कोरोना कॉल की सीख और संदेश !

असली देशभक्ति का इम्तिहान अब आया है!

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Editorial
#bksood
असली देशभक्ति का इम्तिहान अब आया है!
कोरोना कॉल की सीख और संदेश !
जो सीख हमे तथा हमारे तन्त्र को बड़े बड़े साइंटिस्ट भी दे पाए वह सीख और सबक हमे कोरोना सीखा गया है। कोरोना ने हमारे सरकारी तंत्र को बहुत से सबक सिखाये हैं ।
कोरोना ने हमें सिखाया कि हम बिना विदेश यात्रा करें भी विदेश नीति पर अमल कर सकते हैं।कोरोना ने हमें सिखाया के किसी भवन या सड़क का उद्घाटन उस राज्य की राजधानी से बिना कोई खर्च किए भी किया जा सकता है।कोरोना ने हमें सिखाया की हम बड़े-बड़े टेक्निकल सेमिनार और मीटिंग वेबिनार के द्वारा कर सकते हैं, और सरकार का ना केवल हजारों करोड रुपया बचाया सकते हैं बल्कि लोगों को परेशान होने से तथा उनके समय के दुरुपयोग से भी बचा जा सकता है ।आपको मालूम ही है कि अगर किसी मुख्यमंत्री ने अपने हेड क्वार्टर यानी राज्य के मुख्यालय से 200 किलोमीटर दूर कोई उद्घाटन करना होता है तो उसमें हर जगह 10 किलोमीटर पर या 5 किलोमीटर सिपाही खड़े होते हैं , सड़कों पर पुताई की जाती है गड्ढों की भराई की जाती बीसियों गेट लगते हैं फूलमालाओं को लटकाया जाता है पांडालों को सजाया जाता है मंडप कैसे सजाया जाता है जैसे कोई दूल्हा वहां पर आने वाला हो । जहां पर उद्घाटन होता है वहां के 10: 20 किलोमीटर के सारे अधिकारी कर्मचारी वहां पर इकट्ठा किए जाते हैं बसों में भरकर लोग लाए जाते हैं उस पर पार्टी का और सरकार का पैसा खर्च करके उसे सरकारी कार्यक्रम घोषित करके लाखों रुपया सरकार के खजाने से निकाला जाता है।
कोरोना काल में सरकार का हजारों करोड़ रूपया उद्घाटनों यात्राओं और मीटिंग्स और सेमिनार आदि का बचा ।
क्या ऐसा नहीं हो सकता कि भविष्य में भी यही सिस्टम जारी रहे ?
जरूरी नहीं कि एक 50 लाख की बिल्डिंग का उद्घाटन करने के लिए ₹5 लाख उद्घाटन करने अथवा रिबन काटने में खर्च किया दिया जाए ।
जरूरी नहीं की एक मीटिंग के लिए हजारों लाखों रुपए के पेट्रोल रहने का खर्चा ,TA DA कर दिया जाए ।
जरूरी नहीं कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीटिंग्स के लिए करोड़ों रुपए के विमान उड़ाये जाएं ,।
जरूरी नहीं की प्रदेश के भीतर उद्घाटनो के लिए हेलीकॉप्टर उड़ाए जाएं ।
जरूरी नहीं कि 4 साइंटिस्ट या डॉक्टर या इंजीनयर की मीटिंग करने के लिए उनके साथ 4 गाड़ियां ,4 ड्राइवर हैं 4PA व जरूरत पड़े या शान दिखाई करनी हो तो अन्य स्टाफ़ भी मीटिंग में आये।
मीटिंग तो 4 लोगों की होगी वह भी 1 दिन में 4 घंटे परंतु साथ में स्टाफ 16 हो जाएगा।
यह सब कुछ शिमला और दिल्ली में बैठे-बैठे भी हो सकता है। किसी भी देश की तरक्की के लिए यह जरूरी है कि वहां पर संसाधनों का बढ़ाया जाए और साथ ही सरकारी खर्चों और ऐशो आराम को घटाया जाए । सरकारी संपत्ति सरकारी पैसों और सरकारी संसाधनों को हम अपने परिवार का ही समझे अगर हम इसे फ्री का माल सोच कर इस्तेमाल करेंगे तो हम यह भूल जाएंगे हम कभी विकसित देश की श्रेणी में आकर खड़े होंगे ब्रिटिश प्रधानमंत्री अगर साइकिल पर चल सकते हालांकि वहां की परिस्थितियां अलग हैं, फिर भी हम अपने देश में कारों का काफिला तो घटा ही सकते हैं । अगर हमें चाइना से टक्कर लेनी है तो हमको बचत करना सीखना होगा फिजूलखर्ची पर लगाम लगानी होगी।
क्या पिछले डेढ़ साल से उद्घाटन नहीं हो रहे हैं?
क्या पिछले डेढ़ साल में मीटिंग्स सेमिनार नही हो रहै है ?
क्या पिछले डेढ़ साल में यात्राओं के बिना कार्यक्रम नहीं हो रहे हैं?
देश में संसाधनों की कमी ना रहे और हर इंसान के मुंह में उसके पेट की भूख के हिसाब से निवाले जाएं ,तो उसके लिए जरूरी है कि सरकार की फिजूलखर्ची अफसरशाही की फिजूलखर्ची तथा नेताओं के शाही ठाठबाठ पर लगाम कसी जाए ।
क्योंकि यह जनता का पैसा है जो यह लोग अपने ऐशो आराम पर खर्च करते हैं। वह भी इसलिए नहीं की इस की जनता को जरूरत होती है ,परंतु यह सब जनता को दिखावे के लिए और झूठी वाहवाही लूटने के लिए किया जाता है ।
इतना ही नहीं इस इस कोरोना काल में देश में बड़ी-बड़ी मीटिंग्स जिनमें की साइंटिस्ट डॉक्टर इंजीनियरज ने भाग लिया , वेबिनार के द्वारा सेमिनार हुए उनमें भी करोड़ों रुपया सरकार का बचा, जबकि जो टेक्निकल सेमिनार या मीटिंग होती है उसमें विचारों का आदान-प्रदान जरूरी होता है तथा एक दूसरे से विचार विमर्श करना भी जरूरी होता है परंतु कोरोना काल ने सिखा दिया कि इतने बड़े बड़े टेक्निकल काम सेमिनार, मीटिंग्स भी वेबिनार द्वारा किये जा सकते है ।इससे लोगों की गाढ़ी खून की कमाई तथा टैक्सपेयर्स के पसीने से अदा की गई एक एक टैक्स की बूंद रूपी का पैसा बचाया जा सकता है।
इसमें कोई शक नहीं कि विकास के लिए पर्याप्त संसाधनों का होना आवश्यक होता है, परंतु अगर उन्ही संसाधनो का सदुपयोग किया जाए तो हम विकास के लिए और अधिक अवसर जुटा सकते हैं ।
ऐसा माना जाता है कि मोदी जी बहुत बड़े देशभक्त हैं तो क्या वह यह कानून नहीं ला सकते कि
राज्य के मुख्यमंत्री 1 साल में अधिक से अधिक कितनी मीटिंग्स दूसरे प्रदेशों में जाकर ले सकते हैं ।
कितने अफसर अपने दफ्तरों में बैठे ही वेबिनार के द्वारा मीटिंग्स कर सकते हैं।
सभी उद्घाटन वर्चुअल मीटिंग्स के द्वारा किए जाने चाहिए ।
मोदी जी से यह भी अपेक्षा है कि इलेक्शन में जो पब्लिक मीटिंग्स और विज्ञापन में हजारों करोड़ों रुपया बर्बाद किया जाता है उस पर एक कानून लाए कि सभी पार्टियां केवल मात्र टीवी के माध्यम से या अन्य वर्चुअल माध्यम से ही रैलिज करेंगे ।
इससे  पार्टियों को ना तो काले धन द्वारा अर्जित चंदा लेने जरूरत रहेगी और न ही हजारों करोड़ रुपया अनफेयर मीन से पार्टियों के पास आएगा तथा चुनावों में भी पारदर्शिता और सच्चाई का समावेश होगा । हजारों करोड़ रुपया इस देश का बचेगा तथा राजनीतिक पार्टियों को अनैतिक रूप से चंदा को उगाहने की की जरूरत भी नहीं पड़ेगी ,तथा देश की राजनीति में पारदर्शिता ही नहीं एक सकारात्मक माहौल भी बनेगा।
लोगों में देशभक्ति जागेगी तथा लोग यह सोचेंगे कि हमारे नेता लोग एक-एक पैसा बचाकर देश की सेवा में लगा रहे हैं तो हम भी क्यों ना देश की सेवा में अपना अंशदान डालें ।
जितना पैसा इन सभी माध्यमों से बचेगा उस से ना जाने कितने हॉस्पिटल कितने स्कूल, कॉलेज उच्च ,शिक्षण संस्थान,सड़कें यातायात के सुविधाजनक साधन ,रोजगार के अवसर पैदा होंगे ।
मोदी जी तो देश भक्त हैं और देश भक्ति के साथ-साथ इनके पास इस वक्त बहुत बड़ी पावर है, जो कई दशकों बाद किसी भी शासक को मिली है। नेहरू जी इंदिरा जी के बाद शायद इतनी बड़ा ताकत किसी अन्य को नहीं मिली थी, इस वक्त आपके पास मौका भी है और समय भी सही है। आप यह नियम तो बना ही लें
मोदी जी को लगे हाथ जनसंख्या नियंत्रण का कानून भी पार्लियामेंट में पास करवाना चाहिए क्योंकि राज्यसभा और लोकसभा अब दोनों में इनके पास बहुमत है ।
चीन ने अगर आज तरक्की की है तो उसका मुख्य कारण वहां पर जनसंख्या का नियंत्रण करना भी है । वहां पर जनसंख्या पर नियंत्रण ना किया गया होता तो आज वह दो सौ करोड़ से ऊपर चले गए होते ।और उनके विकास के सारे प्रयास धरे के धरे रह जाते।
हम अपने संसाधनों का दोहन भी किसी सीमा तक ही कर पाते हैं परंतु उन सीमित संसाधनों में अगर हमारे पास सीमित जनसंख्या होगी तथा उसका उपभोग करने वाले सीमित लोग होंगे तो वह अधिक से अधिक लोगों तक अधिक से अधिक मात्रा में मिलेगा,।
परंतु शायद अब यह जनसंख्या नियंत्रण का कानून इलेक्शन का एजेंडा बनेगा यह सही है कि सभी राजनीतिक पार्टियां यहां पर राजनीति करने के लिए मौजूद रहती हैं ,कोई भी यहां कीर्तन करने के लिए नहीं आता ,परंतु कुछ लोग ऐसे होते हैं जो देश हित को राजनीति से ऊपर रखते हैं तथा देश हित पर अपने राजनीतिक हित कुर्बान कर सकते हैं ,उनमें से एक मोदी जी भी हो सकते हैं ।
देखते हैं भविष्य के गर्भ में क्या लिखा है मोदी जी अपने राजनीतिक हितों के लिए देश के हित को कुर्बान करेंगे या देश हित को बचाने के लिए अपने राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति पर लिए पूर्ण विराम लगाएंगे और देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून ला कर देश का सदियों तक भला करेंगे।
असली देशभक्ति का इम्तिहान अब आया है

Bksood Chief Editor

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