नेताओं को हमेशा खुद को कार्यकर्ता समझ कर ही रखना चाहिए

अन्यथा एक बार जनता गलती कर लेती है दूसरी बार उस गलती को सुधार भी लेती है।

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नेताओं को हमेशा खुद को कार्यकर्ता समझ कर ही रखना चाहिए

अन्यथा एक बार जनता गलती कर लेती है दूसरी बार उस गलती को सुधार भी लेती है।

INDIA REPORTER TODAY
PALAMPUR : B.K. SOOD
SENIOR EXEXUTIVE EDITOR

पालमपुर में कांग्रेस की शानदार विजय हुई है। तथा उसने काफी अर्से बाद कहीं पर इतना शानदार विजय परचम लहराया है। इस कामयाबी का सारा श्रेय यहां के स्थानीय नेतृत्व तथा आशीष बुटेल गोकुल बुटेल को जाता है, जिन्होंने बड़ी सूझबूझ से प्रत्याशियों का चयन किया जहां कहीं कमियां थी या नाराजगी थी उसे मिल बैठकर दूर किया। किसी को बिठाया किसी को उठाया और किसी को मनाया । ऐसा नहीं कि भाजपा की तरह निर्णय थोपे गए ।दो नामांकन रद्द भी हुए फिर भी लोकल नेतृत्व ने आपस में मिल बैठकर गिले-शिकवे दूर किये।
इसमें अहम भूमिका पूर्व स्पीकर श्री बृज बिहारी लाल जी का रहा तथा उनका परामर्श तथा दूरदर्शिता काफी सहायक सिद्ध हुई। उधर बीजेपी की बात की जाए तो उन्होंने सत्ता के नशे में डूब कर कुछ ऐसे लोगों को टिकट आवंटन कर दिया जिनका धरातल पर कोई नामोनिशान नहीं था ,तथा वह केवल उड़न दस्ते के जरिए से ही कॉरपोरेशन में पहुंचने का ख्वाब संजोए हुए थे। बीजेपी के कर्मठ तथा धरातल से जुड़े हुए नेताओं ने उन्हें आजाद उम्मीदवार के रूप में अपने नामांकन भर कर उन्हें चेताया भी, और उन्हें समय भी दिया, परंतु दंभ की मारी बीजेपी ने सोचा कि हम सत्ता में हैं मुख्यमंत्री को बुला लेंगे मंत्रियों को यहां बिठा लेंगे और सत्ता पर काबिज हो जाएंगे। शायद उनके मन मस्तिष्क में यह बात भी चल रही थी कि पालमपुर को निगम बनाने का कर्ज जनता के सिर पर है और वह भाजपा को सत्ता मे बिठाकर यह कर्ज अवश्य उतारेगी। परंतु हुआ बिल्कुल इसके विपरीत जनता ने पैराशूटी नेताओं को ना केवल नकारा बल्कि उनके राजनीतिक भविष्य पर भी प्रश्नचिन्ह लगा दिया। जनता ने उन्हें इसका जवाब बखूबी दिया है कि आप पार्टियों या अपने कार्यकर्ताओं या नेताओं पर तो अपने तुगलकी फरमान सुना सकते हो उन्हें लागू करवा सकते हो परंतु जनता पर इसका कोई असर नहीं होगा ,तथा वह हमेशा की तरह अपना सही निर्णय सुनाएगी । जो उसे सही लगेगा जनता वही करेगी। अगर किसी के साथ भी नाइंसाफी भी होती है तो वह उसका भी हिसाब कर देती है। जहां भाजपा के इस इलेक्शन में काफी फजीहत हुई वहां पर कांग्रेस को इन चुनावों से 2022 के लिए एक संजीवनी बूटी मिल गई है तथा वह उत्साह से भरपूर हैं ।हर कांग्रेसी नेता जो अभी तक पिछले साढ़े 3 सालों से कहीं पर मीडिया या प्रेस का सामना नहीं करते थे यकायक सामने आ गए हैं ।तथा बड़े-बड़े उत्साहवर्धक संदेश और उपदेश दे रहे हैं, जो स्वाभाविक भी है ।परंतु इस सारी कामयाबी का सेहरा चारू निगम के स्थानीय नेतृत्व हो जाता है खासकर पालमपुर में यहां के स्थानीय विधायक आशीष बुटेल की दूरदर्शिता को दिया जाना चाहिए ।वह जितने शालीन तथा मृदुभाषी और मिलनसार हैं उनके कार्यकर्ताओं को उनसे शालीनता व्यवहार कुशल तथा मिलनसार होना सीखना चाहिए। आशीष बुटेल जितने सहजता से अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं से मिलते हैं उतनी ही सहजता और सरलता तथा मृदुभाषी होकर अपने विरोधी पार्टी के नेताओं से, कार्यकर्ताओं से मिलते हैं । उनकी पार्टी के जीते हुए कुछ कार्यकर्ताओं को जो अब नेता बन गए हैं उनको उनसे यह सीख लेनी चाहिए कि शालीनता तथा मिलनसारी कैसे निभाई जाती है। कल से जबसे रिजल्ट सामने आए हैं जीते हुए कार्यकर्ताओं जो अब नेता बन गए हैं कि दिमाग में गलतफहमी पैदा हो गई है कि हमसे बड़ा कोई नहीं और हम अब जीतकर राजा बन गए हैं और वह अपने समर्थकों या विरोधियों के फोन तक नहीं उठा रहे हैं तथा उन्हें अभी से अभिमान हो चला है ।ऐसे कई लोगों के फोन आए शिकायत आयी कि बड़े नेताओं के तो फोन उठ जाते हैं परंतु यह जो काउंसलर या पंच बने हैं यह अभी से फोन नहीं उठा रहे जो अभी फिलहाल सिर्फ बधाई संदेश के लिए ही फोन किए जा रहे हैं। जब वास्तव में ये लोग शपथ ग्रहण कर लेंगे और इन्हें कोई कार्य बताया जाएगा तो यह क्या काम करेंगे ? या फोन उठाएंगे ?लोगों के दिमाग में अभी से यह प्रश्न कौन कोंदने लगा है। लोकतंत्र की सफलता जहां मतदाताओं पर निर्भर करती है वहीं पर नेताओं पर भी उतनी ही निर्भर रहती है और नेताओं को हमेशा खुद को कार्यकर्ता समझ कर ही रखना चाहिए , ना कि नेता बनकर ,तभी तो जनता बार-बार उन्हें चुनेगी अन्यथा एक बार जनता गलती कर लेती है दूसरी बार उस गलती को सुधार भी लेती है।

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