आचार्य हरीश शर्मा द्वारा सुनाई जा रही भागवत कथा के प्रसंग से भक्ति रस में डूबा पालमपुर शहर।

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आचार्य हरीश शर्मा द्वारा सुनाई जा रही भागवत कथा के प्रसंग से भक्ति रस में डूबा पालमपुर शहर।

VIJAY SOOD

पालमपुर बाजार में स्थित राधा कृष्ण मंदिर में आजकल भागवत कथा का आयोजन पालमपुर के प्रतिष्ठित सूद परिवार विनोद सूद, सुरेखा सूद, विपन सूद और अनिल सूद द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है।

आज चौथे दिन भागवत कथा के सार में भगवान श्री कृष्ण के अवतार होने पर उनका जन्म बड़े हर्षोउल्लास और विधिवत रूप से मनाया गया। जैसे ही पिता बासुदेव बालकृष्ण को टोकरी में उठा कर मथुरा से गोकुल की और प्रस्थान करते हैं कुछ समय के लिए पूरा पंडाल भक्तिमय के रस में डूब जाता है । प्रभु की झलक पाने को हर कोई बेताब था।

क्रूर राजा कंश के कठोर कारावास जेल हाउस में मां देवकी की कोख से जन्म लेकर भगवान श्री कृष्ण ने खुद को प्रकट किया और माता देवकी और पिता वासुदेव को मुक्त किया।

पिता बासुदेव द्वारा उनको सुरक्षित जमुना पार कर गोकुल में यसोधा और नंद के घर नंदभवन में पहुंचाना ये सब नारायण भगवान द्वारा रची गई उनकी लीला है । कंस के अत्याचारों से पृथ्वी के चारों ओर हाहाकार मचा हुआ था । ज्यों ज्यों पृथ्वी लोक में पाप बढ़ जाता है त्यों त्यों भगवान नारायण का अवतरण होता है ताकि दुष्टों का और उनके द्वारा फैलाया गया पाप का अंत हो।

कथा वाचक आचार्य हरीश शर्मा ने कहा कि भागवत कथा से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट हो जाते हैं। कलियुग में कथा सुनने मात्र से ब्यक्ति भाबसागर से पार हो जाता है। कथा कल्प वृक्ष के सम्मान है जिस से सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है।

उन्होंने कहा कि भगवान की बिभिन कथाओं का सार श्रीमद भागवत मोक्ष दायिनी है ।

भगवान सुकदेव द्वारा महाराज परीक्षित को सुनाया गया भक्ति मार्ग तो मानो सोपान ही है इसके श्रवण से परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई और कलियुग में आज भी इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखने को मिलते हैं। इसके प्रत्येक श्लोक में श्री कृष्ण_प्रेम की सुगंधि है।

श्रीमद भागवत कथा सुनने से प्राणी को मुक्ति प्राप्त होती है। आचार्य ने बताया कि भागवत कथा का दर्शन हर किसी को प्राप्त नहीं होता। श्री कृष्ण की रास लीला के दर्शन करने के लिए शिवजी को गोपी का रूप धारण करना पड़ा। इस कथा को सुनने के लिए देवी देवता भी तरसते हैं। कथा के श्रवण मात्र से ही प्राणी मात्र का कल्याण संभव है ।

भागवत कथा से मन का सुधीकरण होता है इससे संशय दूर होता है और शांति ब मुक्ति मिलती है। परंपरागत तौर पर इस पुराण के रचयिता वेद व्यास को माना जाता है। पिता पराशर ऋषि और माता सत्यवती के घर में अवतरित हुए श्री वेद व्यास भगवान विष्णु जी के 19बे अवतार हैं।भगवान श्री वेद व्यास एक अलौकिक शक्ति संपन्न महापुरुष थे।

आचार्य हरीश शर्मा ने कथा का वाचन करते हुए कहा कि भागवत का अर्थ है भक्ति, ज्ञान, बेराग्य और तारण।व्यक्ति को सिर्फ और सिर्फ अपने कर्म के ऊपर ध्यान देना चाहिए जो कर्म हम कर रहे हैं वो सब लौटकर जरूर आएंगे। सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ें भगवान की कृपा सदैव आप पर मेहरबान होगी ।

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः । समस्त सूद परिवार और आयोजकों को इंडिया रिपोर्टर टुडे की तरफ से हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। हरी ओम।

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