प्रख्यात साहित्यकार व लेखक पीसीके प्रेम द्वारा रचित ‘श्रीमद भागवत महापुराण’ के तीन खंडो का विमोचन किया श्री शांता कुमार ने

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पालमपुर:  (राजेश सूर्यवंशी)

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प्रख्यात साहित्यकार व लेखक पीसीके प्रेम द्वारा रचित ‘श्रीमद भागवत महापुराण’ के तीन खंडो का रविवार को होटल टी बड में विमोचन किया गया। हिमोत्कर्ष साहित्य संस्कृति एवम जनकल्याण परिषद पालमपुर चैप्टर के सौजन्य से आयोजित इस विमोचन समारोह में हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष बृज बिहारी लाल बुटेल ने मुख्य संसदीय सचिव आशीष बुटेल,पूर्व मंत्री रविंदर रवि व पूर्व विधायक परवीन कुमार,शंकुन्तला कटोच,हिमोत्कर्ष संस्था पालमपुर शाखा अध्यक्ष मनोज कुँवर की उपस्थिति में अंग्रेजी भाषा में लिखित ‘श्रीमद भागवत महापुराण’ के तीन खंडो का विमोचन करते हुए इसे अभी तक की महान कृति करार दिया।

इस अवसर पर मुख्यतिथि शांता कुमार ने कहा कि श्रीमद भागवत महापुराण हिंदुओं का पवित्र धर्मग्रंथ है,जोकि मनुष्य को मनुष्य और मानव जाति से प्रेम करना सिखाता है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी भाषा में इसे प्रस्तूत कर पीसीके प्रेम ने देश-दुनिया के लोगों के लिए उपलब्ध करवाया है,जोकि एक सराहनीय प्रयास है। उन्होंने कहा कि श्रीमद भागवत महापुराण दुनिया के निर्माता, शाश्वत और सर्वज्ञ ईश्वर के संदेश की बात करता है। यह आधुनिक मनुष्य की चिंताओं के बारे में बताता है। यह सलाह देता है कि उसे धर्म के बारे में और अधिक सीखना होगा। प्रेम, करुणा, ज्ञान, ज्ञान, सत्य और धार्मिकता के जीवन के बारे में यह पुस्तक संदेश देती है। यह पवित्र पुस्तक ईश्वर का प्रतिरूप है। शांता कुमार ने कहा कि आध्यात्मिकता आस्था और परंपरा है। जन्म, पुनर्जन्म और मृत्यु के चक्र से छुटकारा पाना-स्थानांतरण के बंधन से मुक्ति ही मानव जीवन का लक्ष्य है। आध्यात्मिकता का अर्थ मुक्ति या मोक्ष प्राप्त करना है और यह तभी संभव है जब एक सार्वभौमिक आत्मा-जीव-आत्मा का परमात्मा के साथ विलय हो जाए। विलय या एकीकरण प्राप्त करना ही नश्वर शरीर की मंजिल है। वेदों, उपनिषदों और पुराणों में इस लक्ष्य की प्राप्ति के मार्ग के बारे में पता चलता है। शांता कुमार ने कहा कि प्राचीन कथाएँ न केवल गहन आध्यात्मिक, मनोवैज्ञानिक और सत्य की खोज करने वाली सच्चाइयों को उजागर करती हैं बल्कि एक अच्छा जीवन जीने की शिक्षा भी देती हैं। शाश्वत सत्य धर्मों में व्याप्त है और मनुष्य को आचरण, शब्दों और कर्मों में आधुनिक अतार्किकता के बावजूद एक बेहतर इंसान बनने के लिए कहता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष बृज बिहारी लाल बुटेल ने कहा कि पीसीके प्रेम एक बेहतरीन प्रशासनिक अधिकारी रहने के साथ-साथ उत्कृष्ट लेखक व साहित्यकार भी है। उन्होंने कहा कि पीसीके प्रेम ने श्रीमद भागवत महापुराण को अंग्रेजी भाषा में प्रस्तूत कर भारत के प्राचीन ग्रंथ को विश्व के अन्य भागों में रह रहे लोगों तक पहुंचाने का अनुठा कार्य किया है। इसके लिए वह बधाई के पात्र है। कार्यक्रम के विशिष्टातिथि मुख्य संसदीय सचिव आशीष बुटेल,पूर्व मंत्री रविंद्र रवि व पूर्व विधायक प्रवीण कुमार ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखे। पुस्तक के बारे में बताते हुए लेखक पीसीके प्रेम ने कहा कि वेदों और महाभारत के विभिन्न विचारों को एक साथ लाने के अद्भुत आयामों का लेखन कार्य पूरा करने के बाद ऋषि ब्यास खुश नहीं थे। यह नाखुशी और हताशा का एक गंभीर कारण था। दिव्य ऋषि नारद ब्यास के दु:ख और शोक के अंतर्निहित कारणों को समझ सकते थे। नारद ने बताया कि उन्होंने (ब्यास ने) एक उत्कृष्ट कार्य किया है और मोक्ष की प्राप्ति के लिए मनुष्य के लिए आवश्यक कर्म और ज्ञान के अर्थ के बारे में बात की है। हालाँकि, एक सामान्य व्यक्ति के लिए इस सार को इतनी आसानी से समझना संभव नहीं था, और इसलिए, उन्हें भक्ति के बारे में लिखना चाहिए-भक्ति ताकि लोग कठिन समय में भक्ति का सही अर्थ समझ सकें। पीसीके प्रेम ने कहा कि ऋषि ब्यास श्रीमद्भागवत महापुराण लिखते हैं। यहां, वह भक्ति के महत्व पर जोर देते हैं – भक्ति, और बाद में, पवित्र पुस्तक का पवित्र संदेश ऋषि ब्यास के पुत्र ऋषि सुका तक जाता है, और उसके बाद राजा परीक्षित और फिर ऋषि सूत तक जाता है। इस अवसर पर शंकुतला कटोच,मधु,स्वरूप,हनी,पुनीत कटोच,शिवालिक,रूपेश,ऋषित,नीकिशा पठानिया,मेघा,विक्रांत,आर्या कटोच,हिमोत्कर्ष संस्था पालमपुर के प्रतिनिधि मनोज कुँवर,डॉ राकेश कपिला,नितिका जम्वाल,सीमा चौधरी,विकास वासुदेवा,साहिल चित्रा,कर्ण कुँवर, सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

*कौन है पुस्तक के लेखक पीसीके प्रेम* (पीसी कटोच)एक उच्च कोटी के शिक्षाविद्,लेखक व साहित्यकार है। सिविल सेवक के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश लोक सेवक आयोग के सदस्य रह चुके है। 78 वर्षीय पीसीके प्रेम अभी तक 70 से अधिक किताबें लिख चुके है। अंग्रेजी भाषा में कविता के 11 संग्रह,7 उपन्यास तथा लघु कथा के 2 संग्रह प्रकाशित हो चुके है। हिंदी में 20 उपन्यास,लघु कथा साहित्य पर 9 पुस्तकें,कविता व आलोचना का एक संग्रह भी प्रकाशित हो चुका है। उन्हें संग्याहीन के लिए अकादमी पुरस्कार,वंशदान के लिए गुलेरी पुरस्कार तथा कालखंड के लिए भारत हिंदी रतन पुरस्कार सहित दो दर्जन से अधिक पुरस्कार प्राप्त हो चुके है। श्रीमदभागवत महापुराण पुस्तक श्रीमद भागवत महापुराण के तीन खंडो को अंग्रेजी भाषा में लिखने में 6 वर्ष से अधिक का समय लगा है। यह तीन खंडो में है। पहले खंड में 558,दूसरे खंड में 556 व तीसरे खंड में 810 पृष्ठ है। खंड एक व दो की कीमत 2900 रूपए व खंड तीन की कीमत 4800 रूपए है। इसे आथर्सप्रेस नई दिल्ली ने प्रकाशित किया है।

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