केजी बुटेल की वजह से रोटरी आई हॉस्पिटल को हो रहा भारी नुकसान
बुटेल द्वारा बात-बात पर लोगों को पुलिस और कोर्ट में घसीटने की धमकियों से भी हालात और बिगड़ते जा रहे हैं
केजी बुटेल की वजह से रोटरी आई हॉस्पिटल को हो रहा भारी नुकसान
पालमपुर: रोटरी आई फाउंडेशन के चेयरमैन केजी बुटेल के नेतृत्व में संस्था और उससे जुड़े अस्पताल को भारी संकट का सामना करना पड़ रहा है। उनके कार्यकाल में ना केवल प्रबंधन में कमी देखने को मिल रही है बल्कि उनकी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण अस्पताल के सुचारु संचालन में भी गंभीर अड़चनें आ रही हैं। बुटेल कई वर्षों से गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हैं, जिसके चलते उनका अधिकांश समय बड़े अस्पतालों में इलाज के लिए बितता रहा है।
बुटेल के कार्यकाल के दौरान रोटरी आई फाउंडेशन कई कानूनी मामलों में भी उलझा हुआ है। उनके खिलाफ चल रहे पुलिस केसों, अदालतों में लंबित मुकदमों और कानूनी प्रक्रिया में उनका नाम जुड़ने से फाउंडेशन को पर्याप्त समय और ध्यान नहीं मिल पा रहा है। इन वजहों से अस्पताल के कामकाज पर सीधा असर पड़ रहा है, जिससे मरीजों की देखभाल और सेवाओं की गुणवत्ता पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
इसके अलावा, एक प्रतिष्ठित और उच्च शिक्षित महिला के साथ कथित दुर्व्यवहार का मामला भी तूल पकड़ रहा है।
यह मामला अब दिल्ली स्थित राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) तक पहुंच चुका है। महिला की ओर से आरोप लगाए गए हैं कि चेयरमैन बुटेल ने उनके साथ अपमानजनक व्यवहार किया, जोकि फाउंडेशन की प्रतिष्ठा के लिए भी एक बड़ा झटका है।
हाल ही में बुटेल की डिस्क की सर्जरी भी हुई है, जिससे उनके लिए चलना-फिरना भी मुश्किल हो गया है। ऐसे में उनके लिए अस्पताल और फाउंडेशन का कार्यभार संभालना और भी कठिन हो गया है। बावजूद इसके, कुर्सी का मोह उन्हें छोड़े नहीं छोड़ रहा है।
वर्तमान स्थिति में फाउंडेशन को एक स्वस्थ और सक्रिय युवा व्यक्ति की जरूरत है, जो अस्पताल को फिर से पटरी पर ला सके और भविष्य के लिए एक मजबूत नेतृत्व प्रदान कर सके।
केजी बुटेल की अनदेखी और उनके कार्यकाल में आई समस्याओं का असर अब केवल रोटरी आई हॉस्पिटल पर ही नहीं बल्कि अन्य संस्थानों पर भी पड़ने लगा है। जिस अस्पताल को फाउंडर चेयरमैन डॉ. शिव और डॉ. एसके शर्मा की टीम ने बड़ी मेहनत और समर्पण से एक ऊंचाई पर पहुंचाया था, वह अब पिछड़ता हुआ नजर आ रहा है।
सिर्फ यही नहीं, रोटरी फाउंडेशन से जुड़े भूमि घोटालों की जांच भी जिला अधिकारी कार्यालय धर्मशाला में चल रही है। इन घोटालों के तहत आरोप है कि फाउंडेशन द्वारा कुछ जमीनों पर गलत तरीके से कब्जा किया गया है, जिसके चलते संस्था की साख पर एक बड़ा संकट मंडरा रहा है। यदि इन घोटालों का खुलासा होता है, तो इसका सीधा असर फाउंडेशन की प्रतिष्ठा और वित्तीय स्थिति पर पड़ सकता है। इस मामले में चेयरमैन बुटेल को अपनी जिम्मेदारी से भागने का अवसर नहीं मिल सकता।
अस्पताल के डॉक्टर और अन्य स्टाफ दिन-रात मेहनत कर अस्पताल को चलाने में लगे हुए हैं, लेकिन फाउंडेशन मेंबर्स द्वारा मौजूदा स्थिति पर ध्यान न देना और चुप्पी साधना हालात को और भी कठिन बना रहा है।
अस्पताल और उसके कर्मचारियों की कड़ी मेहनत और उनके प्रयासों के बावजूद फाउंडेशन के वरिष्ठ नेतृत्व की उदासीनता से संस्था की छवि को नुकसान पहुंच रहा है।
कुल मिलाकर, रोटरी फाउंडेशन और उससे जुड़े अस्पताल के हालात इस वक्त बेहद नाजुक स्थिति में हैं। इसे सुधारने के लिए बुद्धिजीवियों और समाज के प्रमुख लोगों को आगे आना चाहिए ताकि इस संस्था को बचाया जा सके और इसे एक स्वस्थ व सुरक्षित नेतृत्व प्रदान किया जा सके।