कड़वे शिक्षकों की कड़वी यादों से जुड़ा शिक्षक दिवस”

कभी न भूलने वाले शिक्षकों की दास्तान

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*शिक्षक दिवस* पर

मेरी कड़वी यादें

मीनाक्षी सूद

लोहना-पालमपुर

मैं आज शिक्षक दिवस पर अपने बचपन की कुछ कड़वी सच्चाई और यादें साझा करना चाहती हूं। जब मैं प्राइमरी स्कूल लोहना से सरकारी गर्ल्स हाई स्कूल पालमपुर में छठी कक्षा में दाखिल हुई, तो मेरे पास पूरी किताबें, कॉपियां, वर्दी आदि नहीं थीं। मैं और माता जी अपने बड़े भाई-बहन पर निर्भर थे। हमें खाने के लिए भी लाले पड़े थे।

मेरे पिता जी की मृत्यु तब हुई थी जब मैं केवल एक साल तीन महीने की थी, 23/2/1965 को। मेरा बड़ा भाई कृष्ण तब 9वीं में पढ़ता था। बड़े भाई ने ही मुझे लोहना स्कूल में दाखिल किया था। हमारे घर में कल्याण आता था। उसकी कथाएं हमारे दिमाग में माता जी ने भर दी थीं। मैंने अपना नाम भी स्कूल में कल्याण की फोटो देखकर स्वयं रखा था। घर वाले तो मुझे मीनू और मंजू नाम से बुलाते थे।

मुझे कन्याकुमारी की फोटो बहुत सुंदर लगी थी, पर माता जी ने कहा कि कोई और फोटो के हिसाब से नाम रखो, तब मैंने मीनाक्षी देवी मथुरा वाली देवी के नाम पर अपना नाम रखा है। 1975 में मेरे बड़े भाई टीचर कृष्ण ने शादी के हवन कुंड में मां के सस्कारों की आहूति दे दी। हमने अपनी जमीन में उगने वाली अरबी के पत्ते और अरबी खाकर भी गुजारा किया है। मेरे और माता जी के पास ढंग के कपड़े भी नहीं होते थे।

भाई अपनी पत्नियों और ससुराल वालों के कहने पर माता जी को मारते भी थे। मेरे बाल मन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा घरेलू झगड़ों का। मैंने मरने के लिए कई बार जहर खाया था, जिससे मैं बीमार रहने लगी थी। शादी के दो साल तक बड़े भाई ने मां को खर्चा नहीं दिया था। स्कूल में मेरा मन नहीं लगता था। ऊपर से सरकारी स्कूल पालमपुर के नकारा शिक्षकों से परेशान थी।

हमें बात-बात पर डंडे से मार पड़ती थी। एक हेड मिस्ट्रेस थीं निरंजन कौर। वह तो लड़कियों को जानवरों की तरह पीटती थीं। हमें स्कूल जाने से डर लगता था। फिर एक सुशीला कटोच मुख्याध्यापिका आई। उसने मुझे बिना कारण बहुत मारा था। मेरे बड़े भाई टीचर ने उषा राणा अंग्रेजी की अध्यापिका को कहा था कि यदि अपना दिमाग बचाना है तो घर बैठो।

उषा राणा मैडम ने हमें कहा था कि टेस्ट पेपर खरीद लो और घर में किसी बड़े या अपने पड़ोसियों से पढ़कर आया करो। टेस्ट पेपर खरीदने से हमारा दिमाग बच जाएगा। ऐसे थे हमारे नकारा स्कूल के अध्यापक!

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