आशीष बुटेल से मिलकर कृषि विश्वविद्यालय की 112 हेक्टेयर भूमि का पर्यटन गांव के लिए हस्तांतरण का विरोध*
*कृषि विश्वविद्यालय की 112 हेक्टेयर भूमि का पर्यटन गांव के लिए हस्तांतरण का विरोध*
हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (ह्पौटा) की कार्यकारणी पालमपुर के विधायक एवं मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस), श्री आशीष बुटेल से मिली एवं 112 हेक्टेयर भूमि का पर्यटन गांव के लिए हस्तांतरण से सम्बंधित ज्ञापन भी सौपा । हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. जनार्दन सिंह ने विधायक एवं मुख्य संसदीय सचिव जी को बताया कि विश्वविद्यालय की पहले ही काफी जमीन विक्रम बत्रा कॉलेज, विज्ञान संग्रहालय, हेलिपैड, आदि के लिए सरकार द्वारा ले ली गयी है ।
अब विश्वविद्यालय के पास जमीन केवल मौजूदा चार कॉलेजों कृषि महाविद्यालय, पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान महाविद्यालय, सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय और आधार भूत विज्ञान महाविद्यालय को चलाने के लिए ही बची है । सरकार द्वरा ली जाने वाली जमीन कभी उपजाऊ एवं विकसित की गयी है और उसपर प्राकृतिक फार्म, गोशाला, कई छोट बड़े भवन, कार्यशाला, बीज उत्पादन यूनिट, चाय बागवान आदि कई करोड़ पैसे खर्च कर के स्थापित किया गया है । इसका विभिन्न प्रकार के शोध कार्य के लिए उपयोग किया जा रहा है ।
डॉ. जनार्दन सिंह ने यह भी बतया कि नई शिक्षा नीति के कार्यान्वयन के साथ, स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट छात्रों का प्रवेश साल दर साल बढ़ रहा है और मौजूदा प्रायोगिक क्षेत्र विभिन्न वैज्ञानिक क्षेत्र प्रयोगों के लिए कम पड़ रहा है। नई शिक्षा नीति के तहत नए कॉलेज और नए कार्यक्रम शुरू किए जाने हैं। लगभग सभी राज्यों में कृषि अभियांत्रिकीय महाविद्यालय स्थापित है लेकिन हिमाचल प्रदेश में अभी स्थापित होना है जिसके लिए प्रपोजल सरकार और भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद्, न्यू दिल्ली को भेजा जा चुका है । छात्रों के क्षेत्र प्रयोग की बढ़ती आवश्यकता को पूरा करने और विश्वविद्यालय की डेयरी फार्मिंग को बनाए रखने के लिए प्रस्तावित क्षेत्र का विकास किया जा रहा है। पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान महाविद्यालय की मान्यता के लिए न्यूनतम आवश्यकता के अनुसार, सुअर पालन और बकरी फार्म शुरू करने के लिए शीघ्र ही नया बुनियादी ढांचा जोड़ा जाना है। छात्रावास आवास की कमी के कारण कई स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों, विशेषकर लड़कियों को विश्वविद्यालय से बाहर रहने के लिए मजबूर होना पड़ता है। अत: छात्रों के लिए छात्रावास के निर्माण हेतु अधिक क्षेत्र की आवश्यकता है । इसके साथ ही साथ विश्वविद्यालय की भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद्, न्यू दिल्ली द्वारा प्राप्त मान्यता भी खतरे में पड़ सकती है।
डॉ. सिंह ने इसपर भी जोर दिया कि यदि विश्वविद्यालय के पास मौजूदा क्षेत्र पांच सौ हेक्टेयर से कम हो गया, तो उत्तर पश्चिमी हिमालय के लिए केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय बनने की प्रतिस्पर्धा की गुंजाइश भीं ख़त्म हो जाएगी। केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय बनाने से प्रदेश की आर्थिक जिम्मेवारी भी ख़त्म होगी । प्रदेश की सरकार को हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय को केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय बनाने के सम्बन्ध में केन्द्रीय सरकार से बात करने का प्रयास करना चाहिए ताकि प्रदेश की आर्थिक जिम्मेदारी ख़त्म हो सके ।
विधायक एवं मुख्य संसदीय सचिव, श्री आशीष बुटेल जी ने हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. जनार्दन सिंह की बात बड़ी ध्यान एवं गंभीरता से सुनी । उन्होंने पर्यटन गांव के लिए सरकार द्वारा प्रस्तावित भूमि के उपयोग के सम्बन्ध में काफी बिन्दुओं पर चर्चा भी की । उन्होंने सरकार द्वारा भूमि लेने से केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय बनने की प्रतिस्पर्धा की गुंजाइश का ख़त्म होना एवं विश्वविद्यालय की भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद्, न्यू दिल्ली द्वारा प्राप्त मान्यता का भी ख़त्म होने की बात पर काफी गंभीर हुये । श्री आशीष बुटेल जी ने हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय शिक्षक संघ की कार्यकारणी को आश्वासन दिया कि मैं प्रदेश के माननीय मुख्य मंत्री जी के सामने विश्वविद्यालय की प्रस्तावित भूमि का पर्यटन गांव के लिए हस्तांतरण से सम्बंधित सभी बिन्दुओं पर बात करूगां ताकि कृषि विश्वविद्यालय की अस्तित्व एवं गरिमा बनी रहे ।