HPKV लावारिस बन कर पिस रहा है राज्यपाल, सरकार और न्यायपालिका के बीच, पहले गवर्नर और अब हाई कोर्ट की व्यस्तता का हुआ शिकार, रेगुलर कुलपति के अभाव में एस्टेट सेल हुआ भ्र्ष्टाचार का शिकार, कोई पूछने वाला नहीं, साल से स्थाई कुलपति के इंतजार में अपने भाग्य पर आंसू बहा रहा है
लोकतंत्र का चौथा स्तंभ भी निष्क्रिय और असफल प्रतीत हो रहा, मिल रही है तो बस तारीख पे तारीख और अब वह भी हो गई गायब , चारों ओर छाई निराशा के घनघोर बादल
![](https://www.indiareportertoday.com/wp-content/uploads/2024/01/IMG_20240126_101039.jpg)
![](https://www.indiareportertoday.com/wp-content/uploads/2024/12/IMG_20241214_162505.jpg)
![](https://www.indiareportertoday.com/wp-content/uploads/2024/03/IMG_20240319_154019-2.jpg)
![](https://www.indiareportertoday.com/wp-content/uploads/2023/04/IMG_20230423_121206.jpg)
![](https://www.indiareportertoday.com/wp-content/uploads/2023/03/IMG_20230303_193930.jpg)
![](https://www.indiareportertoday.com/wp-content/uploads/2023/03/IMG_20230303_193915.jpg)
![](https://www.indiareportertoday.com/wp-content/uploads/2024/11/IMG_20241102_220430.jpg)
![](https://www.indiareportertoday.com/wp-content/uploads/2023/11/IMG_20241031_142237.jpg)
![](https://www.indiareportertoday.com/wp-content/uploads/2024/11/IMG_20241102_204206.jpg)
![](https://www.indiareportertoday.com/wp-content/uploads/2024/02/IMG_20240213_085145.jpg)
जंग का मैदान बना कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर
सरकार, राज्यपाल और हाईकोर्ट की अत्यधिक व्यस्तता के चलते चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के भविष्य पर छाया घोर संकट
SHIMLA
Geeta Chopra, IRT BUREAU Chief
चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर, इन दिनों नेतृत्वहीनता और प्रशासनिक खींचतान का केंद्र बन चुका है परिणाम स्वरूप इस राष्ट्र स्तरीय प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के भाग्य पर घोर संकट मंडरा रहे हैं सरकारी अनदेखी के चलते विश्वविद्यालय की रैंकिंग दिन प्रतिदिन घटती जा रही है जो की परेशानी और शर्मिंदगी का कारण बन चुकी है. लेकिन दुख इस बात का है कि किसी को भी इस विश्वविद्यालय की गिरती साथ का मलाल नहीं है कोई भी इस मुद्दे को सीरियसली नहीं ले रहा और अब यह माननीय हाईकोर्ट के पाले में निष्क्रिय पड़ा है. पिछले काफी समय से इस मामले में ना तो कोई अगली तारीख पड़ रही है और ना ही कोई अता-पता है. हर कोई अंधेरे में तीर चला रहा है.
यह संस्थान, जो कभी कृषि शिक्षा और अनुसंधान के लिए जाना जाता था, अब सरकार, राज्यपाल और न्यायपालिका के बीच में झूल रहा है, विद्यार्थियों के भविष्य की किसी को परवाह नहीं, हर कोई अपनी ही गति से चल रहा है
पिछले डेढ़ साल से यहां स्थाई कुलपति की नियुक्ति नहीं हो पाई है, और यह संकट विश्वविद्यालय के इतिहास का सबसे काला अध्याय बन गया है।
सरकार और राज्यपाल के बीच टकराव
पूर्व कुलपति चौधरी के सेवानिवृत्त होने के बाद, विश्वविद्यालय में स्थाई कुलपति की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हुई। लेकिन राज्यपाल ने अपने करीबी को इस पद पर नियुक्त करने की कोशिश की, जिसे सरकार ने संशोधन बिल लाकर रोक दिया। यह बिल राज्यपाल के पास लंबित रहा और फिर राष्ट्रपति को भेज दिया गया। इसके बाद सरकार ने एक और बिल पास किया, लेकिन मामला अब न्यायपालिका में उलझा हुआ है। सरकार और राज्यपाल के इस टकराव ने शिक्षा प्रणाली को बुरी तरह प्रभावित किया है।
विद्यार्थियों की समस्याओं के बावजूद हाईकोर्ट की धीमी प्रक्रिया पर सवाल
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में यह मामला लंबे समय से लंबित है, लेकिन अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। न्यायपालिका, जो लोगों को शीघ्र न्याय दिलाने का वादा करती है, इस मामले में चुप दिखाई दे रही है। छात्रों और अभिभावकों को उम्मीद थी कि हाईकोर्ट जल्दी फैसला सुनाकर स्थाई कुलपति की नियुक्ति सुनिश्चित करेगा, लेकिन न्यायालय की धीमी कार्य प्रणाली ने उनकी उम्मीदों को तोड़ दिया है। छात्रों का भविष्य न्यायालय की फाइलों में अटका हुआ है, और यह स्थिति गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है।
विद्यार्थियों और शिक्षकों की परेशानियां बढ़ रहीं और सरकार चुप
इस अनिश्चितता का सीधा असर छात्रों की पढ़ाई पर पड़ा है। गुणवत्ता युक्त शिक्षा का अभाव, शोध कार्यों में बाधा, और आवश्यक सुविधाओं की कमी ने छात्रों के भविष्य को दांव पर लगा दिया है। शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए भी यह अवधि कठिनाइयों से भरी रही है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालय की साख बुरी तरह गिर चुकी है।
बार-बारअस्थाई कुलपति की तैनाती कोई समाधान नहीं
बार-बार अस्थाई कुलपति की नियुक्ति से न तो प्रशासनिक स्थिरता आई है और न ही शैक्षणिक प्रगति हो पाई है। स्थाई कुलपति की अनुपस्थिति ने पूरे विश्वविद्यालय को एक ऐसी स्थिति में ला खड़ा किया है, जहां हर दिन छात्रों का नुकसान हो रहा है। अब यह एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी पूरे प्रदेश में मजाक का विषय बनकर रह गई हैl पहले हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी फिर सरदार पटेल यूनिवर्सिटी मंडी और इसके बाद हिमाचल प्रदेश की शिव विश्वविद्यालय पालमपुर राजनीति का प्रमुख अड्डा साबित हो रहे हैं जो की अत्यंत गंभीर विषय है.
इसके अतिरिक्त कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के करुणा मुल्क परिवारों के 40 सालों से यहां पद पर पेंडिंग पड़े हैं ना सरकार इसमें हस्तक्षेप कर रही है ना ही कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर
जनता की मांग और भविष्य की चिंता
छात्रों, अभिभावकों और कर्मचारियों का स्पष्ट संदेश है कि विश्वविद्यालय को इस संकट से तुरंत बाहर निकाला जाए। सरकार को चाहिए कि वह राज्यपाल के साथ अपने मतभेदों को खत्म करे और न्यायपालिका को भी जल्द से जल्द इस मामले में उचित फैसला लेना चाहिए।
अगर सरकार, राज्यपाल, और हाईकोर्ट ने इस गंभीर विषय पर शीघ्र कदम नहीं उठाए, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? भविष्य की पीढ़ियां कभी दोषियों को माफ नहीं करेंगी। विश्वविद्यालय केवल एक संस्थान नहीं है, यह प्रदेश के युवाओं का भविष्य है। इस विषय में जल्द से जल्द ठोस निर्णय लेना अनिवार्य है।
![](https://www.indiareportertoday.com/wp-content/uploads/2024/12/IMG_20241209_163436-2.jpg)
![](https://www.indiareportertoday.com/wp-content/uploads/2024/12/IMG_20241209_163531.jpg)
![](https://www.indiareportertoday.com/wp-content/uploads/2024/04/IMG_20240409_105259.jpg)