कुछ लोग अपनी पावर और पोजीशन का भरपूर लाभ उठाते हैं और कुछ लोग अपने स्टेटस को ध्यान में रखते हुए नियमों का पालन करते हैं ताकि कोई उन पर उंगली ना उठा सके

बड़े नेता लोग अगर नियमों का पालन करें तो वह ऊपर से नीचे तक सबके लिए नजीर साबित हो सकती है

0
 राजेश सूर्यवंशी एडिटर इन चीफ 

“#नेता #होने का #नुकसान”

आजकल भारत देश में जहां पर नेता होने के फायदे ही फायदे गिनाए जाते हैं वहीं पर कुछ नेता ऐसे होते हैं जो अपनी नेतागिरी का लिहाज करते हुए खुद को नुकसान में डालकर कोई भी ऐसा कार्य नहीं करते जिससे उनकी उनकी पार्टी की या उनके नेताओं की छवि धूमिल हो और उनकी तरफ उंगली उठा सके। वह जनता के लिए आदर्श बन कर रहना चाहते हैं जो कानून को अपने से ऊपर ना समझे तथा जो कानून आम जनता के लिए है उसी कानून के दायरे में खुद को भी समझे ना कि खुद को कानून से ऊपर ।
आजकल हर छोटे बडे नेता पर यह आरोप लगता है कि वह अपनी पावर का नाजायज फायदा उठाना चाहते हैं और सत्ता में रहते हुये वे वह हर कार्य कर लेना चाहते हैं जो कानून की परिधि से बाहर हों।
आजकल देखा गया है कि ग्राम पंचायत के वार्ड मेंबर से लेकर ऊपर तक के नेता खुद को खुदा से कम नहीं समझते।फिर चाहे वह पंचायत का वार्ड मेंबर हो या उस मेंबर का समर्थक, ये लोग भी कभी-कभी मुख्यमंत्री से नजदीकियां होने तक का दावा करते हैं और प्रशासनिक और संवैधानिक पदों पर बैठे हुए लोगों से अनावश्यक और नियम विरुद्ध सपोर्ट या फेवर लेने से बिल्कुल नहीं है हिचकते ।
विडंबना यह कि पंचायत वार्ड मेंबर के कार्यकर्ता तक, या किसी भी पार्टी के प्राथमिक सदस्य होने का मतलब है कि वह एक व्यक्ति विशेष है और उसका कद आम जनता से काफी ऊंचा है तथा पार्टी कार्यकर्ता होने का मतलब वह कुछ भी कार्य न्यायिक प्रक्रिया या न्यायिक परिधि से बाहर जाकर भी करवा सकता है या कर सकता है उसे विशेष अधिकार प्राप्त है तथा उसे कोई पूछ नहीं सकता। उसेके विशेषाधिकार का मतलब कि वह कानून की अपने हिसाब से व्याख्या करवा सकता है ।यही हमारे देश के अति दुखद विडंबना है ।

परंतु वही पर कुछ लोग नेता होने का नाजायज फायदा नहीं उठा सकते, उल्टा उन पर उनके दिमाग पर उनके संस्कारों का यह दबाव रहता है कि वह जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं या जनता के नेता है तथा उन्हें कोई ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जिससे कि कोई उनकी तरफ, उनकी पार्टी की तरफ या उनकी सरकार की तरफ उंगली उठा सके । तथा उनके कारण उनकी सरकार उनके नेता या उनकी पार्टी की बदनामी हो, जबकि कुछ लोग एकदम इसके उल्टा चाहते हैं ,और वह हर तरह से सत्ता में होने या विपक्ष में होने का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं।
ऐसा ही उदाहरण पालमपुर के पास दूलो राम जी का जो कि पूर्व में बैजनाथ से विधायक रहे हैं तथा पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में उनकी गिनती होती है तथा किसी समय में वह एक राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष भी हुआ करते थे।

आज भी सत्ता पक्ष में उनकी खूब जान पहचान है सत्ता सत्ता के गलियारों में उनकी पैठ है तथा उनके एक फोन पर भी कई कार्य हो सकते हैं ।उन्होंने अभी सब्जी मंडी के पास , पालमपुर बैजनाथ रोड पर अपना एक शॉपिंग कॉम्लेक्स बनाया है ,तथा इस कंपलेक्स को बनाने में उन्होंने एक उदाहरण पेश किया है। उन्होंने अपना शॉपिंग कंपलेक्स मुख्य रोड से लगभग 15 – 20 फुट दूर जाकर बनाया है ,जबकि वह इसे काफी आगे भी बना सकते थे। क्योंकि किसी भी कंपलेक्स को देख लीजिए किसी ने भी इतना स्पेस हाईवे के साथ नहीं छोड़ा है ।
अब उनकी क्या मजबूरी रही कि उन्होंने अपने कमर्शियल जगह को इतना दुरुपयोग किया, या सदुपयोग किया यह तो वही बता सकते हैं क्योंकि अक्सर कोई भी आम इंसान इतनी जगह कभी भी व्यर्थ नहीं जाने देगा।
हर कोई वह अपनी एक-एक इंच जगह का अधिक से अधिक इस्तेमाल करना चाहेगा ।परंतु उन्होंने लगभग 20 फीट के आसपास जगह अपने कंपलेक्स से के आगे छोड़ी है ताकि ट्रैफिक कंजेशन ना हो। मैंने उनसे पूछा कि आप ने ऐसा क्यों किया तो उन्होंने कहा यह नेता होने के नुकसान है । फायदा तो हर कोई लेता है लेकिन अगर हम ही न्याय के विरुद्ध करेंगे तो जनता को क्या संदेश देंगे । इससे पहले की कोई हमारी तरफ उंगली ना उठाए और हमारे पर आरोप लगाए जिससे हमारे ऊपर के नेताओं की फजीहत हो या पार्टी की फजीहत हो इससे बेहतर है की जगह ही व्यर्थ कर दो और अपनी इज्जत बरकरार रखो।

जगह की कीमत से ज्यादा इंसान की इज्जत और क्रेडिबिलिटी की होती है ऐसा उनका कहना था ।जगह को व्यर्थ करना ज्यादा बेहतर है परंतु अपने सम्मान को ठेस या अपनी तरफ उंगली उठते हुए देखना असहनीय होता है ।
इन्होंने जितना स्पेस अपने कमर्शियल कंपलेक्स के आगे छोड़ा है उसमें कम से कम 5-6 दुकान हाईवे के साथ और बन सकती थी परंतु उन्होंने पैसों तथा पावर की जगह सिद्धांतों को तरजीह दी। उन्होंने यहां पर एक ऐसा उदाहरण पेश किया कि नेता होने का यह मतलब यह नहीं कि हम कानून को अपने हाथ में ले और खुद को कानून से ऊपर समझे। उन्होंने कहा कि नेताओं को ऐसा कार्य करना चाहिए ताकि जनता को व उदाहरण बने तथा प्रशासन को किसी भी मजबूरी का सामना ना करना पड़े।

अगर देश और प्रदेश  के सभी नेता दूलो राम की तरह सोच रखें तो शायद आम जनता की  किसी स्तर पर भी कानून का उल्लंघन करने की हिम्मत ना हो क्योंकि ऐसा अक्सर कहा जाता है कि संस्कार ऊपर से नीचे की ओर आते हैं तथा भवन नीचे से ऊपर की ओर बनता है।

 

Leave A Reply

Your email address will not be published.