धार्मिक संस्थाओं और समितियों को बदलना होगा लंगर, भण्डारो और सेवा का स्वरूप
वक़्त की यही है मांग
INDIA REPORTER TODAY
VISHAL SINGH VERMA
STATE BUREAU CHIEF
कोरोना के बढ़ते विकराल रूप ने मंदिर, मस्जिदों और धार्मिक संस्थाओं के फाटक आम जन के लिये बंद कर दिए| कुछ प्रसिद्ध शक्ति-पिठों और अन्य आस्था के केंद्रों में लोग ख़ुशी से दान और लंगर करवाते रहते हैँ| कई आस्था के केंद्रों में तो आलम ये भी है की लोग सालो साल इंतज़ार करते हैँ की कब उनका नम्बर आएगा और वे लंगर में आर्थिक सहयोद सेवा कर पाएंगे| किसी की कोई मन्नत, किसी की श्रद्धा, किसी के मन का विचार वजह जो भी रही हो| कोरोना महामारी के चलते सरकार को सख्त निर्णय लेने पड़े और इन लंगर भण्डारो पर रोक लगानी पढ़ गई|
श्री गुरु नानक देव जी ने जो दिन रात लंगर सेवा की अलख जगाई थी उसमे भी भारी मन से रोक लगानी पड़ी मगर सेवा का सिलसिला रुका नहीं| तरीका बदला गया| ये कार्य निसंदेह सब तरह की धार्मिक और दूसरी संस्थाओं ने भी किया|
सिख समुदाय ने लंगर सेवा को ज़रूरत मंद परिवारों के घर द्वार तक तो पहुंचाया ही मगर सबसे बड़ा जो कार्य उन्होंने और किया वो था फ्री ऑक्सीजन सेवा| एक स्थान पर बैठ कर लंगर पर रोक लगी मगर इस वक़्त जो सबसे ज़रूरी था किसी पीड़ित को साँसे देना वो श्री गुरु नानक देव जी के हमेशा लंगर जारी रहे के आदेश को भली भांति पूरा करता है|
वही धार्मिक संगठन राधास्वामी व्यास ने इस मुश्किल घड़ी में अपने द्वार लोगों की सहायता के लिये खोल दिए| ये सब अन्य संस्थाओ और समितियों के लिये एक उदाहरण हैँ|
लिहाज़ा समझने के बात है धन सेवा तो जारी रहनी चाहिए लंगर भंडारे नहीं दे पा रहे ना सही इस धन को उस आस्था के केंद्र के माध्यम से जन सेवा में लगा दें तो बात वही हो जाएगी|
साफ तौर पर कहें तो लंगर, भंडारे जो होने थे उनका तरीका बदल दिया जाए|
लोग भारत के हर कोने में यहाँ तक की देश विदेश में भी अपने दान पु:न को अब दूसरी तरह से भी करें|
जहाँ लोग लंगर के लिये बरसो इंतज़ार करते हैँ की उनका नम्बर आये तो अपनी बारी के हिसाब से उस धन या उसका कुछ अंश उस आस्था के केंद्र को समर्पित करके कोरोना संक्रमित लोगों उनके परिवारों और दूसरे ज़रूरत मंद इंसानों के लिये आगे आ सकते हैँ| दुखी ह्रदय से निकली दूआ समझ ले आपका यज्ञ,लंगर, या कोई सेवा कबूल हो गई|