क्या नींव के पत्थरों के बिना मजबूत रह पाएगी आम आदमी पार्टी? बड़ा सवाल

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क्या नींब के पथरों के बिना मजबूत रह पाएगी आम आदमी पार्टी?

RAJESH SURYAVANSHI
Editor-in-Chief, 9418130904
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आज भले ही पंजाब नतीजों के हिमाचल आम आदमी पार्टी नेतृत्व उत्साहित हो । पर हिमाचल की जनता और कार्यकर्ताओं में ये चर्चा भी जोर पकड़ने लगी है कि क्या पुराने कार्यकर्ताओं के बिना पार्टी अपने लक्ष्य को प्राप्त कर पायेगी?

पुराने कुछ नेता जिनको प्रभारी और अध्यक्ष ने एक बिना कारण के तब भंग कर दिया जबकि संगठन को ये नेता बुलंदियों तक ले जा चुके थे।

दिल्ली नेतृत्व तक इस प्रकरण को ले जाने की कार्यकर्ताओं ने बहुत कोशिश की पर प्रभारी के दिल्ली में प्रभाव के चलते किसी भी बात पर सुनवाई नहीं हुई।

फिर थक-हार कर इन नेताओं के साथ इनके हज़ारों समर्थ भी घर वैठ गए थे । नतीजा ये हुआ कि मजबूत होती एकजुट पार्टी बिखर कर रह गयी।

गौर करने वाली बात यह है कि यूथ विंग और चारों ज़ोन के प्रभारियों का निष्काशन तब हुआ जब यूथ प्रदेशाध्यक्ष विशाल राणा के नेतृत्व में सैंकड़ों लोग हिमाचल के बहुचर्चित गुड़िया बलात्कार व हत्या प्रकरण पर न्याय दिलाने के लिए शिमला में उच्च न्यायालय से सचिवालय तक शांतिपूर्ण न्याय मार्च शुरू करने वाले थे।
ठीक एक घण्टे बाद प्रदेश यूथ विंग को भंग कर दिया। फिर भी न्याय मार्च बहुत ही सफल रहा।

केजरीवाल और AAP लोगों के दिलों में स्वयं को स्थापित करने में कामयाब रहे ।

विशाल राणा के नेतृत्व में समस्त मीडिया ने उस वक्त AAP को प्रदेश में वर्तमान का दूसरा विकल्प और भविष्य का पहला विकल्प घोषित कर दिया था ।

युथ विंग को भंग करते ही बहुत आलोचना हुई AAP नेतृत्व की , यहां तक भी चर्चा ने जोर पकड़ा की प्रभारी रत्नेश गुप्ता ने भाजपा के इशारे पर यूथ को भंग किया, क्योंकि जिस गुड़िया प्रकरण पर 2017 में कांग्रेस विधानसभा हारी और भाजपा जीती थी उसी गुड़िया प्रकरण के कारण भाजपा पर काफी सवाल खड़े होने लगे थे।
अगर उस समय वाले नेताओं विशाल राणा, नसीब कोटिया, सुरेश ठाकुर, KD राणा , कैप्टन दरोच ,SS जोगटा इत्यादि को भी पार्टी नेतृत्व मौजूदा समय में तबज्जो देती है तो उनके साथ फिर से हज़ारों सक्रिय समर्थक खड़े हो जाएंगे।

जाहिर सी बात है कि लंबे समय से दूसरे दलों में वैठे कुछ केवल टिकट के इच्छुक अब पार्टी में शामिल हो रहे हैं।

अगर ये लोग काम करने वाले होते तो अपने ही दलों में इनकी बुक्कत होती। और अगर इनको आम आदमी पार्टी की नीतियां पसंद थीं तो पंजाब चुनावों के ही बाद क्यों भागे आम आदमी पार्टी की तरफ।

प्रभारी या पार्टी हाई कमान अपने सभी पुराने कार्यकर्ताओं , *नींब के पत्थरों* को पार्टी में फिर से लाएं जो अब तक नेतृत्व की तरफ से किसी सम्मान जनक वुलावे के इंतज़ार में हैं ।

अब तक जितने भी लोग आम आदमी पार्टी में शामिल हुए हैं उनका कहीं भी कोई प्रभाव नहीं है जो पार्टी को कोई दिशा दे सके।

सर्वविदित है कि प्रदेश की हर विधानसभा से जुड़े हुए पूर्व युवा प्रदेशाध्यक्ष विशाल राणा को प्रदेश के जाती समीकरण व भौगोलिक स्थिति का भी पूर्ण ज्ञान है। संगठन में ऐसे समर्पित लोगों का सहयोग अगर आम आदमी पार्टी लेने में कामयाब होती है तो पार्टी की दिशाबदल सकती है। पुराने कर्मठ कार्यकर्ताओं का सहयोग अत्यंत जरूरी होगा। इस बात को किसी भी सूरत में नकारा नहीं जा सकता। पार्टी को प्रदेश स्तर पर सक्रिय और मजबूत करने की प्लानिंग में व कुशल रणनीतिकार विशाल राणा के नेतृत्व में प्रदेश में आम आदमी पार्टी ने बहुत हलचल मचा दी थी। अब यह तो पार्टी को देखना होगा कि वह विशाल राणा को साथ लेकर चलने में कितनी कामयाब रहती है, यह तो आने वाला वक़्त ही बताएगा।

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