतदाताओं की आंख में कांटा बनकर चुभ रहे हैं।

मतदाताओं को इन 6 कथित काले नागों से इतनी अधिक घृणा हो चुकी है कि वे उनकी शक्ल भी देखना नहीं चाहते।

हिन्दोस्तान के इतिहास में राजनीति की जंग में इतनी घृणित और निन्दनीय घटना आज तक नहीं हुई। जिन लोगों ने इस निन्दनीय घटना में इन गद्दारों का प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से साथ दिया उन्हें भी देश-प्रदेश की जनता कभी माफ़ नहीं करेगी क्योंकि उन का अपराध और भी घृणित और माफ़ी से परे है। उन्हें अपने गिरेबाँ में झांक कर देखना होगा कि उन्होंने जयचंद बनकर जाने-अनजाने में आस्तीन के सांपों की लोकोक्ति को चरितार्थ करने में तनिक भी कसर नहीं छोड़ी अब उन्हें अपनी वास्तविक स्थिति तब नजर आएगी जब वह उपचुनाव के लिए मैदान में उतरेंगे।

लोगों का मानना है कि अभी भी समय है कि जो लोग पीठ पीछे वार करने का मौका देख रहे हैं वे मुख्य धारा में लौट आए अन्यथा ना रहेगा बांस और न बजेगी बांसुरी।

वर्तमान परिस्थितियों में अगर मैं स्वच्छ राजनीति के दिग्गज, महारथी श्री बृज बिहारी लाल बुटेल जी का ज़िक्र न करूं तो कलम के साथ बहुत नाइंसाफी होगी….

पंडित सुखराम ने 1998 में आय से अधिक संपत्ति के मामले में सीबीआई के छापे के बाद कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी।।

इसके बाद उन्होंने अपनी पार्टी बनाई, जिसका नाम था ‘हिमाचल विकास कांग्रेस’. चुनाव के बाद उन्होंने बीजेपी के साथ गठबंधन किया और सरकार में शामिल हुए. 1998 में मंडी सदर से विधानसभा चुनाव लड़ा और 22,000 से ज़्यादा वोटों से जीत हासिल की. यह जीत राज्य में सबसे ज़्यादा थी। 

*हिमाचल विकास कांग्रेस* के गठन के समय कुछ नेताओं के इधर-उधर खिसकने की चर्चाएं चरम सीमा पर थीं। इसी संदर्भ में कांग्रेस के कर्मठ सिपहसालार श्री बृज बिहारी लाल बुटेल जी का मन टटोलने की मंशा से उनसे मुलाकात की तो उनका सीधा उत्तर था….

हिमाचल प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री, हिमाचल विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष व पालमपुर से पूर्व विधायक श्री बृज बिहारी लाल बुटेल ने पालमपुर के लोक निर्माण विभाग के रेस्ट हाउस में तत्कालीन पालमपुर रिपोर्टर अब (हिमाचल रिपोर्टर) के साथ विशेष भेंट में उस समय जो शब्द कहे थे,वर्तमान परिदृश्य में वे अनमोल शब्द मुझे याद हो आए जिनका यहाँ उल्लेख करना मैं ज़रूरी समझता हूं।

जब स्व. यूनियन मिनिस्टर पंडित सुखराम जी ने कांग्रेस की पीठ में छुरा घोंप कर अपनी अलग पार्टी बनाई थी तथा श्री बुटेल पर भी पार्टी में शामिल होने का काफ़ी प्रेशर था मगर उन्होंने पार्टी रूपी माँ से गद्दारी करने की बात सोची तक नही, अपनी राह पर अडिग रहे और आज तक पार्टी से पूरी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से जुड़े हुए हैं।

उन्हीं के नक़्शे-कदम पर आज उनके पुत्र श्री आशीष बुटेल भी पूरी निष्ठा से चल रहे हैं।
जब मैंने श्री बुटेल से पूछा था कि क्या वह अन्य लोगों की भांति पार्टी बदलने की सोच रहे हैं तो उन्होंने बड़े गर्व से कहा था कि…
राजेश जी, पार्टी तो माँ के समान होती है। स्वार्थसिद्धि के लिए उससे गद्दारी कदापि नहीं की जा सकती। मैं एक सच्चा सिपाही हूं पार्टी का और मरते दम तक उसका दामन नहीं छोड़ूंगा।”
हुआ भी वही। जो कहा, करके दिखाया उनका कथन पत्थर की लकीर साबित हुआ।  वह आज भी वह पार्टी के साथ कंधे से कंधा मिलाए खड़े हैं वरना जो उनका रुतबा है उसके दम पर वह किसी दूसरी शक्तिशाली पार्टी का दामन थाम कर बड़े से बड़ा पद ग्रहण कर सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा कदापि नहीं किया। उनके इस जज़्बे को हम सलाम करते हैं।
यह उदाहरण उन मौकापरस्त राजनीतिज्ञों के मुंह पर करारा थप्पड़ है जो मात्र अपनी स्वार्थसिद्धि के लिए पार्टी रूपी मां से किसी भी हद तक गद्दारी कर सकते हैं। उसके मान-सम्मान की धज्जियां उड़ा सकते हैं।
*बाप बड़ा न भैया-सबसे बड़ा रुपइया*
की लोकोक्ति चरितार्थ हो रही है। माँ की पीठ में चुपके से खंज़र घोंप कर उसे लहूलुहान कर सकते हैं। वे आज अपनों से , अपने परिवारजनों से नज़रें छुपाए फिर रहे हैं।
आज हमें ज़रूरत है तो श्री बृज बिहारी लाल जैसे कर्मठ नेताओं की जो पार्टी को अपनी मां समान समझते हैं, उसी मां की खातिर जीते हैं और उसी की आन की ख़ातिर अपनी जान तक न्यौच्छावर करने से नहीं चूकते
 पार्टी के प्रति निष्ठा और विश्वास श्री बृज बुटेल की पूंजी है।
 “वह सही कहते हैं कि पार्टी तो मां के समान होती है, उसे कभी धोखा नहीं दिया जा सकता। उसके साथ कभी विश्वासघात नहीं किया जा सकता।
आज का शक्तिशाली और समृद्ध पालमपुर उन्हीं की देन है जो हिमाचल की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
श्री बृज बिहारी लाल ने कहा था कि पार्टी एक मां के समान होती है, जिसके प्रति हमें सदैव सम्मान और निष्ठा रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मां की तरह पार्टी भी हमें पालन-पोषण और मार्गदर्शन देती है। उन्होंने कहा कि किसी भी परिस्थिति में हमें पार्टी का साथ नहीं छोड़ना चाहिए और उसके प्रति विश्वासघात नहीं करना चाहिए।
श्री बृज बिहारी लाल के इस बयान का अर्थ है कि पार्टी के प्रति निष्ठा और विश्वास राजनीतिक जीवन में सफलता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा था कि राजनीतिक दल एक परिवार के समान होते हैं, और परिवार में सदस्यों को एक दूसरे के प्रति समर्पित रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि पार्टी बदलना या उसके साथ विश्वासघात करना एक अपराध है, जो राजनीतिक करियर को नुकसान पहुंचा सकता है।

श्री बृज बिहारी लाल का यह बयान राजनीतिक कार्यकर्ताओं और नेताओं के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है। यह उन लोगों को चेतावनी देता है जो राजनीतिक स्वार्थ के लिए पार्टी बदलने या उसके साथ विश्वासघात करने की सोचते हैं।
वह एक अनुभवी राजनेता हैं और हिमाचल प्रदेश में उनकी अच्छी प्रतिष्ठा है तथा हिमाचल की राजनीति की वह हिमाचल की राजनीति की वह अमूल्य धरोहर है।
अब जरा मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की बात भी लगे हाथ कर ही ली जाए….

*कौन हैं सुखविंदर सिंह सुक्ख?* क्यों जरूरी है ये कहानी सुनना
ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू एक बस ड्राइवर के बेटे हैं। NSUI से अपनी राजनीति की शुरुआत कर आज मुख्यमंत्री बनकर जनता की सेवा कर रहे हैं। कोरोना में अपनी जमापूँजी दान कर दी। जब हिमाचल में भारी आपदा आई तब प्रदेश के लोगों के दुःख में दिन रात खड़े रहे। अपनी सारी जमा पूँजी दान कर दी।
*लेकिन एक बात बहुत रोचक है। सुखविंदर सिंह सुक्खू 4 बार के MLA हैं। पहला चुनाव 2003 में जीते। आपको जानकर हैरानी होगी की 4 बार MLA जीतने के बाद भी सुखविंदर सिंह सुक्खू कभी मंत्री नहीं बने।*
लेकिन सुक्खू ने कभी संगठन के कामों से मुँह नहीं फेरा। कभी अपनी पार्टी से गद्दारी नहीं की। कभी मंत्री पद के लिए पार्टी को ब्लैकमेल नहीं किया। NSUI से अपने संघर्ष की शुरुआत करने वाले इस गरीब के बेटे ने पार्टी और जनसेवा के कर्तव्य को ही सबसे आगे रखा।
अवसरवादी लोग 5 साल में ही पार्टी में गद्दारी के बीज बोने लगते हैं। लेकिन सुखविंदर सिंह सुक्खू जैसा जमीनी और वफादार नेता वर्षों तक बिना किसी लालच के पार्टी की सेवा करता है।
लोग हुंकार भर कर कह रहे हैं कि अवसरवाद को हराना है, समर्पण का साथ निभाना है, ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा को जिताना है।

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