श्री शान्ता कुमार जी का पत्र तो शायद अभी तक मुख्यमन्त्री के टेबल पर पुट अप भी नहीं हुआ होगा तो फिर जवाब कोन दे रहा है :- प्रवीन कुमार पूर्व विधायक …

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श्री शान्ता कुमार जी का पत्र तो शायद अभी तक मुख्यमन्त्री के टेबल पर पुट अप भी नहीं हुआ होगा तो फिर जवाब कोन दे रहा है :- प्रवीन कुमार पूर्व विधायक …

Er. VARUN SHARMA, BUREAU CHIEF, PALAMPUR

भारतीय राजनीति के आदर्श , सिद्धांत एवं अन्तोदय पुरुष श्री शान्ता कुमार जी की किसी भी प्रकार की उठाई गई तर्क संगत आवाज़ का जवाब देने के लिए बड़े बड़े नेता भी सो बार सोचते हैं लेकिन जिला कांगड़ा से सम्बधित सेंट्रल यूनिवर्सिटी व जिला सोलन से तालुक रखने वाला वददी की एस पी के मामले को लेकर जो चिन्ता श्री शान्ता कुमार जी ने जताई है इन्ही दो संगीन विषयों को लेकर जो पत्र उन्होंने माननीय मुख्यमन्त्री जी को लिखा है ।

शायद यह पत्र तो अभी मुख्यमन्त्री जी के टेबल पर पुट अप भी नहीं हुआ होगा तो फिर इस पत्र का जवाब कोन दे रहा है। यह प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पालमपुर के पूर्व विधायक प्रवीन कुमार ने कहा यह हिमाचल प्रदेश की जनता का दुर्भाग्य था का श्री शान्ता कुमार जी को केवल तीन बार ही ढाई-ढाई वर्ष प्रदेश व केन्द्र की जनता का सेवा करने का मोका मिला । फिर भी इन अल्पकाल कार्य कालों में श्री शान्ता कुमार जी को हिमाचल की जनता इन्द्र देवता के नाम से पानी वाला मुख्यमन्त्री ओर भारतवर्ष की जनता अन्न देवता के रुप में अन्तोदय पुरुष के नाम से पूजती है।

यह वही श्री शान्ता कुमार है जिन्होंने कुर्सी की परवाह किए बगैर ठोक बजा कर सरकार चलाई ओर नो वर्क नो पे जैसे सख्त कानून को लागू करके पूरे भारतवर्ष की सरकारों को दिशा दी ।

यही नहीं सरकार कैसे चलती है किस तरह अपने राज में राज पाठ में सुख सुविधाओं को त्याग कर अंधाधुंध खर्चों पर कटोतियां की थी परिणामस्वरूप जव अयोध्या बाबरी मस्जिद ढांचे को ढहाये जाने के वे वजह आरोप में श्री शान्ता जी की सरकार को भी गिराया गया था तो उस वक्त प्रदेश के ऊपर एक रुपये का कर्ज तक नहीं था ।

इसके अतिरिक्त यह वही श्री शान्ता कुमार जी हैं जिन्होंने वार्ड पंच से लेकर पार्लियामेंट तक का राजनीतिक सफर तय कर यू एन ओ पार्लियामेंट के शिखर में भारतवर्ष का प्रतिनिधित्व किया था । यहाँ तक कि कई छात्रों ने श्री शान्ता कुमार जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के ऊपर पी एच डी तक की है।

पूर्व विधायक ने रोष प्रकट करते हुए कहा जिस इतने बड़े महान नेता ने इस उम्र में भी बेहद चिन्ता जताकर लिखे इस तर्क संगत एवं प्रभावशाली पत्र का जवाब स्वयं मुख्यमन्त्री श्री सुखविन्दर सिंह सुक्खू जी को देना चाहिए था उस पत्र का किस स्तर के लोग जवाब दे रहे उन्हें खेद है ।

पूर्व विधायक ने कहा इससे स्पष्ट जाहिर होता है कि सुक्खू सरकार का न तो किसी नेता ओर न ही किसी अधिकारी के उपर कोई नियन्त्रण है।

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