लोग ऑक्सीजन की कर रहे जमाखोरी ,महामारी के दौरान भी लोगों ने अपनी मानसिकता नहीं बदली

पहले नारा था जल है तो जीवन है आज का नारा है ऑक्सीजन है तो जीवन है

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BK Sood senior executive editor

देश में ऑक्सीजन की कमी क्यों चल रही है यह भी एक बहस का विषय बन गया है । यह बात सही है कि एकदम से मांग बढ़ जाने से डिमांड एंड सप्लाई में बहुत बड़ा gap पैदा हो गया है । केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारें अपनी तरफ से हर संभव कोशिश कर रही है कि कोई भी व्यक्ति गैस की कमी के कारण ना अपना बेशकीमती जीवन ना गवाएं परंतु डिमांड इतनी अधिक हो गई है कि इंडस्ट्रियल प्लांट्स ने भी मेडिकल ऑक्सीजन बनानी शुरू कर दी है फिर भी डिमांड पूरी नहीं हो रही है।
हॉस्पिटलों में मरीज मर रहे हैं आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है परंतु डिमांड एंड सप्लाई में बहुत बड़ा अंतर आने के कारण गैस की किल्लत तो हुई ही है परंतु इसमें कुछ लोगों ने जानबूझकर अपने घरों में ऑक्सीजन गैस के सिलेंडर रखकर गैस की होर्डिंग शुरू कर दी है ,जिससे लोगों को गैस की बहुत बड़ी किल्लत हो रही है इमरजेंसी और जरूरतमंद लोगों को गैस नहीं मिल पा रही है, और जिन लोगों ने अपने घरों में यह सिलेंडर इकट्ठे किए हैं उन्हें शायद इनके कभी जरूरत ही ना पड़े परंतु मार्केट से तो यह कह सिलेंडर गायब हो गए हैं और यह सरकुलेशन में भी नहीं आ रहे हैं।
सरकार 1 दिन में इतने कंटेनर या ट्रांसपोर्ट का इंतजाम नहीं कर सकती क्योंकि लिक्विड गैस को ले जाने के लिए स्पेशल कंटेनर ही काम आते हैं और वह इतनी जल्दी बन नहीं सकते, ना ही सिलेंडर बन सकते हैं, लेकिन सबसे बड़ी समस्या ब्लैक मार्केटिंग के साथ-साथ होर्डिंग की भी है।
अभी कल ही हमें शनि सेवा सदन पालमपुर को कुछ सिलेंडर्स की जरूरत पड़ी थी हमने गैस एजेंसी से कांटेक्ट किया तो उन्होंने 5000 का सिलेंडर 15000 में भी देने से मना कर दिया और पता चला कि कुछ लोग सिलेंडर 20000 में खरीद कर अपने घरों में रखे हैं।
लोगों ने ऑक्सीजन की होर्डिंग शुरू कर दी है ,जो कि गलत बात है ।
अगर हर घर में एक सिलेंडर अपनी सुरक्षा के लिए लोग रखने लग पड़े फिर तो करोड़ों सिलेंडर डंप हो जाएंगे और उनकी कभी शायद जरूरत भी नहीं पड़ेगी ।
इस वक्त स्थिति को संभालने की है आवश्यकता है संयमित और स्थिर रहने की आवश्यकता है ।
समर्थ लोग यह ना समझे कि हम अपने घर में 4 सिलेंडर रख लेंगे तो हम सुरक्षित हो जाएंगे, उन 4 सिलेंडरों से (अगर मार्केट में होंगे तो )4 व्यक्तियों की जान बच सकती है।
कुछ लोग ब्लैक मार्केटिंग कर रहे हैं और ब्लैक मार्केटिंग सौ दो सौ परसेंट नहीं बल्कि पांच सौ परसेंट तक पहुंच गई है।
ना जाने यह लोग कहां जान देंगे। बाहर से बहुत नरम व धार्मिक दिखते हैं, बनते हैं और वास्तव में ना जाने क्या होते हैं। सभी को देश हित में इन सभी बातों से दूर रहना चाहिए विश्वाााास बनाए रखें आस जगाए रखें । ईश्वर का आशीर्वाद और सरकार का सहारा आपकेेे साथ है।

 

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