स्व. डॉ. शिव कुमार की एक दास्तान, चेयरमैन साहिब, अगर यह पौधा सूखा तो भगवान आपको कभी माफ़ नहीं करेगा, कभी नहीं…!
सम्पादक के नाम पत्र
परम आदरणीय और परम श्रद्धेय डॉक्टर शिव कुमार जी को गरीबों और दुखियों का मसीहा कहा जाता है।
उनकी छवि ईमानदार, स्वच्छ और सभी के लिए एक मुस्कान के साथ समस्या का समाधान देने वाली थी। यह बात 1980 की है, जब हमारे गाँव का एक गरीब परिवार, जिनकी आय का कोई साधन नहीं था और परिवार का मुखिया बीमारी की वजह से चलने-फिरने में असमर्थ हो गया था, मेरे पास आया। उस समय मैं पंचायत में उपप्रधान था।
अगले दिन मैं उन्हें लेकर डॉक्टर शिव कुमार जी के पास आया, जिनका उस समय धौलाधार क्लिनिक घुग्गर में था। क्लिनिक में उस समय कई मरीज़ बैठे थे, और मैं भी उनके साथ बैठ गया। जैसे ही डॉक्टर साहब की नजर मुझ पर पड़ी, उन्होंने मुझे तुरंत अंदर बुला लिया। उन्होंने मेरा हाल-चाल पूछा और आने का कारण पूछा। मैंने उन्हें उस गरीब परिवार की पूरी समस्या सुनाई।
डॉक्टर साहब ने तुरंत उस मरीज़ को देखा और अपने क्लिनिक में दो दिन के लिए भर्ती कर लिया। जब दो दिनों में कोई सुधार नहीं हुआ, तो उन्होंने स्वयं पालमपुर के सरकारी अस्पताल में फोन किया और अपने साथ उस मरीज़ को लेकर वहां गए। उन्होंने अपने क्लिनिक में इलाज के दौरान कोई पैसा नहीं लिया। यही थे डॉक्टर शिव कुमार जी—गरीबों के सच्चे मसीहा, जिनका दिल हर किसी के लिए हमेशा खुला रहता था।
जब रोटरी आई अस्पताल की नींव रखी गई, तो डॉक्टर शिव कुमार जी ने इसे बनाने में अपना पूरा मनोयोग लगा दिया। एक दिन हम उनके साथ बैठे थे, तो डॉक्टर साहब ने बताया कि उन्हें रात को नींद भी नहीं आती, हर वक्त इस चिंता में रहते कि सुबह अस्पताल के कामों को कैसे आगे बढ़ाया जाए।
उनकी यही लगन और सेवा भाव का नतीजा था कि एक दिन यह अस्पताल बनकर तैयार हुआ और इसका उद्घाटन भी हुआ। उसके बाद डॉक्टर शिव कुमार जी ने अपने निजी क्लिनिक को छोड़कर हर रोज़ मारंडा में आना शुरू कर दिया। उन्होंने कभी इस बात की चिंता नहीं की कि उनका रोज़गार पालमपुर में था, वे बस अपनी सेवा को सबसे पहले रखते थे।
जब भी कोई गरीब या दुखियारा अस्पताल में आंखों का इलाज करवाने आता और हम या कोई और डॉक्टर साहब के पास जाकर बताता कि मरीज़ बहुत गरीब है, तो डॉक्टर शिव कुमार जी बिना किसी हिचकिचाहट के एक पर्ची पर लिख देते कि उसका सारा खर्च माफ। अस्पताल की दवाइयों पर भी पहले छूट मिलती थी। लेकिन, डॉक्टर शिव कुमार जी के जाने के बाद और नए चेयरमैन के आने से रोटरी आई अस्पताल की छवि धूमिल हो रही है।
अब पहले जैसी सेवा भाव वाली व्यवस्था गायब हो गई है। अस्पताल में अब लंबी कतारें लगती हैं, फिर नंबरों का इंतजार होता है—पहला नंबर, दूसरा नंबर, 18 नंबर, 11 नंबर… आधे मरीज़ तो इसी इंतजार में परेशान हो जाते हैं। जिन मरीज़ों को सिर्फ एक नजर का चश्मे का नंबर लेना होता है, उन्हें भी लंबी प्रक्रिया में उलझा दिया जाता है। कुछ कर्मचारियों का व्यवहार भी ठीक नहीं है। अस्पताल में मिलने वाली दवाइयों पर भारी मुनाफा लिया जा रहा है। जहाँ 80 रुपये का मूल्य अंकित होता है, वही दवाई बाजार में 10-15% कम कीमत पर मिल जाती है, जबकि दवाइयों पर 40 से 60% मार्जिन होता है।
पहले इस अस्पताल में दूर-दूर से लोग इलाज करवाने आते थे, पर अब वे अन्य अस्पतालों का रुख कर रहे हैं। मारंडा के दूसरे अस्पतालों में भी लोग जाने लगे हैं। हमारा रोटरी अस्पताल के चेयरमैन से विनम्र निवेदन है कि या तो वे खुद यहां पर नियमित रूप से आएं और व्यवस्थाओं का निरीक्षण करें या फिर एक नई समिति का गठन करें।
यह अस्पताल डॉक्टर शिव कुमार जी का लगाया हुआ पौधा है। इसे उजाड़ने से बचाएं। अगर इस पौधे को बर्बाद किया गया, तो भगवान भी माफ नहीं करेगा।
शान्ति स्वरूप शर्मा, समाजसेवी, मारंडा, पालमपुर।
*संपादकीय टिप्पणी*
हमारा मानना है कि वर्तमान चेयरमैन का अस्पताल के प्रति संवेदनशीलता और समर्पण पहले के स्तर पर नहीं है।
उनके नेतृत्व में, अस्पताल की व्यवस्थाओं में अनियमितता और लापरवाही साफ झलक रही है। गरीब मरीजों के इलाज में जो सरलता और मानवीय संवेदना डॉक्टर शिव कुमार जी के समय में थी, वह अब गायब हो चुकी है। वर्तमान चेयरमैन का अस्पताल में नियमित रूप से उपस्थित न रहना, मरीजों की परेशानियों को अनदेखा करना और केवल लाभ को प्राथमिकता देना संस्थान की छवि को नुकसान पहुंचा रहा है। ऐसे में यदि तुरंत सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो डॉक्टर शिव कुमार जी द्वारा स्थापित यह महान सेवा का केंद्र अपनी गरिमा खो सकता है और यह हरा-भरा पौधा सूख सकता है जिसकी पूरी ज़िम्मेदारी वर्तमान चेयरमैन और उनकी टीम की होगी।
– राजेश सूर्यवंशी।