स्वर सम्राट दिनेश बुटेल के नाम रही राज्य स्तरीय होली महोत्सव की अंतिम संध्या, अपनी जादुई आवाज से बांधे रखा श्रोताओं को, उनकी मधुर आवाज में खोकर बारिश में भी झूमते रहे हजारों लोग








संगीत के सम्राट दिनेश बुटेल ने होली महोत्सव के समापन पर बिखेरा जादू

राज्य स्तरीय होली महोत्सव, पालमपुर की समापन संध्या इस बार अविस्मरणीय बन गई, जब सुरों के सम्राट दिनेश बुटेल ‘बब्बू’ ने अपनी मधुर आवाज़ से हजारों दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मंच पर आते ही उनकी आवाज़ का जादू ऐसा छाया कि हर कोई झूमने और गुनगुनाने को मजबूर हो गया।
सभी हसीनाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने यह गीत जब गुनगुनाया तो सारा पंडाल सीटियों की आवाज और तालिया की गड़गड़ाहट से से गूंज उठा. ..
“है अपना दिल तो आवारा न जाने किस पर आएगा, हसीनों ने बुलाया, गले से भी लगाया, बहुत समझाया यही ना समझा”
संगीत प्रेमियों के लिए यह एक अलौकिक संध्या थी, जहां हर सुर, हर लय और हर ताल में भावनाओं का सागर उमड़ पड़ा।
संगीत के रंग में सराबोर हुआ पालमपुर
इस विशेष संध्या में दिनेश बुटेल जी ने न केवल अपने मधुर स्वरों से समां बांधा, बल्कि अपनी प्रस्तुति से हज़ारों दिलों को छू लिया। उन्होंने अपने सुपुत्र, कैबिनेट मिनिस्टर गोकुल बुटेल को समर्पित करते हुए एक भावनात्मक गीत प्रस्तुत किया—
“तुझे सूरज कहूं या चंदा, तुझे दीप कहूं या तारा,
मेरा नाम करेगा रोशन जग में मेरा राज दुलारा।”
इस गीत को समर्पित कर उन्होंने न सिर्फ अपने पुत्र के प्रति प्रेम और गर्व को दर्शाया, बल्कि पूरे वातावरण को भावनाओं से सराबोर कर दिया। दर्शकों ने इस प्रस्तुति पर ज़ोरदार तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उनकी सराहना की।
हर दिल को छू गई सुरों की महफ़िल
अपने मन मोहक गीतों और मधुर आवाज़ से रोज़ श्रोताओं की शामें रंगीन करने वाले दिनेश बुटेल ने अपनी आवाज़ का लोहा मनवाया। उनका हर गीत अपने आप में एक अनमोल धरोहर बन गया। जब उन्होंने अमर गीत—
“किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार,
किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार,
किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार,
जीना इसी का नाम है…”
गाया, तो पूरा पंडाल सुरों की मस्ती में खो गया। उनके गायन की गहराई और भावनात्मकता ने युवा, बुजुर्ग, और संगीत प्रेमियों को समान रूप से झूमने और गाने के लिए प्रेरित किया।
बारिश की फुहारों में झूमते श्रोता
समापन संध्या में जब हल्की-हल्की बारिश की बूंदें गिर रही थीं, तब भी दर्शकों का जोश कम नहीं हुआ। लोग भीगते हुए भी अपनी जगह से नहीं हिले और लगातार तालियों की गूंज के साथ दिनेश बुटेल जी की प्रस्तुति का आनंद लेते रहे। ऐसा लग रहा था जैसे प्रकृति भी उनके सुरों के जादू में खो गई हो।
संगीत का अमिट प्रभाव
दिनेश बुटेल की गायकी केवल एक प्रस्तुति नहीं, बल्कि एक अनुभव थी। उनका हर गीत भावनाओं से लबरेज था और हर स्वर दिल की गहराइयों को छू रहा था। उनकी प्रतिभा ने यह साबित कर दिया कि संगीत केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि आत्मा की भाषा है।
यह संगीतमय संध्या लंबे समय तक यादों में जीवित रहेगी और सुरों के इस सम्राट का जादू हमेशा संगीत प्रेमियों के दिलों पर राज करता रहेगा।




