शहरी व ग्रामीण दोनों क्षेत्रों केे लिए उपयुक्त मशरूम की खेती: कुलपति नवीन कुमार, कृषि विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय मशरूम दिवस पर विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन, भाषण प्रतियोगिता में पार्थ कालिया ने मारी बाजी, पोस्टर में सिमरन व टीम रही अव्वल











शहरी व ग्रामीण दोनों क्षेत्रों केे लिए उपयुक्त मशरूम की खेती: कुलपति नवीन कुमार
कृषि विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय मशरूम दिवस पर विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन
भाषण प्रतियोगिता में पार्थ कालिया ने मारी बाजी, पोस्टर में सिमरन व टीम रही अव्वल
SUMIT NANDA
पालमपुर,23 दिसंबर। चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति नवीन कुमार ने कहा कि शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के लिए मशरूम की खेती उपयुक्त है।
हाल के वर्षों में, मशरूम की रखेती ने अपनी कम लागत, आसान खेती की तकनीक, पोषण मूल्यों और बढ़ती मांग के कारण पूरे भारत में लोकप्रियता हासिल की है। बुधवार को कुलपति प्रो. नवीन कुमार ने राष्ट्रीय मशरूम दिवस के अवसर पर अपने संदेश में यह बात कहीं।
विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय मशरूम दिवस पर विद्यार्थियों के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन करते हुए विद्यार्थियों को शामिल किया गया और रचनात्मक अभिव्यक्ति को बढ़ावा दिया गया।
प्रथम वर्ष के कृषि महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने नारा-लेखन और भाषण प्रतियोगिताओं में भाग लिया, जिसमें 14 समूहों ने रचनात्मक रूप से विषय को संबोधित किया। उद्यमी शिक्षण कार्यक्रम (ईएलपी) के विद्यार्थियों ने पोस्टर-मेकिंग प्रतियोगिता में अपनी कलात्मक प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
भाषण प्रतियोगिता में पार्थ कालिया ने पहला, शेखर दूसरे और वंशिका तीसरे स्थान पर रहीं। नारा लेखन प्रतियोगिता में कनिष्क पहले, स्वस्ति ने दूसरा और कशिश ने तीसरे स्थान पर और पोस्टर बनाने की प्रतियोगिता में सिमरन व टीम ने पहला पुरस्कार, प्रियांशी व टीम ने दूसरा और आशीष व टीम तीसरी स्थान पर रही।
आयोजन में डॉ. प्रदीप कुमार (निदेशक, सीएमआरटी इकाई) , डॉ. दीपिका सूद (पीआई, एआईसीआरपी मशरूम) और डॉ. डी.के. बन्याल (प्लांट पैथोलॉजी के प्रमुख) ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
डा. प्रदीप कुमार ने बताया कि इस वर्ष “जलवायु आधारित वर्ष भर मशरूम उत्पादन” विषय पर महत्व देते हुए विद्यार्थियों को इसके बारे में जानकारी प्रदान की गई। साथ ही जलवायु-स्मार्ट कृषि प्रथाओं में मशरूम की भूमिका पर जोर दिया गया।
इन प्रतियोगिताओं ने छात्रों को जलवायु आधारित साल भर मशरूम उत्पादन की थीम से जुड़ने के लिए एक रचनात्मक मंच प्रदान किया। राष्ट्रीय मशरूम दिवस मशरूम की खेती, प्रसंस्करण और उत्पाद विकास में अनुसंधान और नवाचार को प्रेरित करता है, जिससे भारत के कृषि और खाद्य उद्योग को और बढ़ावा मिलता है।
