धर्मशाला में टीबी निदान में देरी कम करने के लिए जिला स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन

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धर्मशाला में टीबी निदान में देरी कम करने के लिए जिला स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन

RAJESH SURYAVANSHI, CHAIRMAN MISSION AGAINST CORRUPTIONcum Editor-in-Chief, HR MEDIA GROUP

दिनांक 13 अगस्त 2024 को धर्मशाला में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा जपाईगो संस्था के सहयोग से जिला कांगड़ा में टीबी निदान को लेकर देरी कम करने के लिए टीफा प्रोजेक्ट के अंतर्गत जिला स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया।

मुख्यचिकित्सा अधिकारी कार्यालय के मीटिंग कक्ष में इस जिला स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला की अध्यक्षता मुख्यचिकित्सा अधिकारी डॉ राजेश गुलेरी ने की ।

इस प्रशिक्षण कार्यशाला आयुष विभाग, जिला कैमिस्ट एसोसिएशन, सहायक ड्रग कंट्रोलर, ग्रामीण क्षेत्रों के चिकित्सकों, ड्रग इंसपेक्टरों, ब्लॉक मेडिकल अधिकारियों, तथा सभी ब्लॉकों एसटीएस ने भाग लिया । इस टीफा प्रोजेक्ट के अंतर्गत प्रशिक्षण कार्यशाला में जिला टीबी कार्यक्रम अधिकारी डॉ राजेश सूद तथा जिला कार्यक्रम अधिकारी जपाईगो प्रवीण चौहान ने प्रशिक्षण दिया ।

इस बारे जानकारी देते हुए मुख्यचिकित्सा अधिकारी डॉ राजेश गुलेरी ने जानकारी देते हुए बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यशाला का लक्ष्य कांगड़ा जिला में टीबी का पता लगाने व निदान को मजबूत करने केलिए प्रयास करना है । डॉ गुलेरी ने कहा कि जिलेमें टीबी निदान में होने वाली देरी को कम करने के लिए प्रोजेक्ट टीआईईएफए के तहत स्वास्थ्य विभाग और जपाईगो संस्था की एक नई पहल है ।डॉ गुलेरी ने कहा कि इस कार्यक्रम के अंतर्गत सार्वजनिक व निजी दोनों क्षेत्रों के आयुष सेवा प्रदाताओं जिले के सभी केमिस्टों, व ग्रामीण स्वास्थ्य चिकित्सकों को शामिल किया जा रहा है ताकि इन सभी हितधारकों के सयुंक्त प्रयास से टीबी निदान में देरी को कम करने महत्वपूर्ण साबित हो सके । डॉ गुलेरी ने जानकारी देते हुए कहा कि अधिकांश लोग आम तौर पर लक्षणों को नजरंदाज करते है व स्वास्थ्य को लेकर ध्यान नही देते । उन्होंने बताया कि भारत मे 70 फीसदी लोग टीबी के लक्षणों का अनुभव होने पर शुरू में कैमिस्ट व आयुष चिकित्सकों व नजदीकी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं से सहायता लेते हैं जिसकारण लक्षण होने पर ईलाज में देरी होती है । डॉ गुलेरी ने कहा कि टीआईईएफ एक एक अनूठी योजना है तथा हिमाचल पहला राज्य है जहां इसे शुरु किया जा रहा है । डॉ राजेश सूद ने कहा कि इस परियोजना के बारे प्रशिक्षण कार्यशाला के तकनीकी सत्र में कहा कि निजी व सार्वजनिक आयुष प्रदाताओं , केमिस्टों व ग्रामीण स्वास्थ्य चिकित्सकों को एकीकृत करके हिमाचल में टीबी निदान व देखभाल में देरी कम करना है ।

 

 

डॉ सूद ने इस दौरान आयुष हेल्थकेयर प्रदाताओं, केमिस्टों , आर एचपी, , जिला ड्रग इंसपेक्टरों, एंटीईपी, सभी हितधारकों को उनकी इस कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका के बारे विस्तार से बताया । उन्होनें कहा कि जमीनी स्तर पर अभ्यास के लिए जिले के प्रत्येक ब्लाक में जपाईगो के सहयोग से प्रशिक्षण सत्रों का आयोजन किया जाएगा । इस दौरान प्रवीण चौहान जिला कार्यक्रम अधिकारी जपाईगो संस्था ने टीआईईएफ प्रोजेक्ट के लक्ष्यों उददेश्यों, तथा अपेक्षित परिणामों के बारे विस्तृत जानकारी दी । उन्होंने प्रोजेक्ट के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सभी हितधारकों की भूमिका , क्षमता निर्माण तथा टिकाऊ टीबी प्रबंधन प्रथाओं से जुड़ी रणनीतियों के बारे चर्चा की ।

उन्होंने इस सत्र के दौरान इसके उद्देश्यों को रेखांकित करते हुए बताया कि जिस प्रकार टीआईईएफए परियोजना के तहत स्वास्थ्य विभाग जपाईगो के सहयोग से प्रौद्योगिकी में विशेष रूप से टीबी मुक्त हिमाचल एप्लिकेशन , आईबीआर एस और निक्षय कई मदद लेने जा रहा है जिससे आयुष स्वास्थ्य देखभाल को एकीकृत करने वाली तकनीक सक्षम , प्रदाता केंद्रित मॉडल के रूप में प्रदर्शित हो सके । उन्होंने कहा कि सभी हितधारकों को टीबी की शीघ्र पहचान में तेजी लाने के लिए एंटीईपी में शामिल किया गया है । और सम्भावित टीबी मामलों की पहचान करने के लिए कफ सिरप की बिक्री को ट्रैक करने के लिए , निगरानी करने व रिपोर्ट करने के लिए प्रदाता स्तर पर एक डिजिटल रूप से सक्षम निगरानी प्रणाली लागू की गई है ।

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