पालमपुर में पैसा फेंको-तमाशा देखो..जंगलराज का आलम, दोषी अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध निर्माण ज़ोरों पर, भू-माफिया द्वारा कानून की उड़ाई जा रही धज्जियां, चाय नगरी पालमपुर को बना डाला कंक्रीट का जंगल
पालमपुर में अवैध निर्माण: जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही से बढ़ता जंगल राज
हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में अवैध निर्माण का मामला तूल पकड़ता जा रहा है, जिसमें नगर आयुक्त, वन विभाग अधिकारी, जलशक्ति विभाग, बिजली विभाग और पीडब्ल्यूडी अधिकारियों की लापरवाही और मिलीभगत उजागर हुई है।
नगर आयुक्त कार्यालय द्वारा अवैध भवनों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के बावजूद, एचपीएसईबीएल और आईपीएच विभाग द्वारा डिफॉल्टर्स को बिजली और पानी के कनेक्शन देने से अवैध निर्माण को बढ़ावा मिला है। यह गंभीर मामला है जो सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत और लापरवाही को दर्शाता है। हालांकि नगर निगम द्वारा लिया जाने वाला एक्शन मात्र आई वाश बताया जा रहा है। पालमपुर में बहु-माफिया का राज है इसलिए पैसा फेंको और तमाशा फेंको का रिवाज चल रहा हसि।
स्थानीय लोगों का कहना है कि कुछ वन विभाग अधिकारियों की कथित लापरवाही से अवैध कटान की घटनाएं बढ़ रही हैं।
जलशक्ति विभाग द्वारा अवैध निर्माण में पानी के कनेक्शन देने से जल संसाधनों का दुरुपयोग हो रहा है।
बिजली विभाग द्वारा अवैध निर्माण में बिजली के कनेक्शन देने से ऊर्जा संसाधनों का दुरुपयोग हो रहा है।
पीडब्ल्यूडी अधिकारियों की लापरवाही से सड़कों और रास्तों का निर्माण अवैध रूप से किया जा रहा है, जिससे यातायात और सुरक्षा की समस्याएं बढ़ रही हैं।
इस मामले में सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
अवैध निर्माण को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए और सरकारी अधिकारियों को अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए कहा जाना चाहिए। अगर सरकार समय रहते नहीं जागी तो चाय नगरी पालमपुर मात्र कंक्रीट का जंगल बन कर रह जाएगी जिससे पर्यटन को भी भारी नुकसान पहुंचेगा। बढ़ता हुआ प्रदूषण भी खतरे को छू रहा है। नगर निगम चारों खाने चित्त पड़ा है। अराजकता बढ़ती जा रही है। अगर जल्द सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए और भ्रष्टाचार पर लगाम नहीं लगाई गई तो पालमपुर का रब्ब ही राखा होगा।
नगर निगम में ठेकेदारों से मनमानी कमीशन वसूली जाने के समाचार भी मिले हैं। जो ठेकेदार जितनी अधिक कमीशन देगा, उसे उतने अधिक काम मिलने तय हैं और वे निर्माण कार्य कितने दिन के मेहमान होंगे, इसका अंदाज़ा सहज ही लगाया जा सकता है।