मुख्यमंत्री को नीचा दिखा कर राज्यपाल को लगातार खुश करने में लगे कार्यकारी कुलपति डॉ नवीन कुमार, तानाशाही और मनमर्जी से अयोग्य अधिकारी को बिठा दिया एस्टेट ऑफिसर की कुर्सी पर,
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कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में मुख्यमंत्री को ठेंगा दिखाकर राज्यपाल को खुश करने की चल रही कवायदें
पालमपुर स्थित चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय (सीएसकेएचपीकेवी) में प्रशासनिक अराजकता और तानाशाही अपने चरम पर पहुंच चुकी है। कार्यकारी कुलपति द्वारा लिए गए मनमाने फैसलों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि विश्वविद्यालय में मुख्यमंत्री के आदेशों को दरकिनार कर, केवल राजभवन को खुश करने की नीति अपनाई जा रही है।
अयोग्य व्यक्ति को एस्टेट ऑफिसर बनाकर नियमों की उड़ाई धज्जियां
हाल ही में 31 जनवरी 2025 को इंजीनियर सुधीर कुमार के सेवानिवृत्त होते ही, विश्वविद्यालय प्रशासन ने बिना किसी उचित प्रक्रिया के डिप्लोमा होल्डर बलदेव सिंह जस्सल को संपदा अधिकारी (एस्टेट ऑफिसर) के महत्वपूर्ण पद पर बैठा दिया। यह नियुक्ति सरकार के स्थापित नियमों और मानकों के पूरी तरह खिलाफ है, क्योंकि इस पद के लिए कम से कम ग्रेजुएट इंजीनियर होना आवश्यक था।
कार्यकारी कुलपति ने अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल करते हुए सरकार से बिना अनुमति लिए यह नियुक्ति कर दी, जबकि इस पद को पहले कई बार योग्य उम्मीदवार के अभाव में खाली रखा गया था। यह नियुक्ति यूनिवर्सिटी में बढ़ते भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद का स्पष्ट उदाहरण है।
मुख्यमंत्री की अवहेलना, राज्यपाल की चमचागिरी?
यूनिवर्सिटी प्रशासन पर आरोप है कि वह हिमाचल प्रदेश सरकार के नियमों को दरकिनार कर, राज्यपाल को खुश करने में लगा हुआ है। कार्यकारी कुलपति, डॉ नवीन कुमार जो खुद अस्थाई रूप से इस पद पर बैठे हैं, अपनी कुर्सी बचाने के लिए प्रदेश सरकार को नजरअंदाज कर रहे हैं और राजभवन में बैठे कुछ प्रभावशाली लोगों के इशारों पर काम कर रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो इस नियुक्ति के पीछे भाजपा से जुड़े प्रभावशाली लोगों का हाथ है, जो विश्वविद्यालय पर पूरी पकड़ बनाए रखना चाहते हैं। कांग्रेस समर्थित कर्मचारियों और छात्रों को जानबूझकर पीछे धकेला जा रहा है और यूनिवर्सिटी में एकतरफा फैसले लिए जा रहे हैं।
छात्रों और कर्मचारियों में बढ़ रहा असंतोष
कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर की व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है।
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पिछले दो वर्षों से स्थायी कुलपति की नियुक्ति नहीं हुई, जिससे कई महत्वपूर्ण फैसले रुके पड़े हैं।
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छात्र-छात्राएं परेशान हैं, कर्मचारियों के वित्तीय मामलेऔर पदोन्नति रुकी हुई है।
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भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है और योग्यता के स्थान पर सिफारिश और राजनीतिक दखल को बढ़ावा दिया जा रहा है।